Uttarakhand News : कैबिनेट मंत्री सतपाल महाराज ने कहा कि नंदा राजजात जैसी धार्मिक और पवित्र यात्रा जिसमें श्रद्धालु दान देते हैं उसकी टेंडर प्रक्रिया में हेराफेरी और मिलीभगत बेहद दुर्भाग्यपूर्ण है। मामले की गंभीरता को देखते हुए ही सरकार ने चमोली जिला पंचायत अध्यक्ष रजनी भंडारी को पदच्युत किया है।
महाराज ने कहा कि 2012-13 में नंदा देवी राजजात यात्रा के कार्यों के लिए टेंडर कमेटी द्वारा न्यूनतम दर वाली फर्म की निविदाओं को स्वीकृत किए जाने की संस्तुति की थी, जिसे नजर अंदाज करते हुए तत्कालीन जिला पंचायत अध्यक्ष रजनी भंडारी ने अधिक दर वाली फार्म की निविदाओं को स्वीकृति देने के साथ ही उससे काम भी करवा लिया गया।
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2013 में जिला पंचायत अध्यक्ष का कार्यकाल समाप्त होने के बाद जब मामला उजागर हुआ तो उस दौरान मुख्य प्रशासक के रूप में तैनात जिलाधिकारी चमोली ने मामले का संज्ञान लेते हुए टेंडर प्रक्रिया में खामियों को स्वीकार किया। अब चूंकि आवंटित कार्य पूरा किया जा चुका था इसलिए उन्होंने कार्यदायी फर्म को स्पष्ट कहा कि जो न्यूनतम रेट टेंडर कमेटी ने तय किए थे उससे अधिक की दर पर किसी भी सूरत में भुगतान नहीं होगा क्योंकि यह टेंडर ही गलत हुआ है।
महाराज ने कहा कि जब कार्य का भुगतान न्यूनतम दरों पर ही किया जाना था तो निविदा प्रक्रिया के दौरान न्यूनतम दरों पर काम करने वाले फर्म को कार्य का टेंडर आवंटित न कर, ऊंची दरों पर कार्य करने वाली फर्म को टेंडर देकर उसे न्यूनतम दरों का भुगतान किया जाना जिला पंचायत अध्यक्ष की मिलीभगत व भ्रष्टाचार नहीं तो और क्या है!
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टेंडर प्रक्रिया में जिस प्रकार से घालमेल हुआ है उससे स्पष्ट है कि भले ही इसमें वित्तीय अनियमितता न हुई हो लेकिन न्यूनतम दरों पर काम करने वाली फार्म के हितों का अतिक्रमण तो हुआ ही है। इतना ही नहीं यह नियमों की अनदेखी और व्यक्तिगत लाभ को भी स्पष्ट दर्शाता है। इसलिए जिला पंचायत अध्यक्ष का यह कहना सरासर गलत है कि उन्हें इस प्रकरण में क्लीन चिट मिली हुई है।