राजेश आर्य
विवादित महामंत्री संगठन रहे संजय कुमार की बर्खास्तगी के बाद नए महामंत्री संगठन बने अजय कुमार पहले दिन से ही फेसबुकिया महामंत्री साबित हो रहे हैं। भाजपा की आईटी सैल के माध्यम से अपने आप को जबर्दस्ती नेता साबित करने में लगे अजय कुमार रुड़की नगर निगम चुनाव के दौरान अपने को पार्टी का सबसे बड़ा खेवनहार बता रहे थे।
अजय कुमार ने रुड़की नगर निगम को लेकर सोशल मीडिया पर इस प्रकार सक्रियता दिखाई, मानो उनके बिना भाजपा कहीं है ही नहीं। वार्ड सदस्यों से लेकर मेयर पद के लिए स्वयं सड़क पर खड़े होकर तो कभी मंचों पर और कभी हैलीपैड पर फोटो खिंचाते दिखे। चुनाव परिणाम आया तो भारतीय जनता पार्टी के ४० में से १७ सभासद ही चुनाव जीत पाए और अजय कुमार की पसंद के मयंक गुप्ता को बुरी तरह हार का सामना करना पड़ा।
अजय कुमार द्वारा महामंत्री संगठन के पद के विपरीत इस आचरण से उन्हें उत्तराखंड लाने वाले लोग भी सकते में हैं कि आखिरकार संजय कुमार को बर्खास्त कर ऐसे व्यक्ति को बनाकर क्या फायदा हुआ, जो धरातल पर काम करने की बजाय फेसबुक पर नेता बनने के चक्कर में है।
आखिरकार भाजपा के बागी गौरव गोयल भारतीय जनता पार्टी को चित करने में सफल हो ही गए। उनके द्वारा पार्टी के बड़े लीडरों के फरमान को एकतरफा दरकिनार करते हुए नगर निगम के चुनावी समर में 29080 वोट लेकर अपने वजूद को बरकरार रखा है। अब भाजपा के सूरमा अपनी लाज को पार्टी संगठन में कैसे बचाएंगे, यह कहना मुश्किल होगा।
रुड़की शहर की पालिकाओं और नगर निगम चुनावों में अध्यक्ष, मेयर पदों पर अब तक निर्दलीयों और बागियों का बाजी मारने का इतिहास रहा है। निर्दलीय उम्मीदवार अपने हुनर से भाजपा, कांग्रेस, बसपा को पटखनी देकर लगातार सुपरस्टार बनते जा रहे हैं। इसी गिनती में भाजपा के बागी गौरव गोयल भी आते हैं। उच्च न्यायालय नैनीताल के आदेश के बाद करीब एक साल बाद हुए रुड़की नगर निगम चुनाव में मेयर पद पर कुल 10 उम्मीदवारों में से गौरव गोयल ने फतह हासिल की।
सत्तारूढ़ पार्टी के बड़े लीडरों ने उनका टिकट काटकर मयंक गुप्ता को अपना प्रत्याशी घोषित कर दिया था, जबकि गौरव गोयल पिछले कई वर्षों से अपनी तैयारी कर शहर में मेयर बनने का सपना संजोए हुए थे और उनका यह सपना साकार भी हुआ।
चूंकि रुड़की शहर भाजपा का गढ़ माना जाता है। ऐसे में यहां पार्टी की हार का मुख्य कारण प्रत्याशी का सही मूल्यांकन न कर पाना माना जा रहा है। हालांकि यह अलग बात है कि यहां संघ का एक गुट पहले ही गौरव गोयल को जिताऊ प्रत्याशी घोषित कर चुका था, लेकिन यहां पार्टी के कुछ लोगों की व्यक्तिगत जिद और मनमानी के चलते मयंक गुप्ता का टिकट घोषित किया गया था और यहां तक कि मुख्यमंत्री द्वारा रुड़की में हुई जनसभा के दौरान मयंक गुप्ता की पहुंच को उनके बैडरूम तक खुलेआम बखान किया गया।
जनसभा से पहले शहर में प्रत्याशी के पक्ष में यहां आकर रोड शो भी किया गया। फिर भी मुख्यमंत्री प्रदेश अध्यक्ष अजय भट्ट समेत बड़े लीडरों के हाथ पार्टी की बड़ी हार का सामना करना पड़ा। दरअसल गौरव गोयल एक युवा है और उन्हें राजनीतिज्ञ भी नहीं कहा जा सकता है, लेकिन उन्होंने सभी के इन दांव पेंचों को चित कर दिखाया। अब बात आती है मेयर साहब के घर वापसी की तो अगर वह ऐसा भूल वंश करते हैं भी तो शहर की जनता उन्हें कभी माफ नहीं करेगी और उनका वजूद व जनाधार खत्म हो जाएगा।