उत्तराखंड के अपर मुख्य सचिव ओम प्रकाश के सर पर उत्तराखंड के मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत इतना अधिक संरक्षण है कि वह अब बेखौफ होकर मनमाने ढंग से अवैध और बैक डोर भर्तियों के बादशाह हो गए हैं।
जीरो टॉलरेंस की बात करने वाले त्रिवेंद्र सिंह रावत द्वारा ओम प्रकाश को इतना अधिक संरक्षण खंडूरी राज के प्रभात सारंगी याद दिला देता है।
ओमप्रकाश का नया कदम एक सप्ताह के अंदर-अंदर नया गुल खिलाने जा रहा है। इसमें कुछ अवैध तथा बैक डोर से नियुक्त हुए एसोसिएट प्रोफेसर को सीधे प्रोफेसर बना दिया जाएगा।
ताजा मामला इंजीनियरिंग कॉलेज घुड़दौड़ी मे तैनात एक एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. प्रीति डिमरी का है।
डॉ प्रीति डिमरी की नियुक्ति पहले से ही अवैध और बैकडोर है। चयन प्रक्रिया में उनकी नियुक्ति निरस्त कर दी गई थी। इस प्रकार वर्ष 2009 में प्रीति डिमरी की नियुक्ति चयन में असफल रहने के बावजूद, उनकी ऊंची पहुंच और मिलीभगत के कारण की गई।प्रीति की 22 जनवरी 2010 की अस्थाई नियुक्ति को 5 महीने बाद ही दिनांक 30 जून 2010 को नियमित और स्थाई कर दिया गया। प्रीति डिमरी द्वारा उक्त अवधि में परिवीक्षा काल को भी पूरा नहीं किया गया जो अन्य सभी शिक्षकों के लिए 2 वर्ष का होता है। प्रीति डिमरी की संस्थान में प्रथम नियुक्ति अतिथि प्रवक्ता के पद पर 16 सितंबर 2009 को हुई थी। इस प्रकार एक अतिथि प्रवक्ता को साक्षात्कार में असफल रहने के बावजूद सीधे नियमित एसोसिएट प्रोफेसर बना दिया गया।
जांच समिति ने अवैध ठहराई थी नियुक्ति !
डॉ प्रीति डिमरी की अवैध नियुक्ति के संबंध में कार्यवाही करने के लिए तत्कालीन निदेशक ने 19 जनवरी 2017 को एक जांच समिति गठित की थी। जिसमें डॉक्टर जी. एस तोमर (निदेशक टीएचडीसी हाइड्रो पावर इंजीनियरिंग संस्थान) को जांच समिति का अध्यक्ष बनाया गया था और महिला प्रौद्योगिकी संस्थान की निदेशक डॉक्टर अलकनंदा अशोक को सदस्य नियुक्त किया गया था।
जांच अधिकारियों ने 18 मार्च 2017 को कॉलेज में आकर नियुक्ति से संबंधित समस्त अभिलेखों और साक्षियों की विस्तृत जांच की थी। जांच के पश्चात जांच रिपोर्ट 18 अप्रैल को जीबी पंत इंजीनियरिंग कॉलेज के तत्कालीन निदेशक को दी गई थी।
डॉ प्रीति डिमरी की अवैध नियुक्ति को मान्यता प्रदान करने के लिए तत्कालीन कुलपति डॉक्टर PK गर्ग ने भी प्रीति डिमरी को चयन समिति द्वारा अयोग्य ( नॉट फाउंड सूटेबल) ठहराए जाने के बावजूद चालाकी से बाद में एस्ट्रिक(*) लगाकर नीचे लिख दिया कि प्रीति डिमरी को सूटेबल माना गया है। यह कूट रचना और चार सौ बीसी है।
दस्तावेजों में और जांच समिति की रिपोर्ट में बिल्कुल स्पष्ट है कि वर्ष 2009 में प्रीति डिमरी की नियुक्ति चयन में असफल रहने के बावजूद उनकी ऊंची मिलीभगत और पहुंचकर कारण की गई है।
ओमप्रकाश ने डस्टबिन मे डाले राज्यपाल के सारे निर्देश।
शासन ने भी अपनी जांच रिपोर्ट में यह पाया था कि यह नियुक्ति अनुचित तरीके से की गई है। राज्यपाल के संज्ञान में भी यह बात थी और राज्यपाल इस मनमानी पर बेहद नाराज हैं ।
राज्यपाल ने इस प्रकरण को समस्त साक्ष्यों सहित और तथ्यों सहित बोर्ड ऑफ गवर्नर्स के सामने निर्णय के लिए प्रस्तुत करने के लिए कहा था।
4 जनवरी 2018 को राज्यपाल ने प्रीति डिमरी की एसोसिएट प्रोफेसर के पद पर अवैध नियुक्ति के संबंध में अपर मुख्य सचिव तकनीकी शिक्षा ओमप्रकाश को निर्देश दिए थे तथा कहा था कि इस संबंध में बोर्ड ऑफ गवर्नर्स की तत्काल बैठक आयोजित करके निर्णय लेकर एक माह में अवगत कराएं। किंतु उक्त निर्देश के 4 माह बाद भी ओमप्रकाश ने इस फाइल को दबा रखा है।
ओमप्रकाश ने अब तक संस्थान के बोर्ड ऑफ गवर्नर्स की न तो कोई बैठक आयोजित कराई और न ही प्रीति डिमरी के प्रकरण में कोई निर्णय लिया।
इसके बाद 11 अप्रैल 2018 को राज्यपाल ने इस प्रकरण मे कार्रवाई करने के लिए कहा ।
एक फिर राज्यपाल ने एक और पत्र 24 अप्रैल 2018 को अपर मुख्य सचिव तकनीकी शिक्षा ओमप्रकाश को निर्देश देते हुए लिखा था कि तत्काल बैठक आयोजित कर इस मामले में निर्णय लिया जाए और प्रीति डिमरी की अनुचित और अवैध नियुक्ति के संबंध में कार्यवाही की जाए।
राज्यपाल ने पहले एक माह का समय दिया था और सबसे अंत में एक सप्ताह का समय देते हुए पत्रावली प्रस्तुत करने के निर्देश दिए थे। किंतु ओमप्रकाश ने राज्यपाल के सभी निर्देशों की धज्जियां उड़ाते हुए उन्हें दरकिनार कर दिया।
ओमप्रकाश ने तोड़ दिए नियम कायदे
अपर मुख्य सचिव प्रकाश ने प्रीति डिमरी को व्यक्तिगत और अनुचित लाभ देने के उद्देश्य से बोर्ड ऑफ गवर्नर की कोई भी बैठक आयोजित नहीं कराई और अब 26 मई को हरिद्वार के संस्कृत विश्वविद्यालय में उन्हें प्रोफेसर पद की सीधी नियुक्ति की प्रक्रिया में साक्षात्कार के लिए कॉल लेटर भी निर्गत कर दिया है।
प्रीति डिमरी को 2009 से मार्च 2018 तक अवैध नियुक्ति के बावजूद 94 लाख 17 हजार का भुगतान अवैध नियुक्ति होने के बावजूद किया गया है जो कि राजकीय कोष पर गबन और जनता के धन का दुरुपयोग है। साथ ही उत्तराखंड की पढ़ी-लिखी बेरोजगारी से त्रस्त योग्य उम्मीदवारों के साथ खिलवाड़ है।
अब ओम प्रकाश ने डॉ प्रीति डिमरी को प्रोफेसर बनाने के लिए हरिद्वार मे साक्षात्कार आयोजित करके प्रोफेसर बनाए जाने की पूरी तैयारी कर ली है। इन साक्षात्कारों पर किसी की नजर ना लगे इसलिए इन्हें पौड़ी अथवा देहरादून में न कराकर हरिद्वार में आयोजित कराया गया है।
उत्तराखंड के गंभीर हितैषियों से पर्वतजन का अनुरोध है कि अपर मुख्य सचिव ओम प्रकाश उत्तराखंड के विकास में भ्रष्टाचार के कैंसर की तरह प्रवेश कर चुके हैं।
इस खबर को इतना शेयर कीजिए कि समय रहते मुख्यमंत्री सिस्टम के इस सड़ गल चुके अंग को काटकर अपने से अलग कर दें !