भू-कानून मे बदलाव को लेकर जनसंगठनो के प्रतिनिधियो की बैठक मे वक्ताओं ने कहा कि, उत्तराखंड में लागू इस कानून से कृषि भूमि तो खत्म हुई है़। साथ ही जल जंगल को बचाने का संकट पैदा हो गया है़।
वरिष्ठ राज्य आंदोलनकारी व महिला आयोग की अध्यक्ष सुशीला बलूनी, पीडी गुप्ता आदि ने कहा कि, अलग राज्य के लिए हमने इसलिए संघर्ष और शहादतें नही कि की ये भू माफियों की सैरगाह बन जाए।हमे हिमाचल की तर्ज पर भू क़ानून की जरूरत है।
बैठक में प्रदीप कुकरेती दिनेश भण्डारी ने सरकार से मांग की है़ कि तुरन्त भू कानून में सुधार किया जाए अन्यथा आमजन सड़को पर आने को विवश होंगे।
वक्ताओं ने कहा उत्तराखण्ड राज्य बनने के बाद वर्तमान सरकार के पूर्व मुख्यमंत्री श्री त्रिवेन्द्र रावत शासनकाल में भू-कानून में जो बदलाव कर पूरी दुनिया के लिए प्रदेश में विशेषकर पहाड़ो पर भूमि खरीदने की जो छुट प्रदान की उससे आमजन में रोष व्याप्त है़।
निशचय किया गया शीघ्र ही नवनियुक्त मुख्यमंत्री से मुलाकात कर संयुक्त ज्ञापन सौंपा जायेगा।
बैठक मे अन्य वकताओ मे ब्रि.केजी बहल,प्रसिद्ध नेत्रचिकितसक डॉक्टर बीके ओली,पेंशनरस संगठन के पीडी गुप्ता,उत्तराखंड अगेंस्टकरप्शन केसुशीलसैनी,रेजीडेंट वेलफेयर एसोसियेशन के डा.महेश भण्डारी,अपना परिवार केअध्यक्षपुरूषोत्तमभट्ट,समाजसेवी ज्योतिष घिलडियाल,स्वतंत्रता सेनानी उत्तराधिकारी संगठन के पूर्व जिलाअध्यक्ष सुशील त्यागी आदि जनप्रतिनिधियो ने भी अपने विचार रखे।
इस प्रयास मे अनेक कारणो से शामिल न होने वाले अन्य संस्थाओ के प्रतिनिधियो ने भी भूकानून मे बदलाव के सम्बन्ध मे अपने समर्थन को अभिव्यक्त किया।