गढ़वाल विश्वविद्यालय प्रशासन भ्रष्टाचार के मामलों में दोहरे मापदंड अपना रहा है हाल में ही गढ़वाल विश्वविद्यालय की कुलपति प्रोफेसर अन्नपूर्णा नौटियाल ने संबद्धता घोटाले में विश्वविद्यालय के 17 कार्मिकों पर मुकदमा दर्ज करने के लिए सीबीआई को सहमति दे दी है।
संबद्धता मामले की जांच सीबीआई पिछले डेढ़ वर्षो से कर रही थी वर्ष 2013 -14 मे गढ़वाल विश्वविद्यालय प्रशासन ने 7 कॉलेजों में नए पाठ्यक्रमों को मान्यता दी थी जिसके लिए विश्वविद्यालय ने वरिष्ठ प्रोफेसरों की एक कमेटी बनाई थी बाद में इन कालेजों को संबद्धता दिए जाने पर विवाद हो गया था गढ़वाल विश्वविद्यालय पर आरोप लगाए गए थे कि गढ़वाल विश्वविद्यालय ने उन कॉलेजों को मान्यता दी है जो कि मानक पूरे नहीं कर रहे हैं गढ़वाल विश्वविद्यालय के केंद्रीय विश्वविद्यालय होने पर इस पूरे विवाद की जांच सीबीआई को सौंपी गई थी सीबीआई की प्राथमिक जांच में 17 कार्मिकों के संलिप्त होने की बात उजागर हुई थी तब सीबीआई ने इन 17 कार्मिकों पर रिपोर्ट दर्ज करने के लिए विश्वविद्यालय की कुलपति से अनुमति मांगी थी जिस पर कुलपति ने पिछले 14 मई को ज़ूम पर कार्य परिषद की बैठक आयोजित कर इन कार्मिकों पर मुकदमा दर्ज कराए जाने के लिए प्रस्ताव पारित कराया था। जबकि पूर्व में गढ़वाल विश्वविद्यालय प्रशासन ने एलटीसी घोटाले के सभी शिक्षकों को क्लीन चिट दे दी थी।
अब विश्वविद्यालय पर भ्रष्टाचार के मामलों में दोहरे मापदंड अपनाए जाने का आरोप लग रहा है नाम न छापने की शर्त पर कई शिक्षक अधिकारी व कर्मचारियों ने कहा कि विश्वविद्यालय प्रशासन ने जहां एक ओर एलटीसी घोटाले के सभी शिक्षकों को बचाया है, वही संबद्धता मामले में मुकदमा दर्ज करने की सहमति दी है।
“विश्वविद्यालय प्रशासन को भ्रष्टाचार संबंधी मामलों में पारदर्शिता से काम करना चाहिए। सभी भ्रष्टाचारियों पर एक समान कार्रवाई की जानी चाहिए लेकिन विश्वविद्यालय किसी पर रहम कर रहा है तो किसी पर करम कर रहा है।”