कैबिनेट मंत्री गणेश जोशी की मुसीबतें आय से अधिक संपत्ति मामले में घिरने के चलते बढ़ गई हैं। अब इस मामले में विजिलेंस ने जांच आख्या कोर्ट को सौंप दी। अब यह धामी कैबिनेट को तय करना है कि वह गणेश जोशी के खिलाफ केस दर्ज करने की अनुमति देती है या नहीं।
कैबिनेट मंत्री गणेश जोशी पर आय से अधिक मामले को आरटीआई एक्टिविस्ट एडवोकेट विकेश नेगी ने उजागर किया था। विकेश ने कैबिनेट मंत्री को 2022 के विधानसभा चुनाव लड़ने के दौरान दायर किये गये हलफनामे को आधार बनाया। इसमें गणेश जोशी ने बताया कि उनके पास लगभग नौ करोड़ की संपत्ति है। विकेश का तर्क था कि गणेश जोशी का राजनीति के अलावा कोई आय का अन्य साधन नहीं है। गणेश जोशी के आयकर रिटर्न के आधार पर विधायक और मंत्री के तौर पर उन्हें विगत 15 साल में महज 35 लाख का वेतन मिला तो यह नौ करोड़ कहां से आए।
विशेष न्यायालय न्यायाधीश सतर्कता मनीष मिश्रा ने 2 सितम्बर को इस मामले की सुनवाई की। विशेष न्यायालय न्यायाधीश सतर्कता मनीष मिश्रा ने अपने आदेश में सुप्रीम कोर्ट के एक फैसले को नजीर मानते हुए कहा कि शिकायत के लिए तीन महीने की समयसीमा के बाद ही कोर्ट किसी राय पर पहुंचेगी। यह समय सीमा 8 अक्तूबर को समाप्त हो रही है। इस दौरान कोर्ट ने गोपन विभाग के सचिव से कहा है कि वह कैबिनेट का निर्णय कोर्ट तक इस तिथि तक पहुंचा दे। इस संबंध में सचिव गोपन विभाग को सूचित कर दिया गया है।
विशेष न्यायालय न्यायाधीश सतर्कता मनीष मिश्रा ने कैबिनेट को 8 अक्टूबर तक कैबिनेट को अपने विवेकाधिकार का प्रयोग करने की समयसीमा दी है। केस की अगली सुनवाई 19 अक्टूबर को होगी।
आय से अधिक सम्पत्ति के मामले में विजिलेंस ने मंत्री परिषद की अनुमति मांग कर मंत्री गणेश जोशी व भाजपा को मुश्किल में डाल दिया है। अब देखना है कि धामी कैबिनेट अपने मंत्री पर मुकदमा चलाने की अनुमति देती है या नहीं !