स्टोरी(कमल जगाती, नैनीताल):-
उत्तराखंड उच्च न्यायालय ने पुलिस के घोड़े शक्तिमान के केस में सी.जे.एम.देहरादून से बरी हुए पाँच आरोपियो के खिलाफ मुकदमा दर्ज करने और इस सम्बंध में केस की समस्त पत्रावली याचिकर्ता को दिलाए जाने को लेकर दायर याचिका पर सुनवाई करते हुए सरकार से 28 फरवरी तक जवाब पेश करने को कहा है। न्यायमूर्ति आर.सी.खुल्बे की एकलपीठ ने मामले में सुनवाई की ।
मामले के अनुसार होशियार सिंह बिष्ठ ने उच्च न्यायालय में याचिका दायर कर कहा है कि 14 मार्च 2016 को विधानसभा सत्र के दौरान भाजपा का धरना था। पुलिस ने इन लोगों को रिस्पना नदी पर रोक लिया था। इस समय यहां पर घुड़सवार पुलिस भी मौजूद थी।
झड़प के दौरान पुलिस का शक्तिमान घोड़े की टांग टूट गयी। जाँच करने पर पुलिस ने बलुआ करने के आरोप में गणेश जोशी, प्रमोद बोरा, जोगेंद्र सिंह पुंडीर, अभिषेक गौर और राहुल रावत के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया।
बाद में पुलिस ने इन पांचों अभियुक्तों को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया। इस दौरान सरकार ने केस वापस लेने के बाद दो बार प्रार्थरना पत्र दिया ,लेकिन न्यायालय ने केस वापस नही लेने दिया। कुछ समय बाद इन्हें जमानत पर रिहा कर दिया गया।
23 सितम्बर 2021 को देहरादून की सी.जे.एम.कोर्ट ने इन पांचो अभियुक्तों को सबूतों के अभाव में बरी कर दिया। याचिकाकर्ता का कहना है कि इन लोगों ने पशु क्रूरता की है, निचली अदालत ने इन्हें सबूतों के अभाव में बरी किया हुआ है जबकि इनके खिलाफ कई सबूत हैं । पुलिस की वीडियोग्राफी भी है जिसे अनदेखा किया गया। इसलिए इनके खिलाफ मुकदमा दर्ज करने के लिए उन्हें सी.जे.एम.कोर्ट देहरादून से केस की समस्त पत्रावली दिलाई जाय।
उच्च न्यायलय में याचिक दायर करने से पहले उन्होंने पत्रावली देने के लिए सी.जे.एम.कोर्ट में प्रार्थना पत्र दिया था, परन्तु उन्हें यह कहकर मना कर दिया कि वे इस केस में पक्षकार नहीं हैं।
याचिका में राज्य सरकार, डिस्ट्रिक्ट/सेशन जज देहरादून, गणेश जोशी, प्रमोद बोरा, जोगेंद्र सिंह पुंडीर, अभिषेक गौर और राहुल रावत को पक्षकार बनाया गया है।