देहरादून, 3 फरवरी 2025: राष्ट्रवादी रीजनल पार्टी ने आज देहरादून के दीनदयाल उपाध्याय पार्क में सख्त भू-कानून और मूल निवास अधिनियम 1950 को लागू करने की मांग को लेकर धरना प्रदर्शन किया। इस दौरान पार्टी कार्यकर्ताओं ने जोरदार नारेबाजी की और राज्य सरकार की भू-कानून संबंधी नीतियों पर अपना आक्रोश व्यक्त किया।
प्रदर्शनकारियों ने नायब तहसीलदार राजेंद्र सिंह रावत के माध्यम से राज्यपाल को एक ज्ञापन सौंपा। इसमें भू-कानूनों में हुए हालिया संशोधनों को रद्द करने और पंचायतों तथा विधानसभा सीटों पर प्रत्याशियों की अर्हता के लिए 1950 के मूल निवास अधिनियम को फिर से लागू करने की मांग की गई।
प्रमुख मांगें:
1. मूल निवास के लिए 1950 की कट-ऑफ तिथि लागू हो:पार्टी ने मांग की कि सरकारी नौकरियों और योजनाओं में 90% भागीदारी मूल निवासियों की सुनिश्चित की जाए।
2. मजबूत भू-कानून लागू हो:प्रदर्शनकारियों ने आगामी बजट सत्र में मजबूत भू-कानून लाने की मांग की, साथ ही कृषि भूमि को शहरी इस्तेमाल में बदलने से रोकने पर जोर दिया।
3. हालिया संशोधन रद्द किए जाएं:पार्टी ने 2018 के बाद भू-कानूनों में किए गए सभी संशोधनों को तत्काल प्रभाव से रद्द करने की मांग की, खासकर धारा-2 को हटाने की, जिसके कारण ग्रामीण क्षेत्रों को शहरी क्षेत्रों में शामिल किया गया और कृषि भूमि का ह्रास हुआ।
4. भूमि आवंटन में पारदर्शिता: पार्टी ने मांग की कि राज्य गठन के बाद से अब तक व्यक्तियों, संस्थानों और कंपनियों को आवंटित भूमि का ब्यौरा सार्वजनिक किया जाए। साथ ही, इन आवंटनों से उत्पन्न रोजगार के आंकड़े भी जनता के सामने लाए जाएं।
5. भूमि खरीद पर प्रतिबंध:प्रदर्शनकारियों ने ग्रामीण क्षेत्रों में भूमि की बिक्री पर पूर्ण प्रतिबंध लगाने और शहरी क्षेत्रों में 250 वर्ग मीटर से अधिक भूमि खरीदने की सीमा तय करने की मांग की। साथ ही, गैर-किसानों द्वारा कृषि भूमि खरीदने और गैर-पहाड़ी निवासियों द्वारा पर्वतीय क्षेत्रों में भूमि खरीदने पर रोक लगाने की बात कही।
6. गैरसैंण को स्थाई राजधानी घोषित किया जाए:पार्टी ने गैरसैंण को उत्तराखंड की स्थाई राजधानी घोषित करने की मांग को फिर से दोहराया।
7. स्थानीय लोगों को परियोजनाओं में भागीदारी: पार्टी ने मांग की कि पर्वतीय क्षेत्रों में शुरू होने वाली परियोजनाओं में भूमि अधिग्रहण या खरीद का 25% हिस्सा स्थानीय निवासियों के लिए और 25% जिले के मूल निवासियों के लिए आरक्षित किया जाए। साथ ही, इन परियोजनाओं में 80% रोजगार स्थानीय लोगों को दिया जाए।
नेताओं ने जताया आक्रोश:
पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष शिवप्रसाद सेमवाल ने राज्य सरकार की भू-कानून संबंधी नीतियों पर गंभीर आपत्ति जताई। उन्होंने कहा कि सरकार भू-कानून को लेकर गंभीर नहीं दिख रही है और इस मुद्दे पर स्पष्ट रुख अपनाने में विफल रही है।
राष्ट्रीय उपाध्यक्ष संजय डोभाल ने मांग की कि भू-कानून के मसौदे को विधानसभा में पारित करने से पहले जनता के सामने रखा जाए। उन्होंने भूमि आवंटन और उससे उत्पन्न रोजगार के आंकड़ों को पारदर्शी तरीके से सार्वजनिक करने की बात कही।
प्रदेश अध्यक्ष सुलोचना ईष्टवाल ने 250 वर्ग मीटर से अधिक भूमि खरीदने वालों के खिलाफ आपराधिक मुकदमा दर्ज करने की मांग की।
व्यापक आंदोलन की चेतावनी:
मूल निवास भू-कानून समिति के संयोजक प्रांजल नौडियाल ने चेतावनी दी कि यदि सरकार भू-कानून और मूल निवास को लेकर अपना रुख स्पष्ट नहीं करती है, तो पार्टी राज्य में व्यापक जन आंदोलन शुरू करेगी।
प्रमुख उपस्थित लोग:
इस प्रदर्शन में पार्टी के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष संजय डोभाल, प्रदेश अध्यक्ष सुलोचना ईष्टवाल, जिला अध्यक्ष उपेंद्र सकलानी, संगठन सह सचिव राजेंद्र गुसाई, प्रसार सचिव विनोद कोठियाल, सुरेंद्र चौहान, जगदंबा बिष्ट, शांति चौहान, मंजू रावत, बलबीर सिंह नेगी, गुलाब सिंह रावत, मनवीर भंडारी, शैलेंद्र गुसाई, देवेंद्र बेलवाल, रजनी कुकरेती, बसंती गोस्वामी, सुशीला बिष्ट, सोनम राणा, कुसुम खंकरियाल, रिंकी कुकरेती, सुभाष नौटियाल, यशोदा नौटियाल, सरोज नेगी, दयानंद मनोड़ी, राजवीर खत्री और कैप्टन प्रदीप उनियाल सहित कई कार्यकर्ता शामिल हुए।
प्रदर्शन के अंत में पार्टी ने सरकार से मूल निवासियों के अधिकारों की रक्षा करने और भू-संसाधनों को बचाने के लिए तत्काल कदम उठाने की अपील की। साथ ही, यह चेतावनी भी दी कि यदि सरकार ने जल्दी कार्रवाई नहीं की, तो आने वाले दिनों में राज्य में व्यापक जन आंदोलन शुरू हो सकता है।