अनुज नेगी
कोटद्वार।लैंसडौन वन प्रभाग के बेशर्म अधिकारी अपनी दीपावली के लिए तो जमकर भ्रष्टाचार कर रहें है,वही दूसरी ओर दैनिक वेतन भोगी कर्मचारियों की दीपावली फीकी कर रहें है।
लैंसडौन वन प्रभाग के कोटद्वार रेंज में कार्यरत दैनिक वेतन भोगी कर्मचारियों के घर का चूल्हा जलना मुश्किल हो रहा है, क्योंकि दैनिक वेतन भोगियों को 16 17 माह से वेतन नहीं दिया गया।अपने वेतन की मांग को लेकर अब इन कर्मचारियों को विभाग ने बाहर का रास्ता दिखाना सुरु कर दिया है। जिसके कारण इन कर्मचारियों को अब बेरोजगारी ओर आर्थिक संकट से गुजरना पड़ रहा है।
प्रदेश में वन विभाग का सबसे भ्रष्ट वन प्रभाग लैंसडौन हमेशा से अपने भ्रष्ट कारनामो से सुर्खियों में बना रहता है,चाहे बात करोड़ो के हाथी सुरक्षा दीवार की हो या अवैध हरें भरे पेंडो के पातन की हो या अवैध खनन की हो।
अब मामला वन विभाग के दैनिक वेतन भोगियों का है। फायर सीजन हो या खनन माफियाओं की निगरानी करनी हो तब विभाग को इन कर्मचारियों की जरूरत पड़ती है,काम निकलते ही विभाग के भ्रष्ट अधिकारी इन कर्मचारियों को मजदूरी करने व फ्री में कार्य करने की नसीहत देते है।
बता दे लैंसडौन वन प्रभाग की सबसे भ्रष्ट रेंज कोटद्वार में दिन रात कार्य करने वाले दैनिक वेतन भोगियों के साथ विभाग के अधिकारी मजाक कर के उनकी रोजी रोटी छीन रहें है।विभाग ने इन कर्मचारियों को 16,17 माह से वेतन न देकर अब उनको विभाग से बाहर का रास्ता दिखा दिया है। जिसके कारण अब इन कर्मचारियों के परिवार पर रोजी रोटी के के बादल छाने लगे हैं।
वही जब पर्वतजन ने प्रभागीय वनाधिकारी लैंसडौन तिवाड़ी से बात की तो उनका कहना था कि
हमारे पास बजट नही है और दीपावली तक सभी दैनिक वेतन भोगियों को एक दो माह का वेतन दिया जाएगा,मगर डीएफओ सहाब एक बात पिछले एक माह से वेतन देने की बात कर रहें हैं।
अब सवाल यह है कि जब विभाग को सीजन में इन दैनिक वेतन भोगियों की जरूरत पड़ती है उस वक्त विभाग के अधिकारी इनको संविदा का लालच देकर इनसे काम निकाल देते है उसके बाद न तो इनको महीनों महीनों का वेतन दिया जाता है,वही जब कोई कर्मचारी वेतन के लिए इनपर दवाब बनाता है तो ये उसको बाहर का रास्ता दिखा देते है।
सूत्रों की माने तो पिछले कहीं वर्षो में सेकड़ो ऐसे कर्मचारी भी जो कई महीनों का वेतन न लेकर विभाग को छोड़ कर चले ही गए।मगर आज तक उनको किसी भी तरह का कोई पैसा नही दिया गया हैं। अब सवाल है कि विभाग के इन दैनिक वेतन भोगियों का वेतन का गोलमाल कोंन करता है।
बातादें कि वन विभाग ने लैंसडौन वनप्रभाग के दैनिक वेतन भोगियों का बजट मार्च में ही जारी कर दिया था। मगर तत्कालीन प्रभागीय वनाधिकारी ने बजट को दैनिक वेतन भोगियों को जारी नही किया ,जसके कारण बजट वापस चला गया। अब सवाल यह है कि आखिर अधिकारी ने इन दैनिक वेतन भोगियों का वेतन जारी क्यों नही किया कहीं इस वेतन में कोई बड़ा खेल तो नही हैं।