कुमार दुष्यंत
दिल्ली परिणाम के बाद एकबार फिर से उत्तराखंड में नेर्तत्व परिवर्तन की चर्चाएं तेज हो गई हैं।संघ सूत्रों के अनुसार मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र रावत को दिल्ली दरबार में बुलाया गया है।
इसे केंद्र द्वारा उत्तराखंड में सरकार के नेर्तत्व परिवर्तन से जोड़कर देखा जा रहा है। उसके ऊपर से कल हरीश रावत के भाजपा द्वारा उत्तराखंड में राजनीतिक अस्थिरता की बात को एक ट्वीट के माध्यम से जाहिर करके आग में घी डालने का काम कर दिया गया है।
उत्तराखण्ड मे नेतृत्व परिवर्तन की चर्चाएं काफी समय से चल रही है,पिछले नौ महीनों में एक के बाद एक राज्यों मे करारी हार के बाद बताया जा रहा है कि भाजपा नेतृत्व को भी अब एहसास होने लगा है कि मोदीजी के नाम पर अब राज्यों में चुनाव नहीं जीता जा सकता।
राज्यों की परिस्थितियां केन्द्र की राजनीति से भिन्न होती है। इसलिये पार्टी ने राज्यों मे ऐसे दमदार और ज़मीनी नेताओं की खोज शुरू कर दी है,जो अपने बूते पर पार्टी को सत्ता में ला सकें।
दिल्ली चुनाव हारने के बाद पार्टी की नज़र उत्तराखण्ड और उत्तर प्रदेश पर टिकी है,जहाँ 2022 में चुनाव होना है।सूत्रों के अनुसार उत्तर प्रदेश के नेतृत्व परिवर्तन को लेकर संघ और मोदीजी के बीच कशमकश जारी है और वहाँ के बारे में क्या फ़ैसला लिया जाता है , यह आरएसएस के उन शीर्ष मठाधीशों पर निर्भर करता है जो अब भी योगी के साथ हैं।लेकिन उत्तराखण्ड में नेतृत्व परिवर्तन पर सहमति हो गई है,ऐसा बताया जा रहा है। और अगले कुछ दिनों में इसका औपचारिक ऐलान कर दिया जायेगा।
सूत्रों के मुताबिक़ उत्तराखण्ड के मुख्यमंत्री पद के लिये मानव संसाधन मंत्री निशंक और आध्यात्मिक नेता और उत्तराखण्ड के पर्यटन मंत्री सतपाल महाराज का नाम लिया जा रहा है।
सूत्र ये भी बताते हैं कि निशंक और महाराज के बीच सहमति हो गई है और निशंक ने अपना दावा छोड़कर महाराज का नाम मुख्यमंत्री पद के लिये आगे कर दिया है।मुख्यमंत्री को आज दिल्ली दरबार में बुलाया गया है,ऐसा बताया जा रहा है।देखना है कि मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र रावत दिल्ली से लौटकर क्या बयान देते हैंl