उत्तराखंड मुक्त विवि में बिना पद और आदेश के 56 लोगों की नियुक्ति का मामला सामने आया है। ऑडिट में खुलासा होने पर वित्त सचिव अमित नेगी ने उच्च शिक्षा सचिव को पत्र लिखा, पर 1 साल बाद भी कार्रवाई नहीं हुई।
शासनादेश है कि यदि पद स्वीकृत है तो भी नियुक्तियां शासन के आदेश के बिना नहीं होगी। यूनियन संविदा,दैनिक, कार्य प्रभावित, नियत वेतन, अंशकालिक तदर्थ नियुक्तियों पर लागू होगा। स्वीकृत पदों से इतर नियुक्तियां संजय मानी जाएगी।यदि ऐसी नियुक्तियां हुई हो तो परिश्रमिक का भुगतान संबंधित अवसर के वेतन, पेंशन सी होगा। वही, संबंधित पर कार्रवाई भी की जाएगी।
हर माह 44 लाख खर्च
ऑडिट रिपोर्ट के मुताबिक विवि में पद सृजित किए बिना की तकनीकी, प्रशासनिक, अकादमिक एवं परामर्श दाताओं की भर्ती की गई, जिनके वेतन पर हर महीने 40 लाख खर्च आ रहा है। जबकि इसका कोई शासनादेश नहीं था।
ऐसे ही आउट सोर्स भर्ती
विवि में वर्ष 2017-18 व 2018-19 मे बिना पद- सृजन के आउटसोर्सिंग के माध्यम से लिपिक योग, प्रशिक्षक एवं चतुर्थ श्रेणी कर्मचारियों के कुल 26 पदों पर नियुक्ति की गई है। इनके लिए किसी भी तरह की स्वीकृति नहीं थी।
मेरे संज्ञान में नहीं मामला
पद और शासन के आदेश के बिना विश्वविद्यालय में नियुक्तियों का मामला मेरे संज्ञान में नहीं है। विश्वविद्यालय ने आउटसोर्स से कुछ लोगों को अपने खर्च पर रखा, लेकिन ऑडिट से इसका कोई मतलब नहीं है। नियुक्तियों के मामले में मेरे पास शासन से कोई पत्र नहीं आया- ओम प्रकाश सिंह नेगी कुलपति उत्तराखंड मुक्त विवि।
मामला दिखाऊंगा
बिना पद और शासनादेश के कर्मचारियों की तैनाती के मसले को दिखाया जाएगा ऑडिट रिपोर्ट में तो बहुत सारी चीजें आती है- डा. धन सिंह रावत शिक्षा मंत्री।
मौखिक आदेश पर नियुक्तियां
सूत्रों के मुताबिक सभी नियुक्तियां उच्च स्तर के मौखिक आदेश पर हुई हैं। आरोप है कि इनमें रूसा के सरकार के पुत्र को नियुक्ति भी शामिल है, जबकि विभागीय मंत्री के स्टाफ के भी कुछ लोगों एवं उनके रिश्तेदारों को नियुक्तियां की गई है।