मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने शनिवार को जनता दरबार लगाकर लोगो की समस्याएँ सुनी जो मात्र औपचारिकता ही रही क्यूंकि मात्र एक से डेढ़ घंटे चले इस जनता दरबार में एक चौथाई जनता से ही मुख्यमंत्री मिल पाए और बाकी लोगों बिना सीएम से मुलाकात के बैरंग लौटा दिया गया।
जनता दरबार सीएम हाउस के जनता दर्शन हॉल में लगाया गया, जहां काला मास्क और काला गमछा पहने लोगों को अंदर नहीं जाने दिया गया ।
विपक्षी पार्टी कांग्रेस ने भी मुख्यमंत्री के जनता दरबार पर कटाक्ष किया हैं ।गढ़वाल मंडल मीडिया प्रभारी गरिमा मेहरा दसौनी ने जनता दरबार पर सवाल उठाते हुए कहा कि एक तो बड़ी देर कर दी मेहरबां आते-आते, साढ़े 4 साल बीत गए ।
दसौनी ने आगे कहा कि प्रदेश के मुख्यमंत्री का एक मात्र जनता दरबार देखने को मिला जिसमें शिक्षिका का घोर अपमान पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र रावत द्वारा किया गया था। दूसरा जनता दरबार कृषि मंत्री सुबोध उनियाल ने लगाया जिसमें भी हल्द्वानी के व्यापारी ने ज़हर खाकर आत्महत्या कर ली थी।उसके बाद तो जैसे जनता दरबार को समूची भाजपा ने ठंडे बस्ते में डालने का काम कर दिया।
दसौनी ने आरोप लगाया कि आज जब एक अरसे के बाद पुष्कर सिंह धामी के द्वारा दोबारा जनता दरबार लगाया गया तो जनता को घोर अपमान सहना पड़ा। जनता दरबार के दौरान पहुंचे लोगों से मुख्यमंत्री ने मिलना तक गंवारा नहीं समझा। इसे दुर्भाग्य ही कहा जा सकता है कि मात्र एक से डेढ़ घंटे चले इस जनता दरबार में एक चौथाई जनता से ही मुख्यमंत्री मिल पाए और बाकी लोगों बिना सीएम से मुलाकात के बैरंग लौटा दिया गया।
दसौनी ने कटाक्ष करते हुए आगे कहा कि सालों बाद होने वाले इस जनता दरबार से लोगों को बहुत अपेक्षाएं/ आकांक्षाएं थी। लोगों ने सोचा कि अपने कष्ट और परेशानियां जब वे सरकार के मुखिया के सामने रखेंगे तो शायद वे दूर हो जाएंगी। लेकिन ‘बड़े बेआबरू होकर तेरे कूचे से हम निकले’ वाली कहावत आज जनता दरबार में चरितार्थ होते हुए दिखी।