• Home
  • उत्तराखंड
  • सरकारी नौकरी
  • वेल्थ
  • हेल्थ
  • मौसम
  • ऑटो
  • टेक
  • मेक मनी
  • संपर्क करें
No Result
View All Result
No Result
View All Result
Home पर्वतजन

क्या आप अपने दादाजी के दादाजी का नाम जानते हैं?

in पर्वतजन
0
1
ShareShareShare

Related posts

गणतंत्र दिवस परेड में उत्तराखण्ड का प्रतिनिधित्व करने वाले एसजीआरआर विश्वविद्यालय के एनसीसी कैडेट्स श्री दरबार साहिब में सम्मानित

March 29, 2023
10

श्री महंत इन्दिरेश अस्पताल के ईएनटी सर्जन ने पॉच साल के बच्चे की श्वास नली से निकाली सीटी

March 28, 2023
39

कुमार दुष्यंत/हरिद्वार //

यदि आपसे कोई आपके दादाजी का नाम पूछे तो शायद आप तपाक से बता दें। लेकिन यदि दादाजी के पिताजी का भी नाम पूछा जाए तो?  तो शायद आप सोच में पड़ जाएं।और अगर दादाजी के पिताजी के पिताजी का भी नाम पूछ लिया जाए, फिर तो आप जरूर चकरा जाएंगे। लेकिन यदि आपके पुरखे पुरोहित परंपरा में विश्वास रखने वाले रहे होंगे तो हरिद्वार में आपको इन सवालों का जवाब चंद सैकेंडों में मिल जाएगा!

जी, हां! हरिद्वार में आपको अपने इन सवालों का जवाब मिल सकता पुरोहितों की बहियों में। और वह भी चंद सैकेंडों में। आपको पुरोहित को अपना ‘अॉरिजिन’ यानि मूलतः आपका परिवार कहां का रहने वाला है, बस ये बताना होगा। इसके बाद पुरोहित आपको न केवल आपके दादाजी के पिताजी के पिताजी का नाम ही बता देगा, बल्कि उनके पूरे कुटुंबीजन कहां हैं और क्या कर रहे हैं, इसके बारे में भी बता देगा।हरिद्वार में पुरोहित परंपरा कब से चल रही है। इसके बारे में तो ठीक-ठीक जानकारी नहीं है। लेकिन पांच हजार साल पहले हरिद्वार के कुशावृत घाट पर भगवान् श्रीराम द्वारा पिता दशरथ के किये गये तर्पण से इसकी शुरुआत मानी जाती है। पंडों की बहियों में यहां चार-पांच सौ साल से यजमानों का पीढ़ी-दर-पीढ़ी इतिहास कायम है। कहा तो यह भी जाता है कि 1507 में गुरुनानक देव जी की हरिद्वार यात्रा के दौरान भी हरिद्वार में बही में लिखा गया उनका नाम मौजूद है। गुरुवाणी में भी ‘केशो पंडत नु बुलाय के पिंड-पत्तर कराउणे, फुल्ल हरसर ते पाऊणे’ के रुप में पंडित और पिंडदान का जिक्र मिलता है।
हरिद्वार में पंडों की इन बहियों में राजनेताओं, उद्योगपतियों, सिने-अभिनेताओं सहित बड़े-बड़े राज परिवारों से लेकर पुरोहित परंपरा में विश्वास रखने वाले साधारण परिवारों का भी विवरण दर्ज है। कई परिवार ऐसे भी हैं जो विदेशों में बस गये। या फिर भारत-पाक विभाजन के दौरान बंट गये, लेकिन वह सुख-दुख के अवसर पर अपने पुरोहितों के पास पहुंचकर परिजनों का नाम बहियों में दर्ज कराने की परंपरा को कायम रखे हुए हैं।

पेशावर व काबुल के पुरोहित प्ं. गोपालकृष्ण पटुवर बताते हैं कि उनके पास सत्रहवीं सदी में हुए राजा रणजीतसिंह का नाम भी बही में दर्ज है। पं. गोपालकृष्णन के अनुसार उनके पास चार सौ साल से लगातार बहियों में नाम दर्ज कराते आ रहे परिवारों की सोलह पीढ़ियों तक का इतिहास दर्ज

है।
देश-विदेशों में फैले हुए पंडों-पुरोहितों के  जजमान जाति व क्षेत्रों के आधार पर पुरोहितों में बंटे हुए हैं ।हरिद्वार में प्रवेश करते ही आपको पुरोहित यात्रियों से सवाल करते मिल जाएंगे। जब वह पूछते हैं कि “कौन जात हो? ” या “कौन गांव है? ” तो वह वास्तव में यह पता लगा रहे होते हैं कि यात्री किस पुरोहित का जजमान है।

नये दौर में पुरोहितों ने बहियों के ‘डिजिटिलाईजेशन’ करने की शुरुआत भी की, लेकिन क्योंकि बही में लिखे अपने पुरखों के नाम देखकर ही यजमान भावना त्मक रुप से अपने पुरखों को महसूस करते हैं। इसलिए बहियों को ‘डिजिटल’ बनाने का काम ठंडा पड़ गया। नतीजतन बहियां आज वैसे ही लिखी जा रही हैं। जैसे सैकेंडों साल पहले लिखी जाती थी। पारिवारिक इतिहास के ये पवित्र दस्तावेज शायद आगे भी ऐसे ही लिखे जाते रहेंगे।

Previous Post

अपने बदले भाड़े पर टीचर रखकर थी गायब। हुई सस्पेंड

Next Post

आरटीआइ खुलासा: नहीं हुआ जापान से एमओयू या एग्रीमेंट!बुलेट ट्रेन साल का सबसे बड़ा जुमला !! 

Next Post

आरटीआइ खुलासा: नहीं हुआ जापान से एमओयू या एग्रीमेंट!बुलेट ट्रेन साल का सबसे बड़ा जुमला !! 

Leave a Reply Cancel reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

    Recent News

    • अपडेट : प्रधानमंत्री आवास योजना लिस्ट जारी। जानिए कैसे करें चेक
    • अपडेट: आज फिर बदलेगा मौसम का हाल !
    • हाईकोर्ट न्यूज: प्रदेश की नई आबकारी नीति पर लगी रोक। जानिए कारण

    Category

    • उत्तराखंड
    • पर्वतजन
    • मौसम
    • वेल्थ
    • सरकारी नौकरी
    • हेल्थ
    • Contact
    • Privacy Policy
    • Terms and Conditions

    © Parvatjan All rights reserved. Developed by Ashwani Rajput

    No Result
    View All Result
    • Home
    • उत्तराखंड
    • सरकारी नौकरी
    • वेल्थ
    • हेल्थ
    • मौसम
    • ऑटो
    • टेक
    • मेक मनी
    • संपर्क करें

    © Parvatjan All rights reserved. Developed by Ashwani Rajput

    error: Content is protected !!