वर्षों से अपने तैनाती स्थलों से गायब 147 डॉक्टरों को स्वास्थ्य विभाग ने नोटिस भेजकर 15 दिन में जवाब मांगा है। अन्यथा सेवा समाप्त करने की चेतावनी दी है।
इनमें से अधिकांश डॉक्टर पहाड़ों पर तैनात थे और मुख्य रूप से ई एन टी, बाल तथा नेत्र रोग विशेषज्ञ और फिजीशियन कार्डियोलॉजिस्ट तथा सर्जन और न्यूरो सर्जन थे।
अकेले पौड़ी जिले से 20 डॉक्टर गायब हैं तो चमोली से 16 डॉक्टर नदारद है। नैनीताल से 18 तथा चंपावत से 10 डॉक्टर वर्षों से गुमशुदा है कोरोना की दृष्टि से रेड जोन की श्रेणी में आने वाले देहरादून और हरिद्वार से14 डॉक्टर गायब हैं। उत्तरकाशी से 9 रुद्रप्रयाग से 9 और टिहरी से 8 डॉक्टर गायब है। पिथौरागढ़ से 6 तथा बागेश्वर के तीन डॉक्टरों का कुछ अता-पता नहीं है।
पिछले वर्ष भी स्वास्थ्य विभाग ने गैरहाजिर डॉक्टरों को नोटिस भेजकर सेवा समाप्त करने की चेतावनी दी थी, इस पर कुछ डॉक्टर लौट आए थे और कुछ ने इस नोटिस को भी अनसुना कर दिया था।
स्वास्थ्य महानिदेशक डॉ अमिता उप्रेती का कहना है कि यदि 15 दिन में डॉक्टरों ने नोटिस का जवाब नहीं दिया तो उनकी सेवा समाप्त कर दी जाएगी।
किंतु अहम सवाल यह है कि इनमें से अधिकांश डॉक्टर वही है जिन्हें विभाग द्वारा सेवा समाप्त करने पर कोई फर्क नहीं पड़ता। वहीं दूसरी ओर सरकारी खर्चे पर डॉक्टरी की पढ़ाई करने वाले बांड धारी डॉक्टर भी पढ़ाई पूरी होने के बाद अपनी सेवा शर्तों से मुकर जाते हैं, लेकिन इनके खिलाफ भी कड़ी कार्यवाही की व्यवस्था न होने से सरकार का काफी श्रम और समय तो बर्बाद होता ही है, उत्तराखंड का आम जनमानस भी स्वास्थ्य सुविधाओं से महरूम रहता है।