स्टोरी(कमल जगाती, नैनीताल):-
उत्तराखण्ड उच्च न्यायालय ने कोटद्वार में माइनिंग पॉलिसी के खिलाफ बने शिद्धबली स्टोन क्रेशर को हटाए जाने के खिलाफ दायर जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए सम्बन्धित क्षेत्र के कंजरवेटर आफ फारेस्ट से 24 घण्टे के भीतर यह बताने को कहा है कि स्टोन क्रशर से राजाजी नैशनल पार्क की दूरी कितनी है ? साथ मे न्यायालय ने उन्हें 24 अक्टूबर को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से व्यक्तिगत रूप से पेश होने को भी कहा है। मामले की सुनवाई मुख्य न्यायधीश आर.एस.चौहान और न्यायमूर्ति आलोक कुमार वर्मा की खण्डपीठ में हुई।
मामले के अनुसार कोटद्वार निवासी देवेंद्र सिंह अधिकारी ने जनहित याचिका दायर कर कहा है कि कोटद्वार में राजाजी नैशनल रिजर्व फारेस्ट में शिद्धबलि स्टोन क्रेशर लगाया गया है । यह स्टोन क्रेशर सुप्रीम कोर्ट के की गाईड लाइनों के मानकों को पूरा नही करता है।
सुप्रीम कोर्ट ने अपनी गाइड लाइन में कहा था कि कोई भी स्टोन क्रेशर नैशनल पार्को के 10 किलोमीटर एरियल डिस्टेंस के भीतर स्थापित नहीँ किया जा सकता है, जबकि यह स्टोन क्रेशर साढ़े छः किलोमीटर की दूरी पर स्थित है।
पूर्व में सरकार ने अपनी रिपोर्ट पेश कर कहा था कि यह स्टोन क्रेशर सड़क से 13 किलोमीटर दूर है । जिसपर याचिकाकर्ता के अधिवक्ता ने इसका विरोध करते हुए न्यायालय को बताया था कि दूरी मापने के लिए एरियल डिस्टेंस है न कि सड़क से । सरकार ने इसे सड़क से मापा है, जो गलत है।
सिद्धबली स्टोन क्रेशर पी.सी.बी.के मानकों को भी पूरा नही करता है। यहां स्टोन क्रेशर स्थापित करने से क्षेत्र के साथ साथ वन्यजीव भी प्रभावित हो रहे है।लिहाजा इसको हटाया जाए या इसके संचालन पर रोक लगाई जाये।