लंबे पत्रकारिता जीवन के बाद राज्य सूचना आयुक्त बने योगेश भट्ट के एक ताजा फैसले ने ब्यूरोक्रेसी में हलचल मचा दी है।
राज्य सूचना आयुक्त योगेश भट्ट ने देहरादून नगर निगम के मुख्य नगर अधिकारी और एमडीडीए की एक जेई पर भारी-भरकम जुर्माना लगाया है। इन दोनों ने सूचना प्रदान करने में आनाकानी की थी।
समय से सूचना उपलब्ध न कराए जाने पर देहरादून के लोक सूचना अधिकारी / मुख्य नगर स्वास्थ्य अधिकारी नगर निगम देहरादून डॉ अविनाश खन्ना पर ₹25000 की शास्ति आरोपित की गई । एवं MDDA के लोक सूचना अधिकारी पर एवं डिम्ड लोक सूचना अधिकारी पर ₹10000-₹5000 की शास्ति आरोपित की गई है।
सूचना का अधिकार अधिनियम 2005 के अंतर्गत समय पर सूचना न देने व विभागीय अपीलीय अधिकारी के निर्देशों की अवहेलना करने पर नगर निगम के मुख्य स्वास्थ्य अधिकारी पर 25,000/- का जुर्माना लगाया गया। लोक सूचना अधिकारी / मुख्य नगर स्वास्थ्य अधिकारी, नगर निगम देहरादून में नियुक्ति पाये अभ्यर्थी के शैक्षिक योग्यता से संबंधित प्रमाण पत्रों एवं किस आधार पर नौकरी प्राप्त हुई, उसकी जानकारी व्यक्तिगत सूचना बताकर सूचना का अधिकार अधिनियम के अंतर्गत नहीं प्रदान की गयी। जबकि प्रथम अपील के दौरान प्रथम अपीलीय अधिकारी / सहायक नगर आयुक्त, द्वारा स्पष्ट निर्देश दिए गए थे कि अपीलार्थी को 10 दिन के अंदर सूचना निशुल्क उपलब्ध कराना सुनिश्चित करें।
विभागीय अपीलीय अधिकारी के आदेश के बाद भी लोक सूचना अधिकारी द्वारा सूचना उपलब्ध नहीं गई। आयोग के नोटिस के बाद दिनांक 25/02/2023 को लोक सूचना अधिकारी द्वारा सूचना उपलब्ध कराई गई। जबकि विभागीय अपीलीय अधिकारी द्वारा 17 मार्च 2022 को स्पष्ट आदेश जारी किए गए कि नियुक्ति के समय कर्मचारी की आयु जिसमें व्यक्ति को रोजगार प्राप्त होता है से संबंधित पूर्ण स्पष्ट एवं प्रमाणिक सूचनाएं 10 दिवस में निशुल्क उपलब्ध कराने के निर्देश दिए गए थे। लोक सूचना अधिकारी / मुख्य नगर स्वास्थ्य अधिकारी, नगर निगम देहरादून द्वारा विभागीय अपीलीय अधिकारी के आदेश पर अमल नहीं किया गया।
अपीलार्थी ने इस प्रकरण में अपील दायर की अपील नगर निगम में नियुक्त पाये अभ्यर्थी के संबंध में थी जिसमें अपीलकर्ता द्वारा सूचना का अधिकार अधिनियम 2005 के तहत नियुक्ति का सम्पूर्ण आधार, शैक्षिक योग्यता से संबंधित प्रमाण पत्र, एवं नियुक्ति पाने के लिए प्रमाण पत्रों की सत्यापित प्रति चाही गई थी।
लोक सूचना अधिकारी/मुख्य नगर स्वास्थ्य अधिकारी, नगर निगम देहरादून द्वारा व्यक्तिगत सूचना बताकर सूचना नहीं दी गई। अपीलार्थी द्वारा जब प्रथम विभागीय अपील दायर की गई तो प्रथम अपीलीय अधिकारी / सहायक नगर आयुक्त, नगर निगम देहरादून ने इसे व्यक्तिगत की श्रेणी से बाहर बताते हुए लोक सूचना अधिकारी को नियुक्ति के समय कर्मचारी की आयु जिसमें व्यक्ति को रोजगार प्राप्त होता है, से सम्बन्धित पूर्ण, स्पष्ट एवं प्रमाणित सूचनायें 10 दिवस में निःशुल्क उपलब्ध कराने के निर्देश दिए गए।
अपीलकर्ता द्वारा सूचना आयोग में सूचना प्राप्त न होने एवं प्रथम अपील के आदेश पर अमल न होने पर भी नाराजगी व्यक्त की गयी। सूचना आयोग ने भी विभागीय अपीलीय अधिकारी के आदेश को सही मानते कहा कि जिन जिन प्रमाणपत्रों के आधार पर नियुक्ति हेतु मौलिक अधिकारों का हनन न होता है था जो सूचना का अधिकार अधिनियम की धारा 8 ( 1 ) से अधिनियम की धारा 8(1) ञ से आच्छादित नहीं होती। (जिसमें व्यक्ति की निजात का अतिक्रमण नहीं होता हों) वह समस्त सूचना दी जानी चाहिए।
विभागीय अपीलीय अधिकारी द्वारा भी अपने आदेश दिनांक 17 मार्च 2022 में भी लोक सूचना अधिकारी / मुख्य नगर स्वास्थ्य अधिकारी, नगर निगम देहरादून को चेतावनी दी गई थी। उपरोक्त तथ्यों के आलोक में आयोग द्वारा लोक सूचना अधिकारी / मुख्य नगर स्वास्थ्य अधिकारी, नगर निगम देहरादून को विभागीय अपीलीय अधिकारी के आदेश की अवहेलना एवं सूचनाएं अत्यधिक विलंब से उपलब्ध कराए जाने के संबंध में सूचना का अधिकार अधिनियम की धारा 20(1) के अंतर्गत शास्ति अधिरोपित किए जाने हेतु कारण बताओ नोटिस जारी किया गया था।
राज्य सूचना आयुक्त योगेश भटट ने सुनवाई के दौरान स्पष्ट किया कि लोक सूचना अधिकारी द्वारा प्रस्तुत स्पष्टीकरण से इसलिए भी संतुष्ट नहीं हुआ जा सकता। क्योंकि लोक सूचना अधिकारी के पास अपीलार्थी को सूचना उपलब्ध कराये जाने का पर्याप्त समय था, किंतु उनके द्वारा अपीलार्थी को सूचना उपलब्ध नहीं करायी गयी। लोक सूचना अधिकारी के उत्तर से इसलिए संतुष्ट नहीं हुआ जा सकता क्योंकि प्रथम अपीलीय अधिकारी के आदेश दिनांकित 17/05/2022 में दिये गये निर्देशों के बाद भी अपीलार्थी को कोई सूचना उपलब्ध नहीं करायी गयी, जो अत्यंत आपत्तिजनक है। प्रथम अपीलीय अधिकारी द्वारा भी उन्हें चेतावनी दी गई है। इससे यह प्रतीत हो रहा है कि सूचना का अधिकार अधिनियम, 2005 की अनदेखी की गई है। यह सूचना का अधिकार अधिनियम, 2005 की अवमानना की श्रेणी में आता है। लोक सूचना अधिकारी, डा० अविनाश खन्ना, मुख्य नगर स्वास्थ्य अधिकारी, नगर निगम, देहरादून को दिनांक 01/03/2023 को जारी कारण बताओ नोटिस की पुष्टि करते हुए उन पर 25,000 (रूपये पच्चीस हजार) की शास्ति अधिरोपित की जाती है।
सम्बन्धित अधिकारी आयोग के आदेश प्राप्ति के 03 माह कि अवधि समाप्त होने पर राजकोष में जमा करेंगे तथा उनके द्वारा उक्त राशि राजकोष में जमा न कराये जाने पर लोक प्राधिकारी / नगर आयुक्त, नगर निगम, देहरादून लोक सूचना अधिकारी, डा० अविनाश खन्ना, मुख्य नगर स्वास्थ्य अधिकारी, नगर निगम, देहरादून के वेतन / देयकों से कटौती कर तीन समान किश्तों में राजकोष में जमा करायेंगे तथा कृत कार्यवाही से आयोग को भी अवगत करायेंगे।
एमडीडीए के जेई पर भी जुर्माना
इसी प्रकार एक अन्य प्रकरण में तत्कालीन लोक सूचना अधिकारी / श्री निशान्त कुकरेती, सहायक अभियंता, मसूरी देहरादून विकास प्राधिकरण, ट्रांसपोर्ट नगर, सहारनपुर रोड, देहरादून एवं डीम्ड लोक सूचना अधिकारी / श्री प्रमोद जोशी, लिपिक, मसूरी देहरादून विकास प्राधिकरण, ट्रांसपोर्ट नगर, सहारनपुर रोड, देहरादून पर शास्ति की गई ₹10000-₹5000 की शास्ति आरोपित की गई।
अपीलार्थी द्वारा अपने अनुरोध पत्र दिनाँकित 15.03.2022 के माध्यम से लोक सूचना अधिकारी / मसूरी देहरादून विकास प्राधिकरण देहरादून से एम.डी.डी.ए. की 102 बोर्ड बैठक में एक पेट्रोल पम्प संचालन हेतु मानचित्र स्वीकृत प्राविधानों का अनुपालन किया गया अथवा नहीं के संबंध में सूचना चाही गयी।
लोक सूचना अधिकारी द्वारा अनुरोध पत्र दिनाँक 15.03.2022 के सापेक्ष कोई सूचना उपलब्ध न कराये जाने पर अनुरोधकर्ता द्वारा अपने पत्र दिनॉक 20.04.2022 के माध्यम से विभागीय अपीलीय अधिकारी / मसूरी देहरादून विकास प्राधिकरण देहरादून के समक्ष प्रथम अपील प्रस्तुत की गयी। विभागीय अपीलीय अधिकारी के आदेश के क्रम में लोक सूचना अधिकारी द्वारा मूल अनुरोध पत्र के सापेक्ष सूचनाएं अत्यधिक विलंब से उपलब्ध कराए जाने के संबंध में सूचना का अधिकार अधिनियम की धारा 20(10) के अंतर्गत शास्ति अधिरोपित किए जाने हेतु कारण बताओ नोटिस जारी किया गया था।
अपीलार्थी को सूचना उपलब्ध न करानें एवं सूचना के अधिकार को गम्भीरता से न लेते हुए अपीलार्थी को सूचना प्रदत्त किये जाने में किए गए अवरोध एवं पूरे दो माह के विलम्ब की पुष्टि होती है। धारा 20(1) के अंतर्गत इस विलंब हेतु रू० 250/- प्रतिदिन के हिसाब से रूपए 15,000/- (पन्द्रह हजार रूपए मात्र) की शास्ति निर्धारित की जाती है। अतः उक्त कारण बताओ नोटिस की पुष्टि करते हुए गुण-दोष के आधार पर समयान्तर्गत अपीलार्थी को सूचना उपलब्ध न कराये जाने के फलस्वरूप अधिनियम की धारा-20 (1) के अंतर्गत श्री प्रमोद जोशी लिपिक / डीम्ड लोक सूचना अधिकारी, मसूरी देहरादून विकास प्राधिकरण पर रूपये 5,000/- (पांच हजार रूपये मात्र), और लोक सूचना अधिकारी / श्री निशान्त कुकरेती, सहायक अभियन्ता, मसूरी देहरादून विकास प्राधिकरण पर रूपये 10,000/- (दस हजार रूपये मात्र), की शास्ति अधिरोपित की जाती है। जिसे वह सूचना का अधिकार अधिनियम, 2005 की नियमावली, 2013 के नियम – 11 (क) व (ङ) के अनुसार आयोग के आदेश के 01 माह की अवधि समाप्त होने पर आगामी माह में राजकोष में जमा करेंगे तथा उनके द्वारा उक्त राशि राजकोष में जमा न कराये जाने पर लोक प्राधिकारी / मसूरी देहरादून विकास प्राधिकरण उक्त राशि की कटौती श्री प्रमोद जोशी, श्री निशान्त कुकरेती के वेतन / देयकों से कटौती कर राजकोष में जमा करायेंगे तथा कृत कार्यवाही से आयोग को भी अवगत करायें।