उत्तराखण्ड उच्च न्यायालय ने देहरादून पुलिस के शक्तिमान घोड़े की मौत के आरोपियों को सजा दिए जाने को लेकर दायर याचिका पर सुनवाई करते हुए सरकार से 16 दिसम्बर तक यह बताने को कहा है कि सरकार ने इस मामले में निचली अदालत में अपील क्यों दाखिल की? न्यायमूर्ति रविन्द्र मैठाणी की एकलपीठ ने सुनवाई 16 दिसम्बर को तय की है।
मामले के अनुसार होशियार सिंह बिष्ट ने उच्च न्यायलय में याचिका दाखिल कर जिला अदालत के उस फैसले को चुनौती दी है, जिसमें निचली अदालत ने गणेश जोशी को दोषमुक्त करार दिया था और कहा था कि याचिकाकर्ता होशियार सिंह बिष्ट ना तो शिकायतकर्ता है और ना ही गवाह हैं। याचिका में ये भी कहा गया है कि वर्ष 2016 में विधानसभा घेराव के दौरान पुलिस की लाठी से कैबिनेट मंत्री गणेश जोशी ने घोड़े की टांग पर हमला किया था और बाद में घोड़े की मौत हो गयी थी।
इस मामले में 23 अप्रैल 2016 को पुलिस ने गणेश जोशी को आरोपी बनाया और देहरादून के नेहरू क्लोनी थाने में मुकदमा भी दर्ज किया। जिसके बाद 16 मई 2016 को चार्जशीट कोर्ट में दाखिल की गई। इसी बीच सरकार बदली तो सरकार ने सी.जे.एम. कोर्ट से केस वापस लेने के लिए प्रार्थनापत्र दाखिल कर दिया। 23 सितंबर 2021 को निचली अदालत ने गणेश जोशी को बरी कर दिया और अपीलीय कोर्ट ने याचिका को सुनवाई योग्य नहीं माना। उच्च न्यायलय में याचिकाकर्ता ने निचली अदालत के निर्णय को निरस्त करने के साथ ही गणेश जोशी व अन्य को सजा दिलाए जाने की मांग की है।