देहरादून निवासी प्रमोद कुमार वात्सल्य लंबे समय से अपनी पुत्र की हत्या मामले में f.i.r कराने के लिए दर-दर ठोकरें खा रहे थे l
जिस पर अब पुलिस द्वारा इस मामले में मृतक की पत्नी व दो अन्य पर मुकदमा दर्ज कर लिया गया हैl
मृतक के पिता प्रमोद कुमार वात्सल्य ने पुलिस को धन्यवाद देने के साथ ही अपने बेटे विजय वात्सल्य की हत्या में शामिल सभी लोगों को कठोर से कठोर सजा दिलाने की मांग कीl
जानिए मामला:
प्रमोद कुमार वात्सल्य द्वारा दी गई तहरीर में पुलिस को बताया कि मेरे छोटे बेटे विजय वात्सल्य अमेरिका में नासा के साथ कार्य कर रहा था,उसका अपनी पत्नी से विवाद चल रहा था, जिस कारण वर्ष 2007 में उसने अपनी पत्नी प्राची के साथ अमरिकन कानून के हिसाब से विवाह विच्छेद करने हेतु आवदेन वहां के न्यायालय में प्रस्तुत किया हुआ थाl
इसी बीच वर्ष 2007 में विजय की मुलाकात सुनीता से shaadi.com पर हो गई। पहली पत्नी से हुआ विवाह विच्छेद पूरा होने से पूर्व ही विजय ने सुनीता के साथ भारत में हिन्दू रीति रिवाज के अनुसार दिनांक 08.05.2008 को विवाह सम्पन्न कर लिया।
सुनीता को इस बात का पता था कि जिस वक्त सुनीता और विजय का विवाह भारत में सम्पन्न हो रहा था, उस समय विजय भी विवाहित था और उसका विवाह पहली पत्नी से विच्छेद नही हुआ था।
सुनीता ने विजय से एक पुत्री भूमि को दिनांक 06 नवम्बर 2009 को जन्म दिया,इसके उपरान्त सुनीता ने विजय से एक पुत्र वसु को दिनांक 21.05.2012 को जन्म दिया। क्योंकि विजय अमेरिकी एम्बेसी में पहले से ही विवाहित था इसलिये सुनीता को अमेरिका जाने का वीजा पहली बार नहीं मिल पाया।
दूसरी बार जब पुनः सुनीता के अमरिका जाने के लिये आवेदन दिया गया तो लोकल इन्वेस्टिगेटिंग की रिपोर्ट नेगेटिव आने के कारण पुन: सुनीता का अमरिका का वीजा आवेदन पत्र निरस्त कर दिया गया, जिस कारण विजय अकेला ही अमरिका चला गया।
मृतक के पिता प्रमोद वात्सल्य द्वारा आगे बताया गया कि वर्ष 2011 में सुनीता ने विजय को अमेरिका से वापस भारत सेटल होने के लिये बुलाया,जिसके उपरान्त मई-जून 2011 में विजय भारत वापस आ गया।
सुनीता को इस बात का पता था कि उसका जो विवाह हो रखा था यह विधिक रूप से मान्य नहीं था,जिस कारण सुनीता मेरे बेटे विजय पर दबाव बनाती थी कि वह उसकी नाम की सम्पति सुनीता के नाम पर कर दे लेकिन विजय ने ऐसा नहीं किया, जिस कारण विजय और सुनीता के मध्य आपसी मतभेद बने रहते थे।
प्रमोद वात्सल्य ने आगे बताया कि वर्ष 2013 में विजय ने एक फ्लैट स्थित अलोहा ऋषिकेश में क्रय किया, जिसके बाद विजय ने अलोहा में स्थित अन्य फ्लैटों को किराये पर देकर होटल का कार्य शुरू कर दिया। जिसमें सुनीता ने अपने परिवार के सदस्य आदित्य को भी शामिल कर दिया।
विजय का अलोहा होटल का सारा कार्य ज्यादातर आदित्य ही सम्भाला करता था, क्योंकि सुनीता ने ही ऐसा करने का कहा था।
वर्ष 2016 में प्रमोद वात्सल्य की पत्नी ने अपने स्वामित्व की समस्त सम्पति विजय व संजय के नाम पर कर दी। मार्च 2018 में विजय अपने परिवार के साथ ऋषिकेश से इन्जीनियर एन्क्लेव, राजपुर रोड, देहरादून में आकर निवास करने लगा। अक्टूबर 2020 में प्रमोद वात्सल्य भी अपने बेटे के देहरादून स्थित घर में आकर रहने लगे।
जिस दौरान प्रमोद वात्सल्य विजय के साथ राजपुर स्थित उसके घर में रह रहे थे और उस समय सुनीता का व्यवहार अत्यधिक लालची हो गया और वह चाहती थी कि मैं अपनी सारी सम्पत्ति उसके नाम पर कर दूंl
सुनीता द्वारा विजय पर इतना दबाव बनाया जाता था कि विजय मेरे से लड़ाई झगड़ा करे और मुझ पर दबाव बनाये कि मैं अपनी जीवनभर कमाई हुई सम्पति उनके नाम पर कर दूं।
उनके दबाव में आकर दिसम्बर माह में प्रमोद वात्सल्य ने अपने 9350 वर्गमीटर सम्पति स्थित मौजा भण्डारगाँव, देहरादून का उपहारपत्र अपने बेटे विजय के नाम पर कर दिया। इस सम्पूर्ण भूमि की कीमत तकरीबन दस करोड़ रुपये है।मई 2022 में विजय और उसका परिवार व प्रमोद वात्सल्य खुद 199/ सी-1, राजपुर रोड, विपरीत तिब्बतन कैफे में आकर रहने लगे। इसी दौरान विजय ने 12 फ्लैट निर्माण कार्य सीमा डेन्टल के पास करना आरम्भ किया।
दिनांक 14.08.2022 को विजय को हार्टअटैक आया,जिसके उपरान्त वह कई दिन तक मैक्स अस्पताल में भर्ती रहा । घर वापस आने के उपरान्त सुनीता विजय पर दबाव बनाने लगी कि वह अपनी सारी सम्पति सुनीता के नाम कर दे,जिस कारण क्लेश का महौल घर में बना रहता। सुनीता का भतीजा आदित्य भी घर पर ही रहता था।
प्रमोद वात्सल्य ने दिनांक 08.11.2022 को लगभग 06:30 बजे शाम के वक्त सुनीता और आदित्य को बात करते सुना कि वह लोग विजय के दूध में, जो वह शाम को पीता था उसमें कुछ मिला रहे थे और आदित्य स नीता से कह रहा था कि कुछ ही दिनों में पुनः विजय की हृदयगति रुक जायेगी।
जब प्रमोद वात्सल्य ने इस बात का विरोध किया और विजय को यह बात बताई तो सुनीता और आदित्य ने उनके साथ लड़ाई झगड़ा करना शुरु कर दिया और बुराभला कहने लगे और कहने लगे कि उनके कान खराब हो गये हैं और उन्हें बिन कही बातें सुनाई दे रही है।
प्रमोद वात्सल्य ने विजय को अपनी बात समझाने का बहुत प्रयास किया, परन्तु विजय ने बात नहीं मानी। अगले दिन दिनाक 09.11.2022 को पुन: सुनीता और आदित्य ने प्रमोद वात्सल्य के साथ लड़ाई झगड़ा किया और अपशब्द कहे और घर से निकाल दिया। जिसके बाद प्रमोद आनन्द मार्ग आश्रम, थानों में जाकर रहने लगा।
आगे प्रमोद वात्सल्य बताते हैं कि मेरे द्वारा पूर्व में गंगा वाटिका स्थित फोटेज का अपना भाग भी विजय के नाम पर पूर्व में कर चुका था। दिनांक 12.12.2022 को विजय ने मुझे कहा कि यह कोटेज न0-11 हमें विक्रय करना है,जिस कारण मुझे भी देवप्रयाग जाने की आवश्यकता है। उसके कहने पर मैं भी यह कोटेज विक्रय करने के लिये देवप्रयाग चला गया। विजय ने यह कोटेज तीन करोड पाँच लाख रुपये में विक्रय किया जिसका सम्पूर्ण विक्रयफल अपने पास ही रखा।
दिनांक 25.12.2022 को मुझे मेरे ज्येष्ठ पुत्र का फोन आया कि विजय वात्सल्य की तबीयत खराब है और यह मैक्स अस्पताल में भर्ती है। क्योंकि मेरी उम्र 84 वर्ष है मैने अपनी क्षमता के अनुसार छानबीन करने का पूरा प्रयास किया।
सुबह होने पर मैने अपने जानकार की मदद मागी और उनको मुझे मैक्स अस्पताल ले जाने का आग्रह किया और मैं अपने जानकार अरविन्द आनन्द के साथ मैक्स अस्पताल देहरादून पहुंचे तो वहां पर पहुँचने पर पता चला कि विजय की मृत्यु हो चुकी है और उनको कोरोनेशन अस्पताल मोरचरी में पोस्टमार्टम हेतु ले जाया जा चुका है। जब मैं और मेरे जानकार कोरोनेशन अस्पताल पहुंचे तो जल्दी ही पोस्टमार्टम खत्म कर दिया गया था और उसके बाद मेरे बेटे के शव को अपने जावन स्थित निवास ले जा रहे थे।
निवास पर पहुंचने पर प्रमोद वात्सल्य ने सुनीता व आदित्य से निवेदन किया कि यह बेटे के अन्तिम दर्शन करने दे। परन्तु वह लोग अत्यधिक आक्रोश और हडबडाहट में आ गये और विजय को अन्तिम स्नान भी नहीं कराया।
मृतक के पिता प्रमोद वात्सल्य ने सुनीता और आदित्य से अनुरोध किया कि यह लोग कुछ देर के लिय शव को घर पर ही रख ले,जिससे कि उनका ज्येष्ठ पुत्र व परिवार के अन्य सदस्य भी आकर अन्तिम दर्शन कर ले, परन्तु सुनीता को बहुत जल्दबाजी थी जिस कारण उसने उनका अनुरोध स्वीकार नहीं किया और जल्दबाजी में मृतक विजय के शव को नालापानी शमशान घाट ले गये।
मृतक के पिता प्रमोद वात्सल्य ने अपने ज्येष्ट संजय बात्सल्य को इस बात की जानकारी दी,जिसने अपने फोन नम्बर 9719314288 से 112 नम्बर पर फोन करके भी इतिला दी कि उनके भाई के शव को अत्यधिक जल्दबाजी में शमशान घाट में जलाया जा रहा है, जबकि उन लोगों को पता है कि विजय बात्सल्य को उसकी पत्नी सुनीता व आदित्य ने एक राय होकर साजिश रचते हुये खाने पीने में कुछ ऐसी दवा मिलाकर दी है जिससे कि उसकी हृदय गति रुक जाये। उस समय प्रमोद वात्सल्य का ज्येष्ठ पुत्र भिवाड़ी, राजस्थान से देहरादून आ रहा था। ज्येष्ट पुत्र के फोन करने के उपरान्त मौके पर पुलिस तो गई पर तमाशीन बनी खड़ी रही और मेरे अनुरोध करने के उपरान्त भी विजय के शव को जलने से नहीं रोक पाई l
प्रमोद वात्सल्य बताते हैं कि मेरे द्वारा शमशान घाट पर सुनीता व अन्य लोगों से इसलिये भी अनुरोध कि वह मेरे बेटे को अग्नि अर्पित ना करें क्योंकि मेरे बेटे ने मृत्यु उपरान्त अपने अंगो को दान किया हुआ था परन्तु जल्द बाजी में कहीं पुनः पोस्टमार्टम ना हो सके इस कारण सुनीता ने विजय के शव को जल्दबाजी में आग लगा दी और मुझसे व मेरे परिजनों से धक्का मुक्की व लड़ाई झगड़ा करने लगी। उस समय शमशान में इनके साथ 18-20 अन्य असामाजिक लोग मौजूद थे जो एक बुजुर्ग बाप को अपने बेटे के अंतिम दर्शन करने से रोक रहे थे। तभी प्रमोद वात्सल्य के ज्येष्ठ पुत्र व परिवार के अन्य लोग शमशान घाट पहुँचे, तब तक शव को आग लग चुकी थी।
मृतक के पिता प्रमोद वात्सल्य ने पुत्र की पत्नी सुनीता सुनीता के भतीजे आदित्य व अन्य लोगों के एक राय होकर साजिश रचकर मारने का आरोप लगायाl