कुलदीप एस राणा //
क्या है अपर मुख्य सचिव ओम प्रकाश और चंद्रभान सिंह का सम्बन्ध!
क्यों हैं ओमप्रकाश की करतूतों पर खामोश सीएम त्रिवेंद्र रावत!
उत्तराखंड में जीरो टोलेरेंस सरकार की एक और बानगी
एक ओर जहाँ सूबे में 50 पार कर चुके राजकीय कर्मचारियों से उनके परफॉर्मेंस प्रमाण मांगे जाने की तैयारी की जा रही है और बेरोजगारों की क़तार दिन प्रतिदिन लम्बी होती जा रही है, वहीं दूसरी ओर “मिस्टर जीरो टोलेरेंस” के चहेते नौकरशाह ओम प्रकाश ने नियमों को ताक पर रख उत्तरप्रदेश से अपने चहेते कर्मचरियों को प्रतिनियुक्ति पर उत्तराखंड में लाना शुरू कर दिया है। ताजा मामला उत्तराखंड चिकित्सा शिक्षा निदेशालय से जुड़ा है। जहाँ आज 11सितम्बर 2017 को उत्तरप्रदेश के जिला ग्राम्य विकास अधिकरण मिर्जापुर में “अन्वेषक तकनीकी” के पद पर कार्यरत रहे चंद्रभान सिंह सहायक अभियंता( सिविल) वेतनमान रू 15600 -39100 ,ग्रेड वेतन रू 5400 के रिक्त पद के सापेक्ष प्रतिनियुक्ति पर अपनी ज्वाइनिगंं दे रहे हैं ।
वैसे तो चंद्रभान सिंह को उत्तराखंड लाने की तैयारी जून 14,2016 से चल रही थी, किन्तु ओमप्रकाश को सफलता “मिस्टर जीरो टोलेरेंस” के सत्तासीन होने के बाद मिली ।
आखिर चंद्रभान सिंह में ऐसी क्या खासियत है जो समूह “ग” स्तर के रू4600 ग्रेड वेतन के कर्मी को दो वेतनमान का लाभ देकर रू 5400 के ग्रेड वेतन पर क्लास टू के सहायक अभियंता के पद पर नियुक्ति देने के आदेश स्वयं “मिस्टर जीरो टोलेरेंस” को करने पड़े !!
चंद्रभान की यह नियुक्ति तीन वर्ष के लिये की गयी है। जिसमे उसे मूल विभाग से प्राप्त वेतनमान के अलावा प्रतिनियुक्ति भत्ता व राज्य सरकार द्वारा अनुमन्य सुवधाएं भी दी जाएंगी ।
शुरुआत से ही विभिन्न पदों पर उपनल और सविंदा कर्मियों के भरोसे जैसे-तैसे अपनी जिम्मेदारियों को निभाते आ रहे चिकित्सा शिक्षा निदेशालय के विभागीय ढांचे को लेकर तो ओम प्रकाश ने कभी इतनी गंभीरता नहीं दिखाई। किन्तु निदेशालय के निर्माणखण्ड से जुड़े सहायक अभियंता (सिविल) के पद पर अपने चहेते को उत्तरप्रदेश से लाकर बैठाने में गहरी दिलचस्पी जरूर दिखाई ।
यहाँ गौरतलब है कि अन्य पदों से इतर सहायक अभियंता (सिविल ) का पद ही क्यों ? दरअसल शुरुआती निर्माण की प्रक्रिया से गुजर रहे चिकित्सा शिक्षा निदेशालय में मेडिकल कॉलेज ,नर्सिंग कालेज व एएनम -जीएनएम कालेजों के बिल्डिंग्स के निर्माण से लेकर लाइब्रेरी -लैब्रोटरी तक में मशीनों की खरीद-फरोख्त का काफी काम प्रक्रियाधीन है. ऐसे मलाईदार पद पर अपने चहेते आदमी को बैठाने का कारण समझा जा सकता है।
यह है प्रतिनियुक्ति की प्रक्रिया
विभागों में प्रतिनियुक्ति पर किसी भी व्यक्ति को तैनात करने की एक प्रक्रिया है। जिसमे सम्बंधित विभाग शासन को उचित व्यक्ति न मिलने पर प्रतिनियुक्ति के लिए शासन को प्रस्ताव भेजता करता है। जिस पर शासन में अधिकारी द्वारा समाचार पत्रों के माध्यम से प्रतिनियुक्ति के लिए विज्ञप्ति जारी कर अभ्यर्थियों को आमंत्रित किया जाता है। और मेरिट के आधार पर उनका चयन होता है।
किन्तु चंद्रभान सिंह के मामले में नहीं किया गया और ओमप्रकाश द्वारा अपने स्तर से ही मुख्यमंत्री से फाइल पास करा कर चंद्रभान को राज्य में प्रतिनियुक्ति दे दी। त्रिवन्द्र रावत का जीरो टोलेरेंस भी यहाँ पर नहीं दिखा
ऐसे में सूबे के प्रशिक्षित बेरोजगार युवाओं की योग्यताओं को अनदेखा कर नियमों से इतर अन्य प्रदेश के कार्मिक को प्रतिनियुक्ति देना राज्य हित में कितना लाभदायक या हानिकारक होगा यह आने वाला वक्त ही बताएगा।फिलहाल प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के जुमलों के भरोसे उत्तराखंड में बीजेपी को सर्वाधिक बहुमत दे सत्तासीन करने वाली सूबे की जनता को अब इस प्रकार के जीरो टोलेरेंस को झेलने के लिए खुद को इम्यून करना होगा।