पर्वतजन
  • Home
  • उत्तराखंड
  • सरकारी नौकरी
  • सरकारी योजनाएं
  • टेक
  • आधार कार्ड
  • हेल्थ
  • मौसम
No Result
View All Result
  • Home
  • उत्तराखंड
  • सरकारी नौकरी
  • सरकारी योजनाएं
  • टेक
  • आधार कार्ड
  • हेल्थ
  • मौसम
No Result
View All Result
पर्वतजन
No Result
View All Result
Home पर्वतजन

मुख्यमन्त्री के प्रशासनिक ज्ञान पर उठे सवाल

October 8, 2017
in पर्वतजन
ShareShareShare

Advertisement
ADVERTISEMENT
   जगमोहन रौतेला
   भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ाई लड़ने का संकल्प व्यक्त करने वाले मुख्यमन्त्री त्रिवेन्द्र रावत अब इस मामले में जनता को गुमराह करने लगे हैं . भले ही वे भ्रष्टाचार के खिलाफ प्रभावी कार्यवाही करने के दावे कर रहे हों , लेकिन कार्यवाही के नाम पर वे भ्रष्टाचार को बड़े करीने के साथ सँवारते दिखाई देने लगे हैं . ताजा मामला खाद्यविभाग में चावलों के घोटले से सम्बंधित है . लगभग 500 करोड़ के खाद्यान्न घोटाले में मुख्यमन्त्री ने एक ऐसे अधिकारी को बर्खास्त कर के वाहवाही लूटने की कोशिस की , जो लगभग सवा साल पहले ही सेवानिवृत्त हो चुका है . एक सेवानिवृत्त अधिकारी को किस आधार पर और किस सरकारी सेवा नियमावली के अनुसार बर्खास्त किया जा सकता है ? इस बात को शायद मुख्यमन्त्री के अलावा और कोई नहीं जानता है .
      उल्लेखनीय है कि गत 2 अक्टूबर 2017 को करोड़ों रुपए के खाद्यान्न घोटाले में मुख्यमन्त्री त्रिवेन्द्र रावत ने कुमाऊँ मण्डल के सम्भागीय खाद्य नियंत्रक ( आरएफसी ) विष्णु सिंह धानिक को टास्क फोर्स की रिपोर्ट के आधार पर बर्खास्त करने का आदेश दिया . सार्वजनिक वितरण प्रणाली के तहत लोगों को सस्ता अनाज गुणवत्ता पूर्ण न मिलने और खराब व सड़ा हुआ गेहूँ , चावल वितरित किए जाने की शिकायत पर मिलने और मीडिया में मामले के उछलने के बाद मुख्यमन्त्री रावत ने गत 2 अगस्त 2017 को मामले की जॉच स्पेशल टास्क फोर्स ( एसटीएफ ) से कराने के आदेश दिए . एसटीएफ ने दो महीने की जॉच के बाद अपनी रिपोर्ट सरकार को गत 30 सितम्बर 2017 को सौंपी थी . जिसमें उसने सस्ता खाद्यान्न उपलब्ध न होने , दस्तावेजों में हेरा – फेरी करने , हजारों कुंतल गेहूँ , चावल की कालाबाजारी करने जैसी अनेक अनियमितताओं का जिक्र किया था . एसटीएफ ने अपनी रिपोर्ट में लगभग 500 करोड़ के घोटाले की आशंका व्यक्त की थी . जिसके आधार पर ही मुख्यमन्त्री ने ” तत्काल ” कार्यवाही करते हुए विष्णु धानिक को ” बर्खास्त ” कर दिया .
    मुख्यमन्त्री के इस आदेश को उनके भ्रष्टाचार के खिलाफ उठाए गए सबसे बड़े और प्रभावी कदम के रुप में प्रचारित किया गया . मुख्यमन्त्री ने इससे सम्बंधित अपना बयान वाला विडियो भी अपनी फेसबुक वॉल पर अपलोड किया . पर वाहवाही लूटने के लिए जल्दबाजी में लिया गया उनका यह निर्णय ही अब मुख्यमन्त्री के गले की फॉस बन गया है . मुख्यमन्त्री द्वारा कुमाऊँ के खाद्य नियंत्रक धानिक को बर्खास्त किए जाने के आदेशों की धज्जियॉ गत 3 अक्टूबर को उस समय उड़ गई , जब कार्मिक विभाग के प्रमुख सचिव राधा रतूड़ी की ओर से जारी किए गए कथित बर्खास्तगी के आदेश में विष्णु सिंह धानिक के सेवा विस्तार को तत्काल प्रभाव से निरस्त किए जाने की बात कही गई थी . उसमें उन्हें बर्खास्त किए जाने का कोई जिक्र नहीं है . दरअसल धानिक को सरकार बर्खास्त कर ही नहीं सकती थी , क्योंकि वे लगभग सवा साल पहले ही सेवानिवृत्त हो चुके थे . उनकी सेवानिवृत्ति के बाद ही पिछली कॉग्रेस सरकार ने धानिक को जुलाई 2016 में कुमाऊँ के सम्भागीय खाद्य नियंत्रक व समाज कल्याण निदेशक के पद पर पुनर्नियुक्ति छह महीने के लिए दी थी . जिसे गत 1फरवरी 2017 को साल भर के लिए फिर से बढ़ा दिया गया था .
     धानिक की एक साल के लिए फिर से की गई पुनर्नियुक्ति आदेश में यह भी स्पष्ट उल्लेख था कि यह नियुक्ति समय से पहले भी खत्म की जा सकती है . साथ ही यह भी उल्लेख आदेश में था कि यदि सरकार उनकी पुनर्नियुक्ति को एक साल से पहले खत्म करती है तो उन्हें एक माह का अतिरिक्त वेतन व भत्ता देय होगा . अब जो अधिकारी सवा साल पहले ही सेवानिवृत्त हो चुका हो , उसे किस आधार पर व किस नियमावली के तहत बर्खास्त किया जा सकता था ? इसी कारण से उनकी पुनर्नियुक्ति को समय से पहले समाप्त किए जाने के आदेश में ” बर्खास्त ” शब्द का उपयोग न करते हुए सेवा विस्तार तत्काल प्रभाव से खत्म किए जाने की बात कही गई है .
      उल्लेखनीय है कि पुनर्नियुक्ति के समय के आदेशानुसार उन्हें एक माह का अतिरिक्त वेतन व भत्ता देय होेगा . मुख्यमन्त्री की भ्रष्टाचार को लेकर दिखाई गई इस कथित तत्परता ने अब उनके ” प्रशासनिक ” ज्ञान पर ही सवाल उठा दिया है . साथ इससे यह भी पता चलता है मुख्यमन्त्री इस तरह के मामलों में बिना पूरी जानकारी के ही आदेश जारी कर दे रहे हैं . जो यह दिखाता है कि एक ” प्रभावी ” मुख्यमन्त्री के तौर पर अपनी छवि बनाने के लिए वे कितनी जल्दबाजी और लापरवाही से कार्य कर रहे हैं और यही जल्दबाजी व लापरवाही उनके लिए खतरे की घंटी है . यह खतरे की घंटी इसलिए भी है कि इस आदेश के बाद जहॉ मुख्यमन्त्री की किरकिरी हो रही है , वहीं भाजपा के अन्दर भी यह मामला बेहद चर्चाओं में है . भाजपा अध्यक्ष अमित शाह दो हफ्ते पहले देहरादून आकर भले ही मुख्यमन्त्री त्रिवेन्द्र रावत पर अपना भरोसा दिखाकर गए हों , लेकिन जब ” सरकार ” खुद ही अपनी किरकिरी कराने पर आमादा हों तो पार्टी नेतृत्व का यह ” भरोसा ” कितने दिनों तक बना रहेगा ? यह सवाल अब ज्यादा महत्वपूर्ण हो गया है .

Previous Post

दो दोस्तो के झगड़े मे अलकनंदा मे समायी मनीषा

Next Post

एक हलवा-पूड़ी बंटता है कई बार:हरिद्वार में होता है ये चमत्कार!

Next Post

एक हलवा-पूड़ी बंटता है कई बार:हरिद्वार में होता है ये चमत्कार!

Leave a Reply Cancel reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *






पर्वतजन पिछले २3 सालों से उत्तराखंड के हर एक बड़े मुद्दे को खबरों के माध्यम से आप तक पहुँचाता आ रहा हैं |  पर्वतजन हर रोज ब्रेकिंग खबरों को सबसे पहले आप तक पहुंचाता हैं | पर्वतजन वो दिखाता हैं जो दूसरे छुपाना चाहते हैं | अपना प्यार और साथ बनाये रखिए |
  • बड़ी खबर: पूर्व डीएफओ किशन चंद पर ईडी का एक और डंडा। चार्जशीट दाखिल ..
  • एक्सक्लूसिव खुलासा : 90 करोड़ खर्च करने के बाद अब मेट्रो की ज़मीन पर पार्क का प्लान।जमीन खुर्दबुर्द की तैयारी!
  • उपलब्धि: महंत इन्दिरेश अस्पताल में पहली बार सफल रोटारेक्स मेकेनिकल थ्रॉम्बेक्टॉमी
  • त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव: पहले चरण की तैयारी पूरी, 81 पोलिंग पार्टियां रवाना..
  • शानदार पहल: हाई-रिस्क प्रेग्नेंसी में प्रशासन बना सहारा। 14 गर्भवती महिलाओं को मिली नई ज़िंदगी
  • उत्तराखंड
  • टेक
  • पर्वतजन
  • मौसम
  • वेल्थ
  • सरकारी नौकरी
  • हेल्थ
July 2025
M T W T F S S
 123456
78910111213
14151617181920
21222324252627
28293031  
« Jun    

© 2022 - all right reserved for Parvatjan designed by Ashwani Rajput.

No Result
View All Result
  • Home
  • उत्तराखंड
  • सरकारी नौकरी
  • सरकारी योजनाएं
  • टेक
  • आधार कार्ड
  • हेल्थ
  • मौसम

© 2022 - all right reserved for Parvatjan designed by Ashwani Rajput.

error: Content is protected !!