काशीपुर। सूदखोरो द्वारा आम गरीब लोगों के शोषण की खबरे सामने आती रहती हैं। जिसमें अधिकतर ऐसे सूदखोर शामिल है जो लोगों को रूपया उधार देने का कारोबार (साहूकारी कारोबार) करने के हकदार ही नहीं हैं।
ऐसा करना न केवल अवैध है बल्कि साहूकारी अधिनियम के अन्तर्गत दण्डनीय अपराध भी है। उधमसिंह नगर जिले में केवल 10 साहूकार ही रजिस्टर्ड है जो साहूकारी कार्य को नियमों के अन्तर्गत रहते हुये करने के हकदार हैं।
काशीपुर निवासी सूचना अधिकार कार्यकर्ता नदीम उद्दीन (एडवोकेट) ने शासन के वित्त विभाग से सूदखोरी कारोबार संबंधी नियम कानूनों तथा जिलाधिकारी उधमसिंह नगर कार्यालय से सूदखोरी के रजिस्ट्रेशन सम्बन्धी सूचना चाही थी। इसके उत्तर में उत्तराखंड शासन के लोक सूचना अधिकारी/अनुभाग अधिकारी मनोज कुमार सिंह तथा जिलाधिकारी उधमसिंह नगर कार्यालय के लोक सूचना अधिकारी/मुख्य प्रशासनिक अधिकारी गणेश चन्द्र आर्य ने सूचना उपलब्ध करायी है।
उपलब्ध उ0प्र0 साहूकारी विनियमन अधिनियम 1976 के अनुसार साहूकारी कारोबार करने वाले प्रत्येक व्यक्ति को रजिस्ट्रेशन कराना तथा समय-समय पर उसका नवीनीकरण कराना आवश्यक है। इसके अतिरिक्त उधार दिये गये पैसों के सम्बन्ध में रिकाॅर्ड रखना तथा इसका रिटर्न रजिस्ट्रार को प्रस्तुत करना भी अनिवार्य हैं।
जिलाधिकारी कार्यालय के लोक सूचना अधिकारी द्वारा उपलब्ध करायी गयी साहूकारों की पंजिका के अनुसार जिले में केवल दस साहूकार (सूद खोर) ही रजिस्टर्ड है। इसमें जसपुर तहसील क्षेत्र में कारोबार करने वाले 2, काशीपुर तहसील क्षेत्र में कारोबार करने वाले 1, रूद्रपुर तहसील क्षेत्र में कारोबार करने वाले 2, गदरपुर तहसील क्षेत्र में कारोबार करने वाले 1, किच्छा तहसील में कारोबार करने वाले 2 तथा सितारगंज तहसील में कार्य करने वाले 1 तथा खटीमा तहसील में कार्यरत 1 साहूकार ही शामिल है।
शासन द्वारा उपलब्ध करायी गयी साहूकारी अधिनियम की प्रति के अनुसार इसके साहूकारांें की मनमानी व शोषण पर प्रभावी रोक लगाने के प्रावधान शामिल हैं। इसके अध्याय 4 (धारा 10 से 14 तक) साहूकार के कर्तव्य और दायित्व का उल्लेख हैं। इसमें बिना मान्य रजिस्ट्रेशन कारोबार न करना, अमानतांे के सम्बन्ध में नकद परिसम्पत्तियां रखना, निर्धारित ब्याज दर से अधिक ब्याज न वसूलना, पूर्ण व सही हिसाब रखना, एक हजार रूपये से अधिक का प्रत्येक उधार चैक द्वारा दिया जाना शामिल हैं। इसके अतिरिक्त धारा 14 में चैक से न दिया गया एक हजार रूपये से अधिक के उधार के संव्यवहार को शून्य मानने तथा धारा 18 में बिना रजिस्ट्रेशन के साहूकारी कारोबार करने पर ऐसे उधार के लिये न्यायालय में मुकदमा दायर करने पर भी रोक लगायी गयी है। अधिनियम की धारा 22 में बिना रजिस्ट्रेशन कारोबार करने तथा अमानत के सम्बन्ध में नकद परिसम्पत्तियां न रखने तथा धारा 23 में कर्जदार को उत्पीड़ित करने के लिये सजा का प्रावधान भी किया गया है।
उपलब्ध करायी गयी उत्तराखंड साहूकारी विनियम नियमावली 2018 के नियम 12 के अनुसार साहूकार को अपने रजिस्ट्रेशन प्रमाण पत्र का प्रदर्शन कारोबार के मुख्य स्थान पर करना आवश्यक है। नियम 13 में साहूकार द्वारा लेखा पुस्तकों का रख रखाव तथा कर्जदार द्वारा मांगने पर दस्तावेज व खातों के विवरणों की प्रति रू. 2 प्रति पृष्ठ की दर से शुल्क लेकर मांगे जाने के 7 दिन के अंदर भेजी जाना जो डाक द्वारा भी भेजी जा सकती है का प्रावधान है। इसके अतिरिक्त रजिस्ट्रार को भी विवरणी (रिटर्न) भेजने को प्रत्येक साहूकार बाध्य हैं। नियम 21 के अनुसार रजिस्ट्रार या उपरजिस्ट्रार द्वारा साहूकारी के संबंधित लेखों और अन्य अभिलेखों का निरीक्षण किया जा सकता है।