सुप्रीम कोर्ट की फटकार के बाद उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री आदित्यनाथ योगी के तेवर कुछ ढीले हुए हैं। परिसंपत्तियों को लेकर उत्तराखंड के मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत की 2 दिन पहले हुई एक मुलाकात में आदित्यनाथ योगी ने अफसरों को अलकनंदा होटल उत्तराखंड के स्वामित्व में देने के प्रति सहमति जताते हुए निर्देश दिए हैं।
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देखना यह है कि उत्तर प्रदेश के अफसर आज सुप्रीम कोर्ट में क्या जवाब देते हैं! लंबे समय से परिसंपत्तियों के बंटवारे को मामले को लेकर उत्तर प्रदेश की हठधर्मिता आखिरकार सुप्रीम कोर्ट तक पहुंच गई। 17 वर्षों से उत्तर प्रदेश के साथ बातचीत के जरिए परिसंपत्तियों के बंटवारे की जद्दोजहद कर रही उत्तराखंड सरकार को आखिरकार सुप्रीम कोर्ट की शरण लेनी पड़ी थी।
हरिद्वार स्थित अलकनंदा होटल पर स्वामित्व को लेकर केंद्र सरकार ने भी उत्तराखंड को ही सही ठहराया था। किंतु जब उत्तर प्रदेश सरकार नहीं मानी तो उत्तराखंड सरकार को आखिरकार सुप्रीम कोर्ट की शरण लेनी पड़ी। पहले यह माना जा रहा था कि केंद्र तथा उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड में एक ही पार्टी भाजपा की सरकार होने के चलते यह मसला बातचीत से सुलझ जाएगा, किंतु उत्तराखंड से मात्र 5 संसदीय सीटें होने के चलते भाजपा को उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड के इस परिसंपत्ति विवाद में हस्तक्षेप करना सियासी फायदे का सौदा नहीं लगा।
उत्तराखंड मूल के यूपी सीएम आदित्यनाथ योगी ने उत्तराखंड की परिसंपत्तियों पर जरा भी सकारात्मक रुख नहीं अपनाया।
केंद्र सरकार भी इस सियासी मसले में हस्तक्षेप करने से बचती रही। सरकार को लगा कि गेंद सुप्रीम कोर्ट के पाले में डालना ही बेहतर है। इसमें सबसे बड़ी गलती उत्तराखंड के उदासीन अफसरों की भी रखी इन अफसरों में ने सुप्रीम कोर्ट में उत्तराखंड सरकार का पक्ष रखने में कोई दिलचस्पी नहीं दिखाई। यहां तक कि कई बार तारीख पर भी हाजिर नहीं हुए। देखना यह है कि सुप्रीम कोर्ट मे आज उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड सरकारें आपस में बातचीत के बाद क्या जवाब रखती है। इसके बाद ही सुप्रीम कोर्ट का रुख तय हो सकेगा