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हंसें या रोयें ! दुग्ध संघ वाले बेचेंगे पेट्रोल

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अब तक एक करोड़ की देनदारी 
नहीं उबर पाया आंचल दूध संघ घाटे से 
सरकार ने बंद किया ट्रांसपोर्ट भत्ता 
अब पेट्रोल बेचेंगे दूध संघ 
गिरीश गैरोला// उत्तरकाशी
आम लोगों को मिलावट से दूर सस्ता और शुद्ध दूध उपलब्ध करने का दावा करने वाला उत्तरकाशी आंचल दूध संघ अपने स्थापना वर्ष 1987 से लेकर अब तक एक करोड़ के नुकसान मे चल रहा है।
दुग्ध संघ के  वर्तमान अध्यक्ष सुरेन्द्र नौटियाल ने बताया कि 9 महीने पूर्व जब उन्होने पद भर ग्रहण किया था, उस वक्त संघ के पास  कर्मचारियों के 9  महीने का वेतन पेंडिंग पड़ा था,जो अब घट कर सिर्फ एक माह का बकाया रह गया है।
 इसके  अलावा उन्होने डीपीएमसीयू मशीन लगाकर दुग्ध उत्पादन को भी बढ़ाने का काम किया है। इस मशीन के जरिये दूध उत्पादक को दूध की  गुणवत्ता के आधार पर उसकी कीमत मिलती है।इसके अलावा दुग्ध संघ को अविभाजित उत्तरप्रदेश के समय  से मिल रही सभी सुविधाएं सरकार ने अब वापस ले ली हैं।
पूर्व हरीश रावत सरकार पर निशना साधते हुए दुग्ध संघ के अध्यक्ष सुरेन्द्र नौटियाल ने बताया कि 22 अगस्त 2014 को जारी एक शासनादेश के जरिये दुग्ध संघ को मिलने वाला ट्रांसपोर्ट भत्ता भी बंद करा दिया गया। किन्तु पूर्व कि कांग्रेस सरकार ने इसे लागू न कर फ़ाइल मे बंद रखा हुआ था। बीजेपी सरकार बनने के बाद ही जारी किया है।
श्री नौटियाल ने बताया कि इस समय संघ के पास 15 डीपीएमसीयू मशीन मौजूद है। जल्द ही 20 और मशीन आने वाली है।इन्हे अलग-अलग स्थानों पर भेजा जाएगा।  इसके बाद दूध उत्पादक को दूध का अच्छा  दाम मिलेगा तो दूध की मात्रा भी बढ़ेगी और गुणवत्ता भी। संघ मे सुपरवाइजर सहित कुल 33 कर्मचारी काम कर रहे हैं। इनके प्रति महीने वेतन पर ही करीब तीन लाख रु खर्च हो जाता है। साथ ही 4 से 5 लाख रु दूध के ट्रांसपोर्टेसन पर व्यय हो  जाता है। जबकि दूध की उपलब्धता सर्दियों  मे करीब 1500 लीटर प्रति दिन जबकि गर्मियों  मे 700 से 800 लिटर प्रतिदिन रह जाती है।
 उन्होने बताया कि उनके कार्यकाल मे दूध संघ की टिहरी और चमोली की तुलना मे बेहतरी के लिए खुद मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र रावत ने उनकी टीम को शाबासी दी है।
इतना सब कुछ होने के बाद भी एक करोड़ के घाटे मे से केवल 7 लाख की ही अब तक भरपाई हो सकी है। लिहाजा उन्होने दूध संघ के पास खाली पड़ी जमीन के सदुपयोग के लिए यहां दूध संघ का पेट्रोल पम्प और किसान भवन बनाने का प्रस्ताव सरकार को दिया है। यदि ये प्रस्ताव स्वीकृत हो जाते हैं तो आंचल दूध अपने घाटे से उबर कर प्रॉफ़िट मे आ जाएगा,ऐसी उम्मीद जताई गयी है।
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