साफ सफाई तथा ब्यूरोक्रेसी में अहम् समाप्त करने का नायाब तरीका
गिरीश गैरोला
पुलिसिया रौब और अधिकारी होने कि शानोशौकत से हटकर जब एक पुलिस कप्तान ने सरकारी गाड़ी से उतरते ही सीधे उत्तरकाशी कोतवाली मे पहुंचकर थानेदार के कक्ष की झाड़-पोंछ शुरू कर दी तो वहां मौजूद पुलिस कर्मियों को कुछ समझ नहीं आया कि आखिर वे क्या करें और क्या कहें!
अधीनस्थ पुलिस कर्मियों को नियमित सफाई की आदत डालने का संदेश देते हुए उत्तरकाशी के पुलिस कप्तान सुखवीर सिंह ने कहा कि खुद सफाई करने से वातावरण तो शुद्ध होता ही है, साथ ही इंसान के अंदर का अहम भी समाप्त हो जाता है।
उत्तरकाशी के एसपी सुखवीर सिंह ने बताया कि घर और ऑफिस से बाहर कई मौकों पर सफाई करके अभी तक कई क्विंटल कूड़ा सफाई अभियान के दौरान वे अपने सहकर्मियों के साथ उठा चुके हैं, किन्तु घर और कार्यालय मे छिपी हुई गंदगी पर अक्सर किसी का ध्यान नहीं जाता है।
उन्होने बताया कि पर्दे के पीछे, आलमीरा के पीछे, जमीन पर बिछे मैट के नीचे, खिड़की की ग्रिल पर लगी हुई महीन धूल को नहीं हटाया गया तो ये हमारे स्वास्थ्य के लिए सबसे ज्यादा हानिकारक है।खासकर दमा के रोग को बढ़ाने मे ये धूल मदद करती है।
थानेदार का कमरा साफ करने के बाद एसपी , एलआईयू यूनिट मे पहुंचे और वहां तैनात इंस्पेक्टर के कक्ष मे भी साफ-सफाई कर डाली।
एसपी ने अगले दिन से सभी कर्मियों को नियमित रूप से इन छुपी हुई गंदगी को हटाने के निर्देश दिये। उन्होने कहा कि इसके लिए 10 बजे सुबह से पूर्व का समय निर्धारित करें ताकि ऑफिस के कीमती समय मे अन्य दैनिक काम निबटाये जा सकें।
उन्होने बताया कि फिलहाल ये कार्यक्रम दिवाली तक चलेगा और जरूरत पड़ने पर इसे आगे भी बढ़ाया जा सकेगा।
नुस्खा कामयाब इसलिए भी कहा जा सकता है कि अब तक सफाई का काम किसी छोटे कर्मचारी की ही ज़िम्मेदारी समझने वाला हमारा ये दिल भी अपने अहम् की सफाई करके ये सोचने के लिए तैयार हो रहा है कि सफाई सबकी ज़िम्मेदारी है।