थराली (चमोली)। थराली विकासखंड में खनन नियमों की धज्जियाँ उड़ती साफ नजर आ रही हैं। शासन द्वारा सूर्यास्त के बाद खनन और स्टोन क्रेशर संचालन पर रोक के स्पष्ट निर्देशों के बावजूद, क्षेत्र में रात के अंधेरे में बड़े-बड़े वाहन रेत और गिट्टी (चिप्स) का परिवहन करते देखे जा रहे हैं।
स्थानीय लोगों का कहना है कि सूर्यास्त के बाद भी स्टोन क्रेशर धड़ल्ले से संचालित हो रहे हैं और भारी वाहनों के ज़रिए रेत और गिट्टी को गढ़वाल से कुमाऊं तक पहुंचाया जा रहा है। इससे न केवल खनन नीति का उल्लंघन हो रहा है, बल्कि आम नागरिकों को भी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। रात के समय इन भारी वाहनों के संचालन से सड़क पर चलना आम राहगीरों के लिए जोखिम भरा हो गया है।
प्रशासन पर उठ रहे सवाल
यह सब स्थानीय प्रशासन की नाक के नीचे हो रहा है, लेकिन कार्रवाई के नाम पर अधिकारी आंखें मूंदे बैठे हैं। सवाल यह उठता है कि जब शासन की ओर से स्पष्ट निर्देश दिए गए हैं कि सूर्यास्त के बाद नदियों से खनन और स्टोन क्रेशर संचालन प्रतिबंधित है, तो फिर यह गतिविधियां कैसे हो रही हैं?
इतना ही नहीं, रेत और गिट्टी से भरे डंपर 100 से 150 किलोमीटर दूर तक, तमाम पुलिस चेक पोस्टों को पार करते हुए कैसे पहुंच जाते हैं — यह भी एक बड़ा सवाल है। क्या इन डंपरों को किसी की मिलीभगत का लाभ मिल रहा है या प्रशासनिक तंत्र की लापरवाही है?
जवाबदेही तय होनी चाहिए
स्थानीय लोगों की मांग है कि इस अवैध गतिविधि की उच्च स्तरीय जांच होनी चाहिए और दोषी अधिकारियों व स्टोन क्रेशर संचालकों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जानी चाहिए। अन्यथा यह समस्या न केवल पर्यावरण के लिए, बल्कि आम नागरिकों की सुरक्षा के लिए भी गंभीर खतरा बन सकती है।