बिहार में चुनाव का ऐलान हुआ तो उत्तराखंड मे डीपीसी चुनाव के लिए कोरोना का बहाना क्यों
भारत निर्वाचन आयोग ने आज बिहार विधानसभा चुनाव की तिथियों का ऐलान कर दिया है। बिहार चुनाव की घोषणा होते ही उत्तराखंड में भी सियासत गरमा गई है। जिला पंचायत संगठन के प्रदेश अध्यक्ष प्रदीप भट्ट ने भारत निर्वाचन आयोग को कोरोनाकाल में कोरोना नियमों एवं कुछ पाबन्दियों के साथ चुनाव कराने को लेकर बधाई देते हुए मुख्य निर्वाचन आयुक्त सुनील अरोड़ा का आभार व्यक्त किया। उत्तराखण्ड राज्य निर्वाचन आयोग से राज्य में जिला योजना समति ने चुनाव की मांग की है।
जिला पंचायत संगठन के प्रदेश अध्यक्ष प्रदीप भट्ट ने राज्य निर्वाचन आयोग से उत्तराखंड में तत्काल जिला योजना समिति के चुनाव में वोटिंग कराने की मांग की है। प्रदेश अध्यक्ष भट्ट ने कहा कि, बिहार में 243 विधानसभा सीटों के लिए चुनाव होने जा रहे है। जिसमे लगभग 7 करोड़ 29 लाख (सात करोड़ उन्तीस लाख) मतदाता मतदान करेंगे। जबकि उत्तराखंड में जिला योजना समिति में मतदाताओं की संख्या 100 से कम है।
उन्होंने कहा कि, राज्य निर्वाचन आयोग कोरोना महामारी की वजह से उत्तराखंड में जिला योजना के चुनाव नही करवा रहा है जबकि उत्तराखंड में कोरोना के मामले बिहार की तुलना में बहुत कम है। बिहार में लगभग 173000 (एक लाख तिहत्तर हजार) से अधिक कोरोना के मामले हुए हैं जिनमे तकरीबन 160000 (एक लाख साठ हजार) मरीज ठीक हो गए हैं तथा तकरीबन 874 मरीजों की मौत हुई है।
जबकि उत्तराखंड में लगभग 44000 (चवालीस हजार) कोरोना के मामले सामने आए जिनमे लगभग 32000 (बत्तीस हजार) मरीज ठीक हुए हैं तथा तकरीबन 529 मरीजों की मौत हुई है। जिला पंचायत संगठन के प्रदेश अध्यक्ष प्रदीप भट्ट ने बताया कि उत्तराखंड राज्य निर्वाचन आयोग द्वारा जिला नियोजन समिति के चुनाव को लेकर नामांकन, नामांकन पत्रों की जांच एवं नाम वापसी की प्रक्रिया पूरी की जा चुकी है जबकि मतदान की तिथि को दो बार आगे बढ़ाया गया है।
पहले निर्वाचन आयोग द्वारा 18 मार्च 2020 को जिला नियोजन समिति के लिए मतदान की तिथि निश्चित की गयी थी जिसे 18 मार्च को राज्य सरकार के 3 वर्ष पूरे होने पर राज्य भर में राज्य सरकार द्वारा विभिन्न कार्यक्रम किये जाने प्रस्तावित थे को देखते हुए नियोजन समिति के सदस्यों के चुनाव की तिथि को 24 मार्च किया गया था। किंतु कोविड-19 के बढ़ते प्रकोप को देखते हुए राज्य निर्वाचन आयोग ने मतदान की तिथि 24 मार्च को स्थगित कर अग्रिम आदेशो तक के लिए बढ़ा दी गयी थी। जिस कारण अभी तक राज्य में नियोजन समिति का गठन नही हो सका।
जिला पंचायत संगठन के प्रदेश अध्यक्ष प्रदीप भट्ट ने कहा कि, राज्य निर्वाचन आयोग द्वारा जिला नियोजन समिति के चुनाव की अधिकांश प्रक्रिया पूर्ण की जा चुकी है सिर्फ मतदान होना बाकी है लिहाजा राज्य निर्वाचन आयोग को जल्द सोशल डिस्टेंस का पालन कराते हुए मतदान की तिथि घोषित कर जल्द चुनाव सम्पन्न करा देना चाहिए। उन्होंने राज्य सरकार से पूछा है कि जब कोरोना महामारी से सबसे ज्यादा प्रभावित “महाराष्ट्र” जैसे राज्य में विधान परिषद के चुनाव हो सकते हैं।
बिहार जैसे बड़े राज्य में विधानसभा के आम चुनाव हो रहे हैं। लोकसभा और राज्य सभा मे सदन की कार्यवाही चल रही है, उत्तराखंड में भी विधानसभा का सत्र हो गया है तो उत्तराखण्ड में जिला नियोजन समिति गठन के लिए मतदान क्यो नही हो सकता।
उन्होंने कहा कि, बिना डीपीसी की सहमति के जिला योजना की धनराशि खर्च करना दुर्भाग्यपूर्ण है। साथ ही उन्होंने सरकार द्वारा पंचायतों के खाली पदों पर प्रतिनिधियों को जिलाधिकारी द्वारा नामित किये जाने के फैसले को अलोकतांत्रिक करार दिया है।