20 नवंबर, भिकियासैंण तहसील मुख्यालय पर उत्तराखंड पैंशनर्स संगठन रामगंगा, भिकियासैंण का धरना आज 88 वें दिन में प्रवेश कर गया है। पूर्व निर्धारित कार्यक्रम के अनुसार आज चौखुटिया विकासखंड के पैंशनर्स ने धरना दिया। धरना स्थल पर आन्दोलनकारियों ने जमकर सरकार विरोधी नारे लगाए और जन गीतों के माध्यम से सरकार की आंख खोलने का प्रयास किया।
बैठक को सम्बोधित करते हुए पूर्व खंड शिक्षा अधिकारी गोविन्द राम आर्य ने कहा कि, यह सरकार अभी सत्ता के मद में चूर है इसलिए इन्हें अभी जनता की ताकत का एहसास नहीं हो रहा है। प्रदेश में सीनियर सिटीजन के संघर्ष को तीन महीने होने जा रहे हैं लेकिन इस सरकार को कोई लेना-देना नही है। आगामी विधानसभा चुनावों में हम इस सरकार के पुर्नमुसको भवः वाली कहावत को चरितार्थ कर देंगें। यह सरकार लोकतंत्र की हत्या कर रही है।
संगठन के अध्यक्ष तुला सिंह तड़ियाल ने अपने संबोधन में कहा कि, प्रदेश में सरकार नाम की कोई चीज रह ही नहीं गई है। यहां लूट तंत्र की सरकार चल रही है। पैंशनर्स का आन्दोलन महज़ अवैध कटौती को बन्द करने को लेकर चल रहा है जिसको आज 88 दिन पूरे हो गए हैं। सरकार की असंवेदनशीलता का इससे बड़ा उदाहरण और क्या हो सकता है ?
उन्होंने आगे कहा उत्तराखंड स्वास्थ्य प्राधिकरण लूट का अड्डा है। उन्होंने उदाहरण देते हुए बताया कि, पैंशनर्स व कर्मचारियों से वसूली गई अरबों रुपए की राशि का बंटवारा कुछ इस तरह हो रहा है। पचास प्रतिशत राशि सीधे सीधे प्राधिकरण के खाते में चली जाती है और पैंतीस प्रतिशत चिकित्सालयों के रोगियों हेतु औषधि/ इम्प्लांट/ अन्य सुविधा हेतु पांच प्रतिशत चिकित्सक दल के लिए, तीन प्रतिशत नसिर्ग स्टाफ के लिए, एक प्रतिशत चिकित्सालय के अधीक्षक के लिए एक प्रतिशत ओ टी टैक्नीशियन के लिए, एक प्रतिशत फार्मासिस्ट के लिए, एक प्रतिशत वाडवाय के लिए, एक प्रतिशत लैब असिस्टेंट के लिए, एक प्रतिशत डाटा इंट्री के लिए व एक प्रतिशत सफाई कर्मचारी के लिए प्रोत्साहन राशि के तौर पर दी जाती है।
मेरा सरकार से सीधा सवाल है क्या इन कर्मचारियों को विभाग से वेतन नहीं मिलता है? यदि हां तो फिर यह प्रोत्साहन राशि क्या है ? जबकि जिनके पैंशन से कटौती हो रही है उन्हें इसका कोई लाभ नही मिल रहा है। अंग्रेजी शासन काल से चली आ रही पैशनर्स की चिकित्सा प्रतिपूर्ति की व्यवस्था को इस सरकार ने खत्म कर दिया है। बैठक को गोविन्द राम आर्य, खीमानंद कबडवाल, कान्ति बल्लभ दुर्गापाल,प्रताप सिंह नेगी, दिनेश चंद्र मासीवाल, राजेन्द्र सिंह नायक, गोपाल दत्त उपाध्याय, देब सिंह घुगत्याल, इन्द्र सिंह भण्डारी, रमेशचंद्र सिंह बिष्ट, पूर्व प्रधानाचार्य डॉ विश्वम्बर दत्त सती , गंगा दत्त जोशी, देबी दत्त लखचौरा, आनन्द प्रकाश लखचौरा, गंगा दत्त शर्मा, किसन सिंह मेहता, राम सिंह बिष्ट, कुबेर सिंह कड़ाकोटी, कुन्दन सिंह बिष्ट, आदि लोगों ने सम्बोधित किया।