रामदेव के साथ सरकार के व्यापार समझौते के बीच नया पेंच
एक ओर रामदेव को स्थानीय उत्पाद बेचने तो दूसरी ओर विदेशी कंपनियों के उत्पादों ने खड़ा किया विवाद
उत्तराखंड के लिहाज से बरसात का मौसम मौत बरसाने वाला रहता है। शायद ही कोई ऐसी बरसात रही हो, जब उत्तराखंड में आपदा न आए और बेकसूर लोग मौत के मुंह में न समाएं। २०१३ में आई भीषण
आपदा के दौरान भी तब मुख्यमंत्री विजय बहुगुणा की डिनर की एक ऐसी फोटो सामने आई थी, जिसमें वे १८ जून को देहरादून में एक डिनर कार्यक्रम आयोजित कर रहे थे। उस कार्यक्रम में बकरी और मुर्गे की पार्टी ने तब राजनीति गरमा दी थी। १९ जून को तब बहुगुणा उस भीषण त्रासदी को छोड़ दिल्ली में राहुल गांधी का जन्म दिन मनाने तक चले गए थे। आपदा के बारे में बहुगुणा का वो बयान भी बहुत प्रसिद्धि पाया, जिसमें उन्होंने आपदा से बचने के लिए आपदा पीडि़तों को भजन-कीर्तन करने की सलाह दी थी। उस भीषण आपदा से न निपट पाने के कारण ही विजय बहुगुणा की मुख्यमंत्री पद से छुट्टी हो गई थी।
डबल इंजन की सरकार आने के बाद सफेदपोशों और नौकरशाहों को अब जमीन पर कम और हवा में ज्यादा देखा जाने लगा है। उत्तराखंड सरकार के मंत्री अपने उस जनपद में जहां के वे प्रभारी बनाए गए हैं, में जाने के लिए भी अब सड़क मार्ग में चलने को राजी नहीं या कहें कि उनके पैर अब जमीन पर ही नहीं पड़ रहे हैं।
इन दिनों उत्तराखंड सरकार के छोटे-बड़े पद पर बैठे लोग सरकारी हैलीकॉप्टर में घूमते हुए सैल्फी लेने के लिए खासे उत्साहित हैं। जब से नई सरकार आई है, तब से हैलीकॉप्टर की सवारी तेजी से बढ़ी है, किंतु आपदा आने के बाद उत्तराखंड के मुख्यमंत्री, आबकारी मंत्री और विधानसभा अध्यक्ष की चिप्स के पैकेट के साथ हवाई यात्रा ने विपक्षियों को सरकार पर हमला करने का अवसर दे दिया है। पिथौरागढ़ के मालपा में आई भीषण आपदा का जायजा लेने के लिए जाते मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत और आबकारी मंत्री प्रकाश पंत के चिप्स वाली फोटो के बाद १५ अगस्त को गैरसैंण जाते विधानसभा अध्यक्ष की फोटो भी विपक्षियों के लिए एक हथियार बन गई।
देखना है कि उत्तराखंड की ये सरकार कब तक इन कुरकुरे-चिप्स से अपने को बाहर लाती है!