गैरसैंण मे विधानसभा सत्र को लेकर सवाल उठाने पर हरदा खुद ही अपने बुने जाल में फंस गए।
वह कहते हैं ना कि दूसरों पर उंगली उठाने वाले की तीन उंगलियां अपनी तरफ भी होती हैं, ऐसे ही गैरसैंण के भराड़ीसैंण स्थित विधानसभा भवन में 2 वर्ष तक सत्र नहीं हुआ तो कांग्रेस ने इसको मुद्दा बनाकर सरकार की घेराबंदी कर दी।
6 दिन का सत्र 4 दिन में ही निपटा दिया गया तो पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत ने फिर से ताना मारा कि भराड़ीसैंण में सरकार को फिर से ठंड लग गई है। 4 दिन में ही बोरिया बिस्तर समेट कर देहरादून लौट आए !
हरदा ने ग्रीष्मकालीन राजधानी की घोषणा की भी याद दिलाते हुए तंज कस दिया कि ग्रीष्मकालीन राजधानी में सरकार 2 दिन बजट पर चर्चा का साहस नहीं जुटा पाई।
बस फिर क्या था रावत जी की पोस्ट पर पलटवार करते हुए भाजपा ने उनके मुख्यमंत्रित्व काल का पूरा हिसाब देकर हरदा की गैरसैण के प्रति गंभीरता पर ही सवाल उठा दिए।
भाजपा ने कहा कि अपने कार्यकाल में जून 2014 में 2 दिन और दिसंबर 2015 में 3 दिन के लिए सत्र आयोजित किए गए थे।
अब हरदा के घिरने पर कांग्रेसी भी मुंह पर हथेली लगाकर मंद मंद हंस रहे हैं। पर हरदा कहां मानने वाले ! एक पटकनी खाने के बाद अब वह बिना धूल झाड़े नए दांव की फिराक में घूम रहे हैं।