शिक्षा मंत्री अरविंद पांडे के फरमान के खिलाफ हड़ताल पर गए CBSE बोर्ड से संचालित निजी स्कूलों को आज बुधवार को भी हाई कोर्ट की तगड़ी फटकार के बाद स्कूल खोलने के लिए मजबूर होना पड़ गया है। निजी स्कूलों ने अपनी सभी शर्तें भी वापस ले ली है। कल भी हाई कोर्ट ने फटकारते हुए कहा था कि अगर बुधवार के बाद कोई स्कूल बंद मिला तो कानूनी कार्यवाही होगी। कोर्ट ने व्यंग्य के लहजे में यह तक पूछ लिया कि क्या आपके बाइलॉज में हड़ताल करना भी लिखा है।
गौरतलब है कि निजी स्कूल NCERT से मिलती-जुलती किताबें दूसरे प्रकाशकों से खरीद कर कमीशन के रूप में मोटा मुनाफा कमाते थे। यह कमीशन प्रकाशकों से लेकर पुस्तक विक्रेताओं तक से स्कूल मालिकों को मिलता था।
अभिभावकों की मजबूरी का फायदा उठाकर स्कूल मालिक हर साल अलग-अलग प्रकाशकों की किताबें खरीदने के लिए मजबूर कर देते थे।
शिक्षा मंत्री अरविंद पांडे ने निर्देश जारी कर दिए कि CBSE बोर्ड से संचालित स्कूलों में सिर्फ एनसीईआरटी की किताबें पढ़ाई जाएंगी।
एनसीईआरटी की किताबें तुलनात्मक रूप से अन्य प्रकाशकों की किताबों से काफी सस्ती हैं। इससे अभिभावकों को बढ़ती कीमतों से काफी राहत मिली, लेकिन यह जरूर देखने में आया कि जिस तरह से निजी स्कूल संचालकों संगठन सरकार के इस फैसले के खिलाफ स्कूल बंद करके बाकायदा धरना प्रदर्शन पर उतर आया था और कोर्ट तक चला गया था उसके मुकाबले अभिभावकों और अभिभावक संघों ने शिक्षा मंत्री के पक्ष में कोई खास प्रतिक्रिया नहीं जाहिर की।
एक तरह से शिक्षा मंत्री और सरकार इस मोर्चे पर निजी स्कूलों से अकेले ही लड़ाई लड़ रही थी। सरकार ने कोर्ट में बताया कि एनसीईआरटी की किताबें पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध हैं और समान शिक्षा नीति के तहत यह प्राविधान जरूरी भी है। गौरतलब है कि एनसीईआरटी की पुस्तकें प्रतियोगी परीक्षाओं की दृष्टि से भी काफी मुफीद मानी जाती हैं। तमाम प्रशासनिक सेवाओं में एनसीईआरटी की किताबें पढ़ने की सलाह दी जाती है।
कोर्ट के आदेश के बाद बैकफुट पर आए निजी स्कूल संचालकों की एसोसिएशन के अध्यक्ष प्रेम कश्यप का कहना था कि निजी विद्यालयों की स्वायत्तता पर प्रहार नहीं किया जाना चाहिए।
ऑल उत्तराखंड पैरेंट्स एसोसिएशन के केंद्रीय महासचिव सुदेश उनियाल का कहना है कि सरकार का यह फैसला अभिभावकों के हित में है।
शिक्षा मंत्री अरविंद पांडे का कहना है कि यदि कोई निजी स्कूल महंगी किताबें खरीदने का दबाव डालता है तो उसकी सूचना अभिभावक प्रदान कर सकते हैं। इस पर कड़ी कार्रवाई की जाएगी।
इसकी चेकिंग के लिए अधिकारियों की टीमें बना दी गई हैं। शिक्षा मंत्री ने शिकायत के लिए एक अपील जारी की है जिसमें उन्होंने मोबाइल नंबर और ईमेल एड्रेस भी दिया है, ताकि निजी स्कूलों की मनमानी की शिकायत तत्काल की जा सके।
हालांकि देहरादून में विभिन्न स्कूलों में आईसीएसई सहित कैंब्रिज और अन्य बोर्ड के सिलेबस की भी पढ़ाई कराई जाती है। किंतु अभी सरकार का फोकस सिर्फ CBSE बोर्ड से संचालित स्कूलों में एनसीईआरटी की किताबें लागू करने पर है। और मजबूत तर्क सिर्फ महंगी किताबों का दिया गया है। जाहिर है कि समान शिक्षा नीति की राह में सरकार को अभी भी काफी कुछ करना बाकी है।