देहरादून। विधानसभा में 2016 के बाद वाले कर्मचारियों की सेवाएं समाप्त कर वाहवाही लूटने वाली स्पीकर ऋतु खंडूड़ी सवालों के घेरे में हैं।
विपक्ष उन पर निजी कारणों से विधानसभा में 2016 से पहले के बैकडोर भर्ती वालों को बचाने का आरोप लगा रहा है। उन पर कार्रवाई के मामले में भी भाई भतीजावाद करने का आरोप लग रहा है। क्योंकि एक ओर वह हाईकोर्ट में खुद मान चुकी हैं की वर्ष 2001 से लेकर 2022 तक की सभी भर्ती अवैध हैं। हाईकोर्ट में काउंटर फाइल कर खुद कबूलनामा किया है। इसके बाद भी 2016 से पहले वालों को बचाने के लिए उन्होंने अब अपनी साख तक दांव पर लगा दी है।
2016 से पहले विधानसभा में अवैध रूप से भर्ती हुए कई कर्मचारी ऐसे हैं, जिनकी विधानसभा में नियुक्ति उनके पिता बीसी खंडूड़ी के सीएम रहते हुए हुईं। इसमें तत्कालीन सीएम बीसी खंडूड़ी के पर्यटन सलाहकार प्रकाश सुमन ध्यानी की बेटी, महेश्वर बहुगुणा के बेटे, मेयर गामा की पत्नी, केंद्रीय पर्यटन राज्य मंत्री अजय भट्ट के साले समेत कई हाई प्रोफाइल लोगों के परिजन शामिल हैं।
इन्हीं लोगों को बचाने के लिए स्पीकर ने भेदभाव भरी कार्रवाई करने से भी परहेज नहीं किया। विपक्ष का आरोप है जिस कार्रवाई को स्पीकर सत्य की जीत करार दे रहीं हैं, दरअसल वो एक अधूरा और झूठा सत्य है।
खुद स्पीकर की बनाई डीके कोटिया समिति ने भी अपनी रिपोर्ट के प्वाइंट नंबर 12 में साफ किया है की राज्य गठन के बाद से लेकर अभी तक की सभी भर्तियां अवैध हैं। इसी के साथ विधानसभा के हाईकोर्ट में दाखिल काउंटर के प्वाइंट नंबर 14 में भी विधानसभा ने सभी भर्तियों को अवैध करार दिया है। इसके बाद भी स्पीकर का विधिक राय के नाम पर 2016 से पहले वालों को बचाने पर विवाद खड़ा हो गया है।
पूर्व कांग्रेस अध्यक्ष प्रीतम सिंह ने दो टूक कहा की सिर्फ नियमितीकरण के नाम पर 2016 से पहले के अवैध बैकडोर भर्ती वालों को बचाया नहीं जा सकता। कार्रवाई सभी के खिलाफ एक समान रूप से होनी चाहिए। यदि ऐसा नहीं होता है, तो आवाज उठना स्वाभाविक है।
कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष करन माहरा ने भी स्पीकर की कार्रवाई पर सवाल उठाए। कहा की स्पीकर का एक्शन अधूरा एक्शन है। सत्ता पक्ष के लोगों को बचाया जा रहा है। एक ही प्रक्रिया से भर्ती हुए सभी अवैध भर्ती वालों पर एक्शन होना चाहिए। यदि ऐसा नहीं होता है, विरोध किया जाएगा।