इंद्रजीत असवाल
लैंसडाउन
ज़हरीखाल :
विभिन्न क्षेत्रों के प्रधानों से मामला संज्ञान में आया है कि, ग्राम पंचायतों के विकास कार्यो हेतु जो धन राज्य व केंद्र सरकार से आवंटित होता है उसकी निकासी ग्राम पंचायत अधिकारी और ग्राम पंचायत प्रधान के संयुक्त हस्ताक्षर से होती है।
लेकिन कई जगह ऐसा न होकर ग्राम प्रधान के हस्ताक्षर बिना धन निकासी हो रही है।इस कार्य को अंजाम व अमलीजामा पहनाने के लिए ग्राम पंचायत अधिकारियों ने प्रधान के डिजिटल हस्ताक्षर युक्त डोंगल अपने पास रखे है।
जब भी ग्राम पंचायत अधिकारी को जरूरत पडे इसी डिजिटल हस्ताक्षर से समय समय पर निकासी होती है। कई ऐसे प्रधान है जिन्हें पता भी नहीं लगता कि, पैसा कहाँ जा रहा है।थोड़ा-बहुत देकर उसका मुंह भी बंद कर देते हैं।
आरक्षण व महिला प्रधान कई ऐसे हैं जिनको इस डिजिटल हस्ताक्षर का दूर दूर तक भी जानकारी व बोध नहीं है कई महिला प्रधान ऐसी है जिनको अपने घरेलू कामकाज घास पात,लकड़ी,गाय बच्छी आदि से फुर्सत ही नहीं है।वे डिजिटल हस्ताक्षर के बारे में क्या जानेंगे।
कई ग्राम सभाओं में ग्राम प्रधान के कार्य उनके पति,ससुर करते देखे जा सकते है व पति ससुर ही प्रधान के बदले हस्ताक्षर करते हैं ब्लॉक में भी इन्ही का बोलबाला रहता है ।
ऐसे मे गाँव विकसित कैसे हो सकते है।ये आप सहज ही अंदाजा लगा सकते हो।
इन सभी बातों को दिल दिमाग में रखते हुए डिजिटल हस्ताक्षर से निकासी पर लगाम व रोक लगाने में ही गांव का विकास संभव हो सकेगा।तथा सरकारी धन का दुरुपयोग पर अंकुश लगेगा।
सोशल मीडिया से मामले को संज्ञान लेते हुए ब्लॉक प्रमुख दीपक भण्डारी ने अभिलम्ब ब्लॉक में ग्राम प्रधानों व ब्लॉक कर्मचारियों की बैठक बुलाई,जिसमें ब्लॉक प्रमुख ने विकासखण्ड अधिकारी को तीन दिन में जांच रिपोर्ट सौंपने के आदेश दिए हैं ।
हमारे द्वारा मामले की पड़ताल की गई, जिसमे ग्राम प्रधान तोली विपिन धस्माना ने कहा कि,उनका डोंगल ग्राम पंचायत अधिकारी के पास रहता हैं व कई बार ये अधिकारी बिना प्रधान के संज्ञान के बैक से धनराशि निकाल लेते हैं।