Ad
Ad

बलूनी के बाउंसर से चित वीआईपी

देवभूमि  उत्तराखंड में पनप रही वीआईपी संस्कृति से सामान्य नागरिक भी परेशान है। इस बीच 5 अप्रैल को उत्तराखंड सरकार द्वारा एक आदेश जारी किया गया। जिसके तहत राज्य में वीआईपी लोगों की सुरक्षा की समीक्षा की गई और इसके अंतर्गत 16 लोगों का चयन वाई श्रेणी की सुरक्षा के लिए तय किया गया। जिन लोगों को राज्य सरकार ने सुरक्षा की दृष्टि से महत्वपूर्ण व्यक्ति बताया, उनमें विश्वभर में शांति और योग के माध्यम से मोक्ष का मार्ग बताने वाले धर्मगुरू शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद, शंकराचार्य वासुदेवानंद सरस्वती, शंकराचार्य राजराजेश्वराश्रम, रामानंद हंस देवाचार्य, हंस फाउंडेशन के भोले जी महाराज, उनकी पत्नी मंगला माता प्र्रमुख रूप से हैं। इन लोगों को समाज बड़ी पूजनीय दृष्टि से देखता है और सुबह से शाम तक इनके मठों से लेकर टीवी चैनलों में इनके प्रायोजित संत्संग भी प्रसारित होते रहते हैं। जिसमें ये विश्व में अहिंसा के मार्ग पर चलते हुए मानव कल्याण के लिए प्रवचन देते हुए दिखाई देते हैं।


अब सवाल यह है कि जो लोग दुनिया को भयमुक्त होकर ईश्वर में मन लगाने का प्रवचन दे रहे हों, यदि वही देवभूमि उत्तराखंड में स्वयं के लिए वाई श्रेणी की सुरक्षा मांग रहे हैं तो सवाल उठना लाजिमी भी है कि आखिरकार दूसरों को मोक्ष का रास्ता बताने वाले इन लोगों के मन में मौत का भय क्यों है?


इनके अलावा सरकार ने महामहिम राज्यपाल, मुख्यमंत्री, मुख्य न्यायाधीश, न्यायाधीशगण, पूर्व मुख्यमंत्रियों के साथ-साथ योगगुरू से बड़े व्यापारी बन चुके बाबा रामदेव और रिटायर्ड जज धर्मवीर शर्मा के लिए भी वाई श्रेणी की सुरक्षा का प्रावधान किया है।
आश्चर्यजनक रूप से उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, जो कि अपना कर्मकांड करवाकर घरबार छोड़ उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री बन चुके हैं और स्वयं भी जेड श्रेणी की सुरक्षा के घेरे में रहते हैं, के पौड़ी में रहने वाले माता-पिता और भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष अजय भट्ट और राज्यसभा सांसद अनिल बलूनी के लिए भी वाई श्रेणी की सुरक्षा का प्रावधान किया गया है।
देवभूमि उत्तराखंड में इस प्रकार एस्कॉट लेकर भ्रमण करना वास्तव में कई सवाल खड़े करता है कि आखिरकार क्या उत्तराखंड में अब हालात ऐसे हो गए कि लोगों को इतनी भारी-भरकम सुरक्षा में रहना पड़ता है।

उल्लेखनीय है कि सरकार ने कई ऐसे लोगोंं को भी वीआईपी सुरक्षा उपलब्ध करवाई है, जो काफी विवादित रहे हैं। इनमें बहुचर्चित गुप्ता बंधुओं का नाम प्रमुख है। इसके अलावा कुंवर प्रणव सिंह चैंपियन जैसे कई नाम और हैं, जो विवादित रहे हैं।

बहरहाल, 17 अप्रैल को राज्यसभा सांसद अनिल बलूनी ने उत्तराखंड सरकार को लिखे पत्र में उन्हें उत्तराखंड भ्रमण पर दी जाने वाली सुरक्षा वापस करने का पत्र लिखकर इन तमाम वीवीआईपी लोगों के लिए एक लाइन खींच दी है कि उत्तराखंड का निर्माण इस प्रकार की वीवीआईपी संस्कृति के लिए नहीं हुआ था।
देखना है कि बलूनी द्वारा उत्तराखंड में भ्रमण के लिए वाई श्रेणी की सुविधा को अस्वीकार करने के बाद अब कितने लोग लोक-लाज के डर से यह सुविधा वापस करते हैं।

Read Next Article Scroll Down

Related Posts