कृष्णा बिष्ट
उत्तराखंड में पिथौरागढ़ की मुख्य चिकित्सा अधिकारी उषा गुंज्याल ने संविदा पर नेशनल हेल्थ मिशन के तहत तैनात कर्मचारियों को आदेश दिया कि यदि वे अपनी नौकरी जारी रखना चाहती हैं तो तत्काल प्रेगनेंसी टेस्ट करा कर रिपोर्ट जमा करें कि वह गर्भवती है कि नहीं।
जब पर्वतजन संवाददाता ने उनसे पूछा तो वह इस बात से साफ मुकर गई और तत्काल दूसरा पत्र जारी करके कह दिया कि यह आदेश त्रुटिवश हो गया था। मुख्य चिकित्सा अधिकारी पिथौरागढ़ श्रीमती गुंजाल ने 28 मार्च 2018 को जिले की समस्त चिकित्सा प्रभारियों को आदेश दिया था कि उनके अधीनस्थ समस्त महिला कर्मचारियों का अनुबंध तभी विस्तारित किया जाएगा जब वह अपना प्रेगनेंसी टेस्ट करा लेंगी। इसका मतलब यह था कि सिर्फ उन्हीं महिलाओं का अनुबंध आगे बढ़ाया जाएगा जो गर्भवती नहीं होंगी।
इसका अनुबंध पर कार्य कर रही महिला कर्मचारियों ने विरोध किया। पर्वतजन ने जब सीएमओ से इस विषय में पूछा तो उन्होंने बताया कि यह आदेश त्रुटिवश जारी हो गया था जिसे वापस ले लिया गया है।
बहर हाल इस तरह के फरमान से उनकी काफी आलोचना हो रही है। अब तक सिर्फ प्राइवेट कंपनियों में इस तरह के फरमान सुनने में आते थे हालांकि विभिन्न न्यायालयों ने इस तरह के फरमान रद्द भी किए हैं। तमाम महिला फार्मेसिस्ट और डॉक्टर इसके खिलाफ न्यायालय की शरण में जाने की तैयारी कर रहे थे। किंतु इस बीच आलोचना होने पर सीएमओ ने यह आदेश वापस ले लिया है।