Uttarakhand News : ईमानदारी का शोर मचाने वालीं, सत्य की देवी के रूप में स्वयं को प्रचारित करने वालीं स्पीकर ऋतु खंडूडी भी पूर्व स्पीकर प्रेमचंद की राह पर ही आगे बढ़ती जा रही हैं।
ऋतु खंडूडी को भी प्रेमचंद अग्रवाल की ही तरह ईमानदार अफसरों से परहेज है। यही वो वजह है, जो वित्त सेवा के ईमानदार और सख्त मिजाज अफसर अपर सचिव गंगा प्रसाद को भटकने के लिए मजबूर कर रही है।
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अपर सचिव गंगा प्रसाद को विधानसभा में स्पीकर ऋतु खंडूडी भी ज्वाइन नहीं करने दे रही हैं। ऐसे में सवाल उठ रहा है कि आखिर स्पीकर को क्यों ईमानदार अपर सचिव वित्त से परहेज है।
जानकार इसे विधानसभा की विवादित खरीद पर पर्दा डाले रखने की कोशिश का हिस्सा मान रहे हैं। क्योंकि पिछले दिनों विधानसभा के बजट से साड़ी, शॉल, घर के लिए सीसीटीवी, गिफ्ट खरीद पर सवाल उठ चुके हैं। निजी इस्तेमाल की चीजों पर सरकारी धन खपाने के मामले से काफी फजीहत भी हो चुकी है।
अपर सचिव गंगा प्रसाद को विधानसभा में तैनाती देने का सबसे पहला आदेश पांच अगस्त 2020 को ही हो गया था। तत्कालीन स्पीकर प्रेमचंद अग्रवाल ने अपने पूरे कार्यकाल में उन्हें ज्वाइन नहीं करने दिया। इसके बाद सत्य की देवी के रूप में स्पीकर ऋतु खंडूडी ने स्पीकर का पद संभाला।
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ऐसे में उम्मीद जगी कि शायद अब गंगा प्रसाद के लिए विधानसभा के दरवाजे खुल जाएंगे। लेकिन ऐसा नहीं हुआ। वे लगातार विधानसभा सचिवालय, स्पीकर के चक्कर काटते रहे। लेकिन ज्वाइन नहीं कराया गया।
ऐसे में शासन को मजबूर होकर 29 दिसंबर 2022 को दोबारा अपर सचिव वित्त गंगा प्रसाद के लिए आदेश जारी करना पड़ा। गंगा प्रसाद को अपर सचिव वित्त अमिता जोशी ने पत्र लिख कर कहा कि वे तत्काल विधानसभा में ज्वाइन करें। इसके बाद गंगा प्रसाद ने दोबारा विधानसभा की परिक्रमा करना शुरू किया। इसके बाद भी 23 दिन तक उन्हें विधानसभा सचिवालय ने ज्वाइन नहीं करने दिया।
थक हार कर ईमानदार गंगा प्रसाद ने मान लिया कि लोकतंत्र के मंदिर विधानसभा में उन जैसे ईमानदार अफसरों के लिए कोई जगह नहीं है और उन्होंने हाथ खड़े कर संरेडर कर दिया। इसके बाद अपर मुख्य सचिव वित्त आनंद बर्द्धन ने वित्त सेवा के तेज तर्रार युवा ईमानदार अफसर मनमोहन मैनाली को अपर सचिव वित्त विधानसभा के रूप में आदेश किए।
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अब मैनाली के आदेश जारी हुए भी छह दिन गुजरने जा रहे हैं। हालांकि मैनाली ने अभी स्वयं ही विधानसभा में ज्वाइनिंग देने के प्रयास नहीं किए हैं। लेकिन विधानसभा में पिछले दिनों हुई वित्तीय अनियमितताएं, सरकारी धन के दुरुपयोग की बढ़ती घटनाओं को लेकर भी दुविधा में हैं। उत्तराखंड के ईमानदार अफसरों से स्पीकर के इस तरह के परहेज ने सत्य की देवी की भूमिका पर सवाल खड़े कर दिए हैं।