उत्तराखंड शासन द्वारा आगामी 23 जनवरी को सचिवालय में सीएम धामी की अध्यक्षता में कैबिनेट बैठक प्रस्तावित हुई है। इस कैबिनेट बैठक में कई अहम मुद्दों पर चर्चा होना संभव माना जा रहा है। कई बड़े प्रस्ताव भी सामने आ सकते हैं।
नई आबकारी नीति को लेकर मंथन जहाँ अंतिम दौर में हैं,वहीं कई प्रकार की अलग अलग चर्चायें चरम सीमा पर है।
मौजूदा वर्ष 2023-24 में आबकारी विभाग को राजस्व अर्जन के लिये 3600 करोड़ रुपये का टारगेट दिया गया था,जिससे विभाग अभी 300 करोड़ रूपये से अधिक पीछे चल रहा है।
सचिवालय में आबकारी महकमे की नई आबकारी नीति को बीते दिनो संपन्न कैबिनेट से ठीक एक दिन पहले प्रेषित किया गया था, लेकिन इसमें कुछ बदलाव के लिये फिलहाल इसे रोका गया है।
शासन के कई बड़े अफसरो ने नई आबकारी नीति को लेकर फिलहाल किनारा करने में ही भलाई समझी है। बीते वर्ष भी आबकारी नीति बड़ी जद्दोजहद और तमाम प्रयासों के बाद ही आ सकी थी।
सूत्रों के मुताबिक आबकारी नीति में मौजूदा वित्तीय वर्ष के लिये लॉटरी कराने पर अधिक बल दिया जा रहा है।जबकि कुछ चर्चित खास मौजूदा ठेकों को रिन्वूल कराने के प्लान में अधिक दिलचस्पी दिखा रहे है।
आबकारी नीति को अधिक से अधिक हितकारी बनाने की चर्चाओं के बीच इस बार नीति निर्धाऱण से स्वयं महकमे के ही सीनियर अफसर किनारे है या किन्ही वजहों से किनारे कर दिये गये है।
जूनियर अफसरों के पास स्कीम तो बहुत सी ही है लेकिन सही आंकडे न होने की भी चर्चायें आम है। कैेंटीन के माध्मय से कितनी शराब का उठान किया गया इसकी भी जानकारी जुटाई जा रही है।
जबकि डेली वेजस के आधार पर कितने ठेके चले और क्या लाभ हानि हुई से लेकर 15 जनवरी तक मिले राजस्व की जानकारी जुटाई जा रही हैं।देश के अन्य राज्यो में शराब ठेको पर जो विवाद हुआ उससे कई वरिष्ठ अधिकारी बैकफुट पर भी नजर आ रहे है।
शासन स्थित सूत्रों की माने तो 23 जनवरी को प्रस्तावित कैबिनेट बैठक में नई आबकारी नीति आ सकती है।
जानकारों की मानें तो नए होटल रेस्टोरेंट आदि में बार लाइसेंस लेने पर फीस में कुछ रियायत की तैयारी हैं, जबकि जानकारों की ही मानें तो उत्तराखंड में इस वर्ष शराब के दामों में बढ़ोतरी हो सकती है।माना जा रहा है कि उत्तर प्रदेश की तर्ज पर यहां भी शराब की कीमत में 10 प्रतिशत तक वृद्धि की जा सकती है। इस वित्तीय वर्ष में आबकारी विभाग को 4000 करोड़ रुपये का राजस्व लक्ष्य दिया गया है। आबकारी विभाग प्रदेश में सबसे अधिक राजस्व देने वाले विभागों में शामिल है।