स्टोरी(कमल जगाती, नैनीताल):- ऊत्तराखण्ड उच्च न्यायालय ने गलत तरीके से खनन कराने से सरकार को हजारों करोड़ के नुकसान की जांच स्वतंत्र एजेंसी/सी.बी.आई.से कराने संबंधी जनहित याचिका में भारत सरकार को अपना जवाब दाखिल करने को कहा है। साथ ही राज्य सरकार और सी.बी.आई.से काउंटर का जवाब देने को कहा गया है। मामले में अगली सुनवाई 3 जुलाई के लिए तय हुई है।
गौलापार निवासी आर.टी.आई.एक्टिविस्ट रविशंकर जोशी ने बताया कि उनकी जनहित याचिका पर आज मुख्य न्यायाधीश ऋतु बाहरी और न्यायमूर्ति मनोज कुमार तिवारी की खंडपीठ में सुनवाई हुई। खंडपीठ ने भारत सरकार को अपना जवाब दाखिल करने के निर्देश दिए और राज्य सरकार व सी.बी.आई.के
काउंटर का प्रतिउत्तर भी दाखिल करने को कहा। उनकी जनहित याचिका में कहा गया की तत्कालीन सरकार की गलत नीति के कारण राजकोष को 2000 करोड़ से अधिक की हानि हुई। अक्टूबर 2021 में तत्कालीन धामी सरकार ने उत्तराखंड राज्य की खनन नीति में एक बड़ा परिवर्तन किया था, यह संशोधन 2022 के विधानसभा चुनावों से ठीक पहले किया गया था, जिसे सितंबर 2022 में नैनीताल हाईकोर्ट ने 2G स्पैक्ट्रम की तरह राज्य के प्राकृतिक संसाधनों का अवैध दोहन/घोटाला मानते हुए इसे रद्द कर दिया था। सूचना के अधिकार से प्राप्त आंकड़ों से जानकारी मिली कि खनन नीति में हुए इस परिवर्तन के कारण उत्तराखंड के राजकोष को 2000 करोड़ रुपये से ज्यादा की चपत लगी।जनहित याचिका दाखिल होने के बाद सरकार ने राज्य की खनन नीति को घोटाला मानने के संबंध में न्यायालय के आदेश को सुप्रीम कोर्ट में एस.एल.पी.के माध्यम से चुनौती दी गई। लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने इस एस.एल.पी.को खारिज करते हुए हाईकोर्ट के आदेश को बरकरार रखा।