शहीदों की स्मृति में बने शहीद स्मारकों को ध्वस्त करने के विरोध में उतरा उक्रांद, किया धरना-प्रदर्शन
देेेहरादून। राज्य के शहीदों की स्मृति में बने शहीद स्मारकों को ध्वस्त करने के संबंध में आज गुरुवार को कचहरी परिसर में शहीद स्मारक पर उक्रांद ने धरना प्रदर्शन किया। इस दौरान उक्रांद के कार्यकारी अध्यक्ष ए पी जुयाल ने उत्तराखंड राज्य किसी खैरात में नही मिला हैं। सन 1979 से उक्रांद का सतत संघर्ष व 2 अगस्त 1994 में पहाड़ के गांघी स्व० इंद्रमणि बड़ोनी जी की पृथक उत्तराखंड राज्य के लिये भूख हड़ताल के पश्चात राज्य प्राप्ति का आंदोलन जन आंदोलन में तब्दील होने के लिये एक चिंगारी बनी। 9 अगस्त 1994 को उक्रांद के नेतागणों द्वारा कचहरी परिसर पर पृथक उत्तराखंड राज्य की मांग को लेकर अनिश्चित कालीन अनशन शुरू हुआ था जो कि राज्य संघर्ष आंदोलन की रूपरेखा व रणनीतियों का केंद्र बना तथा राज्य आंदोलनकारियों की हृदत स्थली कचहरी देहरादून का अनशन स्थल बना रहा।
उत्तराखंड राज्य के निर्माण में 42 से ज्यादा शहीद हुये तथा मातृ व युवा शक्ति का संघर्ष रहा है। पृथक उत्तराखंड राज्य बनने के पश्चात उत्तराखंड क्रान्ति दल तथा आंदोलनकारियों की मांग रही थी कि, कचहरी परिसर राज्य आंदोलन का अनशन स्थल को शहीदों की स्मृति में शहीद स्मारक बने और बना, यही नही पहाड़ के गांधी स्व० इंद्रमणि बड़ोनी जी द्वारा ऋषिकेश में सन 1997 में जनसहयोग व उक्रांद की मुख्य भूमिका से शहीद स्मारक का निर्माण हुआ था, जिसे कुछ दिन पहले जिला प्रशासन ने बिना किसी नोटिस व सूचना के एक माह पूर्व ध्वस्त कर चुके है। जो कि सरकार के इशारे पर किया जा रहा है, और क्षेत्रीय विचार व भावना के साथ कुठाराघात है।
ऋषिकेश शहीद स्मारक हो या अब देहरादून कचहरी परिसर स्थित शहीद स्मारक को ध्वस्त किये जाने को लेकर जिला प्रशासन तय कर चुका है, ये निर्णय सरकार के इशारे पर राज्य आंदोलन की स्मृतियों और क्षेत्रीय विचारधारा के लिये कूट नीति के तहत षणयंत्र है। जिसे दल कतई बर्दाश्त नही करेगा।
इस संबंध में उक्रांद ने मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत को एक सूत्रीय मांग पत्र लिखा जिसमें कहा कि, उत्तराखंड राज्य के शहीदों के बलिदान व जनभावनाओं के अनुरूप देहरादून कचहरी परिसर स्तिथ शहीद स्मारक को यथावत रखा जाय अन्यथा शहीद स्मारक के साथ कोई भी छेड़छाड़ की स्थिति पर दल सरकार के खिलाफ आरपार की लड़ाई के लिये बाध्य होगा। वहीं धरने में वक्ताओं ने सरकार को घेरते हुये कहा कि, सरकार राज्य के शहीद स्मारक राज्य की धरोहर है। धरोहरों को तोड़ने व उसकी चेष्ठा करना त्रिवेंद्र की सरकार को महंगा पड़ेगा। उक्रांद कचहरी शहीद स्मारक पर छेड़छाड़ का घोर विरोध करेगा। स्मारकों को तोड़ना राज्य की क्षैत्रीय भावना के साथ सरकार कुठाराघात कर रही है। भाजपा सरकार की ये मंशा ताबूत की कील होगी।
धरने कार्यक्रम की अध्यक्षता दल के केंद्रीय कार्यकारी अध्यक्ष ए पी जुयाल ने की। ज्ञापन जिला प्रशासन के माध्यम से ज्ञापन सौंपा गया। संचालन प्रमिला रावत ने किया। कार्यक्रम में उपस्थित लताफत हुसैन, किशन मेहता, सुनील ध्यानी, एन के गुसाईं, रेखा मिंया, प्रताप कुँवर, अशोक नेगी, राजेन्द्र बिष्ट, समीर मुंडेपी, विजय बौड़ाई, युद्धवीर चौहान, शकुंतला रावत, शिव प्रसाद सेमवाल, ऋषि राणा, जब्बर सिंह पावेल, लक्ष्मीकांत भट्ट, हेमंत नेगी, गणेश काला, सोमेश बुडाकोटी, मीनाक्षी घिल्डियाल, किरन रावत कश्यप, मीनाक्षी सिंह, सीमा रावत, समीर मुखर्जी, दीपक घिल्डियाल, नवीन वर्मा आदि रहे।