देहरादून। श्री गुरु राम राय विश्वविद्यालय (एसजीआरआरयू) के इनोवेशन एंड इन्क्यूबेशन सेंटर (IIC) द्वारा शनिवार को बौद्धिक संपदा अधिकार (Intellectual Property Rights – IPR) पर एक दिवसीय राष्ट्रीय कार्यशाला का आयोजन किया गया। कार्यशाला का विषय “इंटेलेक्चुअल प्रॉपर्टी राइट्स आधारित स्टार्टअप्स हेतु इनोवेटिव आइडियाज” था। यह कार्यक्रम उत्तराखंड स्टेट काउंसिल फॉर साइंस एंड टेक्नोलॉजी (UCOST), उत्तराखंड सरकार के सहयोग से आयोजित किया गया।
कार्यशाला का भव्य शुभारंभ
एसजीआरआर विश्वविद्यालय के सभागार में आयोजित इस कार्यशाला का शुभारंभ मुख्य अतिथि डॉ. हिमांशु गोयल (वैज्ञानिक, यूकोस्ट), कुलपति प्रो. डॉ. कुमुद सकलानी, कुलसचिव डॉ. लोकेश गंभीर और निदेशक, इनोवेशन एंड इन्क्यूबेशन सेंटर प्रो. डॉ. द्वारिका प्रसाद मैठाणी द्वारा दीप प्रज्वलन कर किया गया। इसके उपरांत डॉ. द्वारिका मैठाणी ने कार्यशाला के उद्देश्यों पर प्रकाश डाला, और छात्राओं ने सरस्वती वंदना प्रस्तुत कर माहौल को भक्तिमय बना दिया।
प्रमुख वक्ताओं के व्याख्यान
कार्यशाला में विभिन्न क्षेत्रों के विशेषज्ञों ने बौद्धिक संपदा अधिकार से जुड़े महत्वपूर्ण विषयों पर व्याख्यान दिए—
- डॉ. हिमांशु गोयल (वैज्ञानिक, यूकोस्ट) ने “आईपीआर मुद्दों और प्रबंधन का अवलोकन” विषय पर जानकारी दी। उन्होंने पेटेंट, कॉपीराइट और ट्रेडमार्क के बीच की भिन्नता को समझाया।
- डॉ. एम. मुरुगानंदम (प्रधान वैज्ञानिक, IISWC, भारत सरकार) ने “कृषि-उद्यमिता: बौद्धिक संपदा अधिकार आधारित नवाचार और स्टार्टअप्स” विषय पर चर्चा की।
- डॉ. अशोक साहनी (वैज्ञानिक-ई, जी.बी. पंत नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ हिमालयन एनवायरनमेंट, अल्मोड़ा, भारत सरकार) ने “ग्रीन अर्थव्यवस्था में बौद्धिक संपदा अधिकार और उद्यमिता की भूमिका” पर व्याख्यान दिया।
- प्रो. सत्येंद्र राजपूत (आईपीआर समन्वयक, गुरुकुल कांगड़ी विश्वविद्यालय) ने “बौद्धिक संपदा अधिकार के लिए विचारधारा: चुनौतियां और अवसर” पर अपने विचार रखे।
- डॉ. अरुण भट्ट (जी.बी. पंत इंस्टीट्यूट ऑफ इंजीनियरिंग एंड टेक्नोलॉजी, उत्तराखंड) ने “बौद्धिक संपदा अधिकार: कृषि और जैव प्रौद्योगिकी में इसके प्रभाव” विषय पर जानकारी साझा की।
छात्रों और फैकल्टी को सम्मानित किया गया
कार्यशाला के दौरान 20 फैकल्टी सदस्यों और छात्र-छात्राओं को उनके सर्वश्रेष्ठ नवाचार विचारों (Best Innovative Ideas) के लिए स्मृति चिन्ह और प्रमाण पत्र प्रदान कर सम्मानित किया गया।
कार्यक्रम का सफल समापन
कार्यशाला का संचालन छात्रा अंकिता रावत ने किया, जबकि धन्यवाद ज्ञापन प्रो. डॉ. द्वारिका मैठाणी ने किया। समापन राष्ट्रीय गान के साथ हुआ।
कार्यशाला में 800 से अधिक प्रतिभागियों की भागीदारी
इस सफल आयोजन में डॉ. मनीषा मैद्धली, डॉ. पंकज चमोली, डॉ. मीनू चौधरी, डॉ. पूजा जैन, विश्वविद्यालय के सभी डीन और 800 से अधिक छात्र-छात्राओं ने सक्रिय रूप से भाग लिया।
इस कार्यशाला ने छात्रों को बौद्धिक संपदा अधिकारों की बारीकियों को समझने और नवाचार व स्टार्टअप्स में इनके प्रभाव को जानने का एक सुनहरा अवसर प्रदान किया।