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बदहाली : मूलभूत सुविधाओं के अभाव में यहां आदिमानव की तरह जीवन यापन करने को विवश लोग। अब करेंगे लोकसभा चुनाव बहिष्कार

चकराता ।नीरज उत्तराखंडी 

एक ओर जहां देश चाँद और मंगल  मिशन में  सफलता की गाथा लिख कर समूचे विश्व  को अचंभित कर रहा है,वही दूसरी ओर सीमांत गाँवों  में आजादी के सात दशक बाद भी जन सुविधाओं की किरण न पहुँचने से  दीपक तले अंधेरा वाली कहावत चरितार्थ हो रही है। 

मूलभूत सुविधाओं के अभाव  में सीमांतवासी आदिमानव की तरह जीवन यापन करने को विवश है । सरकार, जन प्रतिनिधियों,शासन प्रशासन की घोर उपेक्षा के चलते बदहाल स्थिति में जीवन जी रहे है,चकराता विकास खंड के उदावा गाँव के ग्रामीण।

यही वजह है उपेक्षा से आहत होकर अब ग्रामीण लोक सभा चुनाव का वहिष्कार करने का मन बना चुके हैं । 

इस संबंध में उन्होंने जिला अधिकारी देहरादून को ज्ञापन भेजकर सड़क निर्माण न होने तक गाँव  में  पोलिंग पार्टी न भेजे जाने  का निवेदन किया है।

बताते चलें कि जनपद देहरादून के पर्वतीय जनजाति क्षेत्र जौनसार बावर के ब्लाक मुख्यालय चकराता से तकरीबन 32 किलोमीटर की दूरी बसा पर एक छोटा सा गांव उदावां आज भी मूलभूत सुविधाओं से महरूम है। 

सड़क, स्वास्थ्य एवं संचार सेवाओं के अभाव  से यहां के वाशिदे आदिमानव की भाॅति जीवन बीता है।

प्राकृतिक ने इस गाँव को भले ही अपनी नेमतों से  सजाया संवारा हो लेकिन सरकार और नुमाइंदों और विभाग के अधिकारियों की घोर अनदेखी व उदासीनता  ने उपेक्षित रखा है।

 चारों ओर से देवदार के जंगल से गिरा हुआ यह गांव  समुद्र तल से 7000 फीट की ऊंचाई पर बसा है। 

देश को आजाद हुए आज  77 वर्ष व उत्तराखंड राज्य  निर्माण के 23 वर्ष  पूरे होने वाले है। लेकिन  उदावा गांव  आज तक  सड़क, संचार तथा  स्वास्थ्य सुविधा से महरूम है। 

सड़क  एंव  प्राथमिक स्वास्थ्य  उपचार न होने के कारण  कई बीमार  ग्रामीण आधे रास्ते  में दम तोड़ चुके हैं।   ग्रामीणों को आज  भी 10 किलोमीटर का रास्ता पैदल तय करना पड़ता है।

जिला अधिकारी को भेजे ज्ञापन में ग्रामीणों ने  लिखा है कि क्षेत्र के कई प्रतिनिधियों ने उन्हें आश्वासित किया लेकिन वन विभाग तथा लोक निर्माण विभाग की आपसी खींचतान तथा आरोप प्रत्यारोप के चलते 6 वर्षों से रोड स्वीकृत की फाइल लंबित पड़ है। 

300 आबादी वाला यह छोटा से गांव के वाशिदे  सड़क सुविधा की मांग को लेकर सरकारी दफ्तरों के चक्कर काट काट कर थक चुके हैं । लेकिन सरकार व जनप्रतिनिधियों   को ग्रामीणों  की समस्याओं से  कोई  सरोकार नहीं   है।

यही वजह है कि इस बार 2024 के चुनाव मे इस गांव ने एक बड़ा फैसला लिया है  रोड़ नहीं तो वोट नहीं

  ग्रामीणों  ने डीएम को ज्ञापन दिया है जिसमें  उदवां गांव में कोई पोलिंग  पार्टी ना भेजी जाए अगर भेजी जाती है तो वह उसका पुरजोर विरोध करेंगे  जब तक उनकी रोड उनके गांव तक नहीं पहुंचती है। 

फकीरा चौहान  स्नेही  का कहना है कि इस तरह का  फैसला बहुत पहले हो जाना चाहिए था लेकिन देर सवेर सही  यह निर्णय एक  स्वागत योग्य है। यह एक आवाम की आवाज का फैसला है। ताकि इस गांव की बुलंद आवाज सरकार तथा प्रतिनिधियों के कानों के पर्दे फाड़ने  में कामयाब हो।

उम्मीद की जानी चाहिए  डब्बल इंजन की सरकार सीमांत गाँव के वाशिदों की समस्या का संज्ञान  लेकर शीघ्र समाधान करेगी।

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