उत्तरा बहुगुणा प्रकरण पर अपनी हेकड़ी पर कायम मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र रावत द्वारा पूरी प्रदेश सरकार तथा भाजपा की देशव्यापी किरकिरी कराए जाने के बाद आखिर सरकार बैकफुट पर आ गई है।
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पर्वतजन के पास विश्वसनीय सूत्रों के अनुसार सरकार के सभी सलाहकारों, मीडिया मैनेजरों और सरकारी प्रवक्ता मदन कौशिक तक के फेल हो जाने के बाद यह राय बन रही है कि विकास नगर के विधायक मुन्ना सिंह चौहान सरकार के हनुमान बनेंगे और सुलह का प्रस्ताव लेकर उत्तरा बहुगुणा से मिलने भेजे जाएंगे।
दिलचस्प तथ्य यह है कि एक दिन पहले मुन्ना सिंह चौहान सरकार के पक्ष में पूरी तरह तर्कों- कुतर्कों के साथ उत्तरा बहुगुणा के विरोध में लामबंद थे, अब वह किन तर्कों के साथ सरकार को गलत ठहराते हुए उत्तरा बहुगुणा को मनाने जाएंगे !
आज सरकार का कोई भी प्रतिनिधि कुछ नहीं बोलेगा लेकिन कल संभवत: दिन 11:00 बजे तक सरकार अपना पक्ष मीडिया के सामने रखेगी।
इसमें दिल्ली स्थित सूत्रों के द्वारा यह तय किया गया कि उत्तरा बहुगुणा के पास किसी समझ बूझ वाले ऐसे व्यक्ति को भेजा जाए जो सरकार की समस्या को अपनी समस्या समझ कर वार्तालाप करें।
फिर यह तय किया गया कि मुन्ना सिंह चौहान ही संकटमोचक साबित हो सकते हैं। गौरतलब है कि राज्य के शिक्षा मंत्री वर्तमान में प्रदेश से बाहर हैं। आज वह चंडीगढ़ में हैं। उन्होंने सुबह चंडीगढ़ से ही अपने ड्राइवर के नंबर से देहरादून स्थित सूत्रों के द्वारा उत्तरा बहुगुणा से बातचीत की तथा उत्तरा बहुगुणा को दीदी कहते हुए सॉरी कहा और कहा कि दीदी जो कुछ हुआ, वह सब दुर्भाग्यपूर्ण था और मुख्यमंत्री को यह सब नहीं करना चाहिए था।
जाहिर है कि दिल्ली से सरकार को जबरदस्त डांट पड़ चुकी है। किंतु यदि यह थोड़ा पहले हो जाता तो इतना डैमेज नहीं होता।
शिक्षा मंत्री अरविंद पांडे ने शिक्षिका को आश्वासन दिया कि वह 3 जुलाई को देहरादून पहुंचने पर पीड़ित महिला से मुलाकात करेंगे और उनके पूरे प्रकरण की जांच करके उनको न्याय जरूर दिलाएंगे। शिक्षा मंत्री की बातचीत से उत्तरा बहुगुणा के तेवर अब काफी हद तक शांत पड़ चुके हैं।
जाहिर है कि भाजपा हाईकमान ने पूरे मामलेे का संज्ञान लेने केेेे बाद इसको सुल्टाने के निर्देश दिए थे। इससे पहले जब अध्यापिका से यह पूछा गया कि मुख्यमंत्री तथा अन्य मंत्रियों की पत्नियां भी सुुगम में तैनात है, तब उत्तरा बहुगुणा ने आश्चर्य जताते हुए कहा कि उन्हें यह बात पता नहीं थी अन्यथा वह और भी अधिक बिफरती।
उत्तरा ने उल्टे सवाल दागा कि आखिर इस बात का क्या औचित्य है कि जिसका यहां घर ही नहीं है और वह देहरादून में किराए में रह रहा है, उसे देहरादून में स्थानांतरण क्यों चाहिए ! जबकि उसका तो ससुराल और घर दोनों देहरादून में है। सोशल मीडिया पर शुरू से ही बुद्धिजीवी मुख्यमंत्री को निलंबन निरस्त करने की नसीहत दे रहे थे, किंतुु मुख्यमंत्री अपने अहम पर कायम रहे।
बहरहाल देर में ही सही किंतु सरकार के रोल बैक करने के बाद यह उम्मीद जताई जा रही है कि संभवत: ट्रांसफर एक्ट के नाम पर चल रही तमाम मनमानियों पर लगाम लग सकेगी। और आइंदा शायद ही सरकार ट्रांसफर के नाम पर कोई घालमेल करने का दुस्साहस कर पाएगी।