मोदी के जबाब से गदगद योगी राममोहन की जगी उम्मीद पर सरकारी मशीनरी फेर रही पानी
बंद पड़ी वुड फैक्टरी को फिर से खोलने की मांग पर पीएम मोदी ने लिया था संज्ञान
मुख्य सचिव उत्तराखंड की जगह मुख्य सचिव उत्तरप्रदेश को भेज दिया अधिकारियों ने निर्देश
गिरीश गैरोला
सूबे के विकास मे यूपी के मुख्यमंत्री के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से तुलना के जबाब मे उत्तराखंड के मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र रावत के मीडिया को कहा था कि मैदानों की तुलना मे पहाड़ मे वाहनों की गति बेहद सुस्त होती है। अब इसका इल्म आम लोगों को भी होने लगा है।
ताजा मामले मे वर्षों पूर्व बंद पड़ी उत्तरकाशी के गणेशपुर की वुड फैक्ट्री मे गणेशपुर,नेताला,शिरोर,हीना और नाल्ड आदि गांवों के दर्जनों लोग काम कर रोजगार पा रहे थे। फैक्ट्री के अचानक बंद हो जाने से लोगों का रोजगार तो बंद हुआ ही एक बड़ा भूखंड आज भी निष्प्रयोज्य पड़ा हुआ है।
गणेशपुर मे निवास करने वाले नाल्ड गांव के योगाचार्य राम मोहन रावत ने 03 अगस्त 2017 को देश के प्रधान मंत्री मोदी को पत्र लिख कर उक्त बंद फैक्ट्री को फिर से खुलवाने की मांग की थी। इसके जबाब मे 5 सितंबर को प्रधानमंत्री कार्यालय से सेक्शन ऑफिसर राजीव रंजन की ओर से मुख्य सचिव उत्तराखंड की जगह उत्तरप्रदेश सरकार लखनऊ को आवश्यक कार्यवाही के लिए भेज दिया गया।
पीएम ऑफिस ने तुरंत ही अपनी भूल सुधारते हुए सेक्शन ऑफिसर कुमार शैलेंद्र की तरफ से फिर एक पत्र मुख्य सचिव उत्तराखंड को आवश्यक कार्यवाही के लिए लिखा। इसकी एक प्रति राम मोहन को भी भेजी गयी।
उत्तराखंड मे आते ही मैदान मे 100 की स्पीड से चल रही गाड़ी की स्पीड की तरह निर्णय लेने की स्पीड भी कम हो गयी।लिहाजा राम मोहन ने एक दूसरा पत्र डीएम के माध्यम से उत्तराखंड शासन को प्रेषित किया फिर भी कोई उम्मीद नही दिखने पर मुख्यसचिव से आरटीआई के जरिए पीएम के पत्र पर की गयी कार्यवाही की मांग की, जिसके जवाब मे मुख्य सचिव उत्तराखंड के कार्यालय से लोक सूचना अधिकारी मोहमद कबीर अंसारी द्वारा 17 अक्टूबर 2017 को प्रमुख सचिव उद्योग को जबाब देने के लिए निर्देशित करने का पत्र जवाब मे प्राप्त हुआ है।
गौरतलब है कि अविभाजित उत्तरप्रदेश मे पर्वतीय विकास निगम को वर्ष 1976 गढ़वाल मण्डल और कुमाऊ मण्डल विकास निगम मे अलग-अलग कर दिया गया था।
गढ़वाल मण्डल अंतर्गत उत्तरकाशी के गणेशपुर मे वुड फैक्ट्री ,तिलवाड़ा मे चीड़ के पेड़ से निकलने वाले रेजिन से तारपीन का तेल और कोटद्वार मे फ्लस डुवर बनाने की फैक्टरी लगाई गयी थी।जिसमे तिलवाड़ा की फैक्ट्री वर्ष 2008 मे बंद हो गयी जबकि उत्तरकाशी के गणेशपुर स्थित वुड फैक्ट्री मे लकड़ी के पैनल दरवाजे, खिड़की और गंगा से मिनरल वॉटर तैयार करने का काम वर्ष 2000–01 मे बंद हो गया जबकि कर्मचारियों द्वारा 200एमएल और 300 एमएल मे गंगाजली भरने का काम वर्ष 2011तक किसी तरह जारी रखा गया था। किन्तु ठोस प्रशासनिक सोच के अभाव मे इसने भी 2011 मे दम तोड़ दिया।
गढ़वाल मण्डल विकास निगम के अधीन वुड फैक्ट्री गणेशपुर के सेवा निवृत्त विपणन अधिकारी वीरेंद्र सिंह राणा ने बताया कि पृथक ऊर्जा प्रदेश उत्तराखंड राज्य मे बांध पर प्रतिबंध लग गया तो ऊर्जा प्रदेश का तमगा छिन गया , लकड़ी पर प्रतिबंध लग गया तो उत्कृष्ट कारीगरी भी विलुप्त हो गयी। दरअसल गंगा मिनरल वॉटर पर रॉयल्टी इतनी ज्यादा कर दी गयी कि करखाना ही ठप्प हो गया। सरकार को चाहिए था कि पानी की रॉयल्टी माफ कर देती। अथवा कुछ कम करके मिनरल वॉटर के काम को चालू हालत मे रख सकती थी।
अब हालत ये है कि प्राइम लोकेशन पर 40 नाली का एक बड़ा भूभाग निर्णय लेने मे सुस्त चाल के चलते न सिर्फ यहाँ रोजगार पा रहे करीब 4 दर्जन कर्मचारी बेरोजगार हैं बल्कि अन्य उद्धमियों को भी पीपीपी मोड पर जमीन देने का निर्णय नहीं लिया जा सका है। श्री राणा ने बताया कि पार्कर पेन बनाने वाली कंपनी सहित कई अन्य उत्सुक कंपनियों ने यहां अपने उद्योग पीपीपी मोड मे लगाने की इच्छा जताई थी। किन्तु मैदानों की 100km/घंटा की तुलना मे राज्य सरकार कि 20 किमी प्रति घंटा की स्पीड से अभी तक इस पर कोई निर्णय नहीं लिया जा सका है। – पीएम मोदी के दिशा निर्देश के बाद भी नहीं।