पर्वतजन
  • Home
  • उत्तराखंड
  • सरकारी नौकरी
  • सरकारी योजनाएं
  • टेक
  • वेल्थ
  • आधार कार्ड
  • हेल्थ
  • मौसम
  • Web Stories
No Result
View All Result
  • Home
  • उत्तराखंड
  • सरकारी नौकरी
  • सरकारी योजनाएं
  • टेक
  • वेल्थ
  • आधार कार्ड
  • हेल्थ
  • मौसम
  • Web Stories
No Result
View All Result
पर्वतजन
No Result
View All Result
Home पर्वतजन

गलत हाथों में जा रहा ई-कचरा

October 22, 2017
in पर्वतजन
ShareShareShare

Advertisement
ADVERTISEMENT

विनोद कोठियाल//

यह जानकारी बहुत कम लोगों को ही होगी कि घरों से और सरकारी, गैर सरकारी संस्थानों से निकलने वाला इलेक्ट्रिकल और इलेक्ट्रोनिक अपशिष्ट का प्रयोग आतंकी बम बनाने और अन्य प्रकार के विस्फोटों के लिए भी कर सकते हैं।
इस संबंध में आतंकी संगठन आतंकियों को प्रॉपर टे्रनिंग भी देते हैं कि किस प्रकार से निष्प्रयोज्य इलेक्ट्रिकल और इलेक्ट्रॉनिक सामान का प्रयोग विस्फोटों के रूप में किया जा सकता है। राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर विभिन्न गोष्ठियों के मंथन के बावजूद सरकारों ने यह फैसला लिया कि ई कचरा का निस्तारण यदि वैज्ञानिक विधियों द्वारा नहीं किया गया तो आने वाले समय में इसके गंभीर परिणाम भुगतने पड़ेंगे। इसी के मद्देनजर वर्ष २०१६ में भारत सरकार द्वारा एक सर्कुलर सभी राज्यों को जारी किया गया है।
कैसे किया जाता है ई अपशिष्ट (ब्लक)
ई अपशिष्ट को निस्तारित करने के कई स्तर हैं। अलग-अलग स्तर पर अलग-अलग प्रक्रिया अपनाई जाती है। ई अपशिष्ट निस्तारित यूनिटों में इसे पहले मैनुअली अलग-अलग किया जाता है। फिर जिन उपकरणों के ठीक होने की संभावना रहती है, उन्हें ठीक करके बाजार में भेज दिया जाता है। दूसरे स्तर पर ई अपशिष्ट को तोड़कर धातुओं को अलग-अलग किया जाता है। जैसे कोबाल्ट, लोहा, स्टील, एल्युमिनियम तथा कांच को पृथक-पृथक किया जाता है। फिर इसे संबंधित धातु की भट्टी में पिघलाकर रिसाइकिल करने तक का पूरा प्रावधान होता है। इस विधि से कचरे का पूर्ण रूप से निस्तारण हो जाता है, जबकि साधारण कबाड़ का कार्य करने वाले द्वारा यह पूरी प्रक्रिया को अपनाया जाना संभव नहीं है।
भारत सरकार द्वारा मार्च २०१६ में एक अधिसूचना जारी की गई थी। जिसके अनुसार किसी विभाग, संस्थान, स्कूलों, कालेजों के साथ ही सभी सरकारी और गैर सरकारी विभागों से व घर से उत्पन्न होने वाला इलेक्ट्रिकल और इलेक्ट्रोनिक कचरा, जिसे ई कचरा के नाम से भी जाना जाता है, को निस्तारण करने के लिए किसी पंजीकृत संस्था, जिसके पास ई कचरा को निस्तारण करने की पर्याप्त व्यवस्था हो, को ही दिया जाना अनिवार्य किया गया है, किंतु इस संबंध में प्रदेश सरकार ने कोई सर्कुलर जारी नहीं किया। वैश्विक स्तर पर कचरा दुनिया के लिए एक बड़ी चुनौती बनी हुई है। इसी से निपटने के लिए अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर इसका निस्तारण करने के लिए कार्य योजना बनी है। जिसके अंतर्गत इसका निस्तारण पंजीकृत फर्म द्वारा ही किया जा सकता है, जो कि इस कचरे को अंतिम स्तर तक निस्तारित कर सके।
इसी क्रम में भारत सरकार द्वारा अधिसूचना २३ मार्च २०१६ को जारी की गई थी, किंतु प्रदेश में अभी तक इसका कोई असर नहीं हुआ। राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर यह पाया गया है कि ई कचरा से आतंकी सामान को इक_ा करके बम बनाने में प्रयोग करने के साथ ही आतंकी गतिविधियों में प्रयोग करते हैं। इसी समस्या से निजात पाने के लिए सरकार ने यह निर्णय लिया कि जो भी फर्म, कंपनी इसका विधिवत निस्तारण करेगी, उसी को ई कचरा देने का प्रावधान रहेगा। इसी संबंध में उत्तराखंड में दो यूनिट लगी हैं, किंतु लाखों रुपए खर्च करने के बाद भी इन यूनिटों के सामने रोजी-रोटी का संकट मंडरा रहा है। इन्हें आज तक ई-कचरा नहीं मिल रहा है। लोगों में और विभागों में जानकारी न होने के कारण वे ई कचरा कबाड़ी को बच रहे हैं और कबाड़ी बहुत ऊंचे दामों में इन यूनिटों में यह सामान बच रहे हैं। जिस कारण यह यूनिटें लगातार घाटे की ओर बढ़ती जा रही हैं।
कबाड़ का कारोबार करने वाले लोगों को जानकारी के अभाव में यह सामान किसके हाथों में जा रहा है, इसका उन्हें कोई अंदाजा नहीं है न ही उन्हें यह पता है कि उनके द्वारा बचे गए ई कचरे का पूर्ण रूप से निस्तारण हो पाया कि नहीं या कोई दुरुपयोग तो नहीं किया गया।
जब अंतर्राष्ट्रीय और राष्ट्रीय स्तर पर इस प्रकार की बहस जारी हो और प्रदेश सरकार चैन की नींद सो रही हो तो यह समझ से परे है। भारत सरकार द्वारा ई कचरे को किसी निर्धारित संस्था, फर्म को न बेचे जाने से कम से कम पांच साल की सजा का प्रावधान है, किंतु इस संबंध में लोगों को जानकारी न होने के कारण ई कचरा अभी भी कबाड़ी को ही बेच रहे हैं, जिसका दुरुपयोग होना निश्चित है।

Previous Post

नौ की लकड़ी, नब्बे खर्च, फिर कैसे दूर होगा मर्ज!

Next Post

सरकार ही चला रही अवैध स्लाटर हाउस!

Next Post

सरकार ही चला रही अवैध स्लाटर हाउस!

Leave a Reply Cancel reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *






पर्वतजन पिछले २3 सालों से उत्तराखंड के हर एक बड़े मुद्दे को खबरों के माध्यम से आप तक पहुँचाता आ रहा हैं |  पर्वतजन हर रोज ब्रेकिंग खबरों को सबसे पहले आप तक पहुंचाता हैं | पर्वतजन वो दिखाता हैं जो दूसरे छुपाना चाहते हैं | अपना प्यार और साथ बनाये रखिए |
  • UPSC EPFO भर्ती 2025: 230 पदों पर आवेदन शुरू। जानें योग्यता, उम्र सीमा, वेतन और चयन प्रक्रिया
  • वीडियो: नैनीझील में मछलियों की रहस्यमयी मौत। कैटफिश मंगुरा पर उठे सवाल..
  • त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव: दूसरे चरण में 70% मतदान। अब 31 को खुलेगी प्रत्याशियों की किस्मत 
  • बड़ी खबर: दून को मिलेगा नया फ्लाईओवर, जाम से मिलेगी निजात..
  • PM Kisan Yojana 20वीं किस्त: इस दिन आ सकती हैं ₹2000 !
  • उत्तराखंड
  • टेक
  • पर्वतजन
  • मौसम
  • वेल्थ
  • सरकारी नौकरी
  • सरकारी योजनाएं
  • हेल्थ
July 2025
M T W T F S S
 123456
78910111213
14151617181920
21222324252627
28293031  
« Jun    

© 2022 - all right reserved for Parvatjan designed by Ashwani Rajput.

No Result
View All Result
  • Home
  • उत्तराखंड
  • सरकारी नौकरी
  • सरकारी योजनाएं
  • टेक
  • वेल्थ
  • आधार कार्ड
  • हेल्थ
  • मौसम
  • Web Stories

© 2022 - all right reserved for Parvatjan designed by Ashwani Rajput.

error: Content is protected !!