गिरीश गैरोला- उत्तरकाशी//
पेशे से इंजीनियर कैलाश त्यागी नयी पीढ़ी मे निशानेबाज़ों को तलाश कर इसे राज्य और राष्ट्रीय स्तर पर ले जाने को आतुर हैं।
निशानेबाजी को लेकर कैलाश त्यागी का शौक जुनून की हद को पार गया है। कभी अधिकारी तो कभी विधायक के पास जाकर शहर मे एक शूटिंग रेंज खुलवाने के प्रयास मे कैलाश थक हार कर चुप नहीं बैठे बल्कि अपने घर के पास अपने ही खर्च से ही छोटी–मोटी शूटिंग रेंज बना डाली।
कई बार विधायकों और आईएएस सहित डीएम को भी अपने स्तर पर ट्रेनिंग देकर राज्य स्तर की शूटिंग प्रतियोगिता मे हिस्सा लिवा चुके हैं। पर दुर्भाग्य ये कि नेताओं और अधिकारियों ने इसे महज शौक मे मौज मस्ती लेकर कैलाश के सपने को पूरा करने की दिशा मे कोई कदम नहीं बढ़ाया।
अगर इस दिशा मे भी प्रयास होता तो उत्तराखंड के छोटे कस्बों से कई जसपाल राणा निकल कर सामने आ सकते थे।
कैलाश त्यागी बताते हैं कि वर्ष 2008–09 मे जिला राइफल एशोशियेसन का गठन हुआ था तब तत्कालीन डीएम और विधायक ने इसमे सहयोग भी दिया था पर आगे सहयोग नहीं मिलने से व्यवस्था ध्वस्त हो गयी। आज भी राइफल, पिस्टल ,आर्चरी के शौकीन लोग छुट्टी के दिन कैलाश के घर पर जाकर अपना ज्ञान वर्धन करते हैं और अपना निशाना चेक करते है। श्री त्यागी ने बताया कि शूटिंग एक महंगा शौक है। इसकी प्रैक्टिस के लिए किसी भी स्तर पर सरकारी मदद नहीं मिलती है। जितने भी शूटिंग रेंज बने है वो अपने ही खर्च से शूटिंग रेंज बनाते हैं और प्रैक्टिस करते हैं।
सरकारी सिस्टम से थक-हार कर कैलाश ने अब नई पीढ़ी मे निशाने बाजी का शौक टटोलना शुरू कर दिया है।
देखिये कहीं कोई उनकी तरह जुनूनी मिल जाय जो उनके सपनों को उड़ान दे सके। आज न सही कुछ समय बाद ही, जिसके लिए आज कैलाश जमीन तैयार कर रहे है।