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सबसे बड़ा जुमला : एक महीने में सात पत्रकारों पर नाजायज मुकदमे कराके त्रिवेंद्र का ट्वीट “पत्रकारों की स्वतंत्रता का पक्षधर हूं।”

June 5, 2020
in पर्वतजन
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एक महीने में उत्तराखंड के पत्रकारों के खिलाफ मुकदमे दर्ज हुए हैं यह मुकदमें बिल्कुल नाजायज हैं और अव्यवस्थाओं के खिलाफ आवाज उठाने तथा सही खबर छापने के चलते हुए हैं।

पत्रकारिता के जयचंद फिर भी चरण वंदना मे

यह मुकदमे एक तरीके से सरकार की नाकामियों को उजागर होने से दबाने के लिए कराए गए लेकिन उत्तराखंड के मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत सीना ठोक कर ट्वीट कर रहे हैं कि वे हमेशा से प्रेस की स्वतंत्रता के पक्षधर रहे हैं। संभवत मुख्यमंत्री को यह लगता है कि उनके खरीदे हुए पत्रकार इस बात को बढ़ा चढ़ाकर लिखेंगे लेकिन यह बात साफ समझी जानी चाहिए कि जो भी पत्रकार मुख्यमंत्री की इस बात की तारीफ करेगा वह पत्रकारिता जगत का जयचंद ही साबित होगा।

त्रिवेंद्र का ट्वीट : चोरी भी , सीना जोरी भी

त्रिवेंद्र सिंह रावत ने ट्वीट करके कहा है कि ,-“स्वयं पत्रकारिता का विद्यार्थी होने के नाते मैं हमेशा से प्रेस की स्वतंत्रता का पक्षधर रहा हूं। लोकतंत्र की एक आधारभूत स्तंभ होने के नाते आप सभी समालोचना एवं आलोचना के अधिकारी हैं। सरकार और प्रशासन के काम के वाचड़ोग होने के नाते आपका अधिकार भी है और कर्तव्य भी।”

यह तो आपने पढ़ा अभी तक त्रिवेंद्र सिंह रावत का ट्वीट। लेकिन इसकी हकीकत क्या है !

आइए हम आपको बताते हैं।

हकीकत यह है कि त्रिवेंद्र सिंह रावत और उनकी पूरी सरकार जहां इस पूरे लॉक डाउन के दौरान खुद भी लॉक डाउन रही, वहीं उनके अधिकारी फील्ड में बिल्कुल ही नकारा साबित हुए।

यही कारण है कि कोरोना के मरीज दिन प्रतिदिन बढ़ते जा रहे हैं और पूरे हिमालयी राज्यों में हम नंबर वन पर है।

लेकिन सरकार और सरकार के अधिकारी इस मामले को दबा रहे हैं। हरिद्वार के 3000 से अधिक सैंपल रिपोर्ट के जांच न कराकर और उत्तराखंड में लगभग 8000 सैंपल की टेस्टिंग रिपोर्ट न कराकर तथा आंकड़े दबाकर उत्तराखंड सरकार बताना चाहती है कि उत्तराखंड में कोर्णाक के आंकड़े कब है जब जाती नहीं कर आओगे तो को रोना के आंकड़े कहां से निकल कर आएंगे सैंपल लेकर रख दोगे तो आंकड़े कैसे दिखेंगे और यदि कोई पत्रकार इन खामियों को बताएगा तो त्रिवेंद्र सिंह रावत तुरंत मुकदमा दर्ज करा देंगे।

पोल तो उत्तरा बहुगुणा के मामले ही खुल गयी थी

अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का त्रिवेंद्र सिंह रावत कितना सम्मान करते हैं जहां सभी लोग पूरी दुनिया उत्तरा बहुगुणा के प्रकरण में साक्षात देख चुकी है वह त्रिवेंद्र सिंह रावत का असली रूप था, कि वह अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का आखिर कितना सम्मान करते हैं।

एक और त्रिवेंद्र सिंह रावत कुछ न्यूज़ पोर्टल को पांच ₹5लाख का विज्ञापन देकर खरीद लेते हैं तथा जो त्रिवेंद्र सिंह रावत के दबाव में नहीं आते, उनके खिलाफ मुकदमा करा देते हैं।

एक महीने मे सात मुकदमे और सीएम पत्रकारों के पक्षधर

अपनी विधानसभा के पत्रकार को नही बख्शा

उदाहरण के तौर पर पत्रकारों में सबसे पहला मुकदमा डोईवाला जो कि मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत की विधानसभा है, वहां के एक साफ छवि के पत्रकार रजनीश सैनी के खिलाफ दर्ज किया गया।

रजनीश सैनी ने अपने न्यूज़ पोर्टल में सिर्फ इतना लिखा था कि हरिद्वार में डोईवाला का एक कोरोनावायरस संदिग्ध मिला है।

यह खबर दैनिक जागरण अखबार ने भी पब्लिश की थी किंतु हरिद्वार की नकारा मुख्य चिकित्सा अधिकारी सरोज नैथानी ने रजनीश सैनी के खिलाफ मुकदमा दर्ज करा दिया।

जबकि रजनीश सैनी की इस खबर पर जब प्रशासन ने आपत्ति जाहिर की थी तो रजनीश सैनी ने वह खबर भी तत्काल हटा दी थी, लेकिन इसके बावजूद उनके खिलाफ मुकदमा कायम है।

ऊधमसिंह नगर मे दमन

इसके बाद आपको लिए चलते हैं उधम सिंह नगर के एक पत्रकार पर हुए मुकदमे की तरफ यह पत्रकार दिनेशपुर में एक नाबालिक शादी को रुकवाने पहुंची पुलिस के साथ कवरेज करने गया था।

पुलिस ने नाबालिक शादी कराने वालों के खिलाफ नाबालिग शादी के अपराध अधिनियम में कोई मुकदमा तो दर्ज नहीं किया, उल्टा कवरेज करने पर पत्रकार के खिलाफ जरूर मुकदमा दर्ज कर दिया था।

पत्रकारों ने बहुत सर मारा लेकिन प्रशासन से लेकर सरकार तक कोई सुनने को राजी नहीं।

हरिद्वार मे दमन

तीसरा मुकदमा हरिद्वार में संडे पोस्ट के पत्रकार एहसान अंसारी के खिलाफ दर्ज किया गया। एहसान अंसारी के धाकड़ पत्रकारिता लिए जाने जाते हैं। स्थानीय पुलिस अधिकारी के साथ रंजिश के चलते उसने एहसान अंसारी को षड्यंत्र मुकदमा दर्ज करा दिया।

एहसान अंसारी मुकदमा दर्ज होने के बाद से जेल में हैं।

कोटद्वार मे किरकिरी बने पत्रकारों पर मुकदमा

कोटद्वार में रसूखदार और प्रभावशाली लोगों की आंखों की किरकिरी बनी पत्रकार अंजना गोयल के खिलाफ भी पुलिस ने मुकदमा दर्ज कर दिया। अंजना गोयल पर आरोप है कि उन्होंने ट्रांसपोर्ट व्यवसाई से ज्यादा दामों पर बिहार जाने के लिए मजदूरों के लिए गाड़ियां करवाई थी किंतु किसी भी मजदूर ने इसकी शिकायत पुलिस में नहीं की लेकिन पुलिस ने इसके बावजूद मुकदमा दर्ज कर दिया। यह सारी कारस्तानी उन लोगों के द्वारा की गई जिनकी आंखों की किरकिरी विगत काफी लंबे समय से अंजना गोयल बनी हुई थी।

अवैध खनन पर कुछ नही, पत्रकारों पर मुकदमा

अब आते हैं कोटद्वार के ही सोशल एक्टिविस्ट और पत्रकार मुजीब नैथानी तथा राजीव गौड़ के मुद्दे पर। राजीव गौड़ और मुजीब नैथानी काफी दिनों से कोटद्वार में अवैध खनन को की खबरें बाकायदा फेसबुक लाइव के जरिए दिखा रहे थे।

इसके चलते कोटद्वार में कई डम्पर भी पुलिस ने सील किए लेकिन आखिर में खनन माफिया भारी पड़ा और पुलिस ने इन दोनों पत्रकारों के खिलाफ भी मुकदमा दर्ज कर दिया।

गौरतलब है कि कुछ समय पहले राजीव गौड़ के खिलाफ कोटद्वार के एसडीएम ने भी लाॅक डाउन के उल्लंघन का मुकदमा दर्ज कराया था। किंतु दबंग पत्रकार राजीव गौड़ ने उल्टे एसडीएम के खिलाफ भी कुछ दिन बाद मास्क के न पहने होने का कारण बताते हुए थाने में तहरीर दी थी, इस पर पुलिस ने कोई मुकदमा दर्ज न करते हुए केवल जांच कराने की बात कही थी।

लंबे समय से खनन माफिया और प्रशासन की आंख की किरकिरी बने राजीव गौड़ और मुजीब नैथानी के खिलाफ भी आखिरकार मुकदमा दर्ज हो ही गया।

अल्मोड़ा के पत्रकारों का भी दमन

ताजा मामला अल्मोड़ा के पत्रकार अमित उप्रेती के खिलाफ मुकदमे का है।

अमित उप्रेती ने प्रवासियों की समस्या का हाल दिखाने से संबंधित खबर प्रकाशित की थी। इस खबर से बौखलाए अल्मोड़ा प्रशासन ने अपनी व्यवस्थाएं तो दुरस्त नहीं की उल्टा, अमित उप्रेती के खिलाफ मुकदमा दर्ज कर दिया। अल्मोड़ा के पत्रकार मुख्यमंत्री को निष्पक्ष जांच के लिए कह रहे हैं।

ऐसा नहीं है कि मुख्यमंत्री अथवा उसके सलाहकारों या पुलिस के आला अधिकारियों के संज्ञान में यह मामले नहीं है !

सभी लोग समझते हैं। लेकिन सभी को पता है कि पत्रकारों का दमन करके ही वे अपनी सत्ता और अपनी कारस्तानी जारी रख सकते हैं, इसीलिए पत्रकारों पर लगातार मुकदमे दर्ज किए जा रहे हैं।

जनसंख्या घनत्व की दृष्टि से एक माह के अंदर विश्व मे पत्रकारों पर सर्वाधिक मुकदमे दर्ज करने वाला राज्य उत्तराखंड 

यदि जनसंख्या के घनत्व के हिसाब से देखें तो एक महीने में उत्तराखंड पूरे विश्व में सबसे अधिक पत्रकारों पर मुकदमा दर्ज करने वाला राज्य बन गया है। इसके बावजूद उत्तराखंड के मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत खुद को पत्रकारिता की पृष्ठभूमि से होने का हवाला देते हुए कह रहे हैं कि वह हमेशा से पत्रकारिता की स्वतंत्रता के पक्षधर रहे हैं। त्रिवेंद्र सिंह रावत द्वारा किया गया यह सबसे बड़ा विद्रूप मजाक है।

……और गोदी मीडिया गुणगान मे मस्त

अब यह बात भले ही गले नहीं उतरती, लेकिन कुछ गोदी मीडिया के लोगों को भी इस बात में वाह-वाह नजर आएगी और वह कल अखबारों की सुर्खियों में अथवा अपने अपने मीडिया माध्यमों में सीएम के ट्वीट के गुणगान करते नजर आएंगे।

लेकिन हकीकत यह है कि पत्रकारों का राज्य में बुरी तरह दमन हो रहा है, जिससे पत्रकारिता जगत में बेहद नाराजगी का माहौल है।

और बहुत जल्दी कुछ पत्रकार संगठन मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत के इस दमनकारी तानाशाही के खिलाफ माकूल जवाब देने की तैयारी कर रहे हैं।


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