अस्पताल में नहीं है एंटी रेवीज वेक्सीन
गाव में किसान की फसल जंगली जानवर तो बच्चों को घरेलू जानवर कर रहे नुकसान
गिरीश गैरोला//
उत्तराखंड के पहाड़ों मे बंदरों और आवारा कुत्तों की लगातार बढ़ती तादाद इन्सानों के लिए सर-दर्द बनती जा रही है। मुहल्ले की गली सड़क से निकाल कर अब ये आवारा पशु घरों तक पहुच बना चुके हैं और कई बार बच्चों, महिलाओं और बुजर्गों पर हमला कर उन्हें चोटिल कर रहे हैं। इनसे निबटने की बात करें तो सरकारी अस्पताल में इन जानवरों के काटने पर लगने वाला एंटी – रेवीज वेक्सीन तक उपलब्ध नहीं हैं।
तहसील चिनयालीसौड़ अंतर्गत मर – गांव निवासी मनमोहन सिंह बर्तवाल के 4 वर्षीय बेटे कृष्णा को लवारीश कुत्ते ने काट लिया। ग्रामीण कास्तकार अपने बच्चे को लेकर सीएचसी चिन्यालीसौड़ पहुंच किन्तु वहां उसे रेवीज का इंजेक्सन नहीं मिला। अपने बच्चे को लेकर फिर मनमोहन जिला अस्पताल उत्तरकाशी दौड़ा तो वहां से भी उसे निराश ही लौटना पड़ा। थक हार कर उसे बाजार से इंजेक्सन खरीद कर लगवाना पड़ा। ग्रामीण किसान मनमोहन की खीज सरकार पर उतरती है। वो कहता है खेत में जो उगाओ उसे बंदर और जंगली सुवर बर्बाद कर रहे हैं और अब लावारिस कुत्ते बच्चों पर हमला कर रहे हैं। न फसल सुरक्षित है और न ही हमारे बच्चे, तो फिर क्यू कोई इस असुरक्षित महोल में रहना चाहेगा। मौका मिलने पर वो भी शहर में भला पलायन नहीं करेगा?
सीएचसी चिन्यलीसौड़ के सूत्रों ने बताया कि उन्हें जिला अस्पताल से वेक्सीन नहीं मिल सकी है। इस बारे में जिले ले प्रभारी सीएमओ मेजर बचन सिंह रावत ने बताया कि एमेरजेंसी के लिए कुछ न कुछ स्टॉक रखा जाता है। उन्होने बताया कि 25 हजार तक कि दवा की खरीद स्थानीय स्तर पर चिकित्सा प्रबंधन समिति की संस्तुति से अस्पताल खुद कर सकते हैं। पर सवाल ये है कि सुदूर पहाड़ी कस्बों के बाजार में भी यदि इंजेक्सन समय पर न मिले तो होने वाली मौत का जिम्मेदार आखिर कौन होगा?