स्टोरी(कमल जगाती, नैनीताल):-
उत्तराखण्ड उच्च न्यायालय ने नाबालिग के साथ दुष्कर्म और हत्या में देहरादून की पॉक्सो कोर्ट की फाँसी की सजा के खिलाफ दायर अपील सरकार से दो सप्ताह में अपनी आपत्ति दर्ज करने को कहा है।
मुख्य न्यायाधीश आर.एस.चौहान और न्यायमूर्ति एन.एस.धनिक की खण्डपीठ में सुनवाई हुई। मामले के अनुसार देहरादून के त्यूणी रोटा खड्ड के पास 2 फरवरी 2016 को क्षेत्रवासियों को एक शव पेड़ पर लटका हुआ दिखा, जिसकी सूचना पुलिस को दी गयी।
पुलिस ने शव की पहचान कक्षा 9 में पढ़ने वाली एक नैपाली मूल की छात्रा के रूप में की।
क्षेत्रवासियों ने पुलिस को यह भी बताया कि छात्रा को एक जनवरी 2016 को, पेशे से वाहन चालक देहरादून के डाकपत्थर निवासी मोहम्मद अजहर के साथ मोटरसाइकिल में देखा गया। पुलिस ने जब उसके घर में छापा मारा तो वह फरार था।
गहन खोजबीन करने पर पुलिस ने उसे हिमांचल के सिरमौर से 5 जनवरी 2016 को गिरफ्तार किया। अभियुक्त ने पुलिस के सामने यह बयान दिया कि उसने पहले नाबालिग के साथ दुष्कर्म किया और बाद में उसके शव को पेड़ में लटका दिया ताकि लोगों को आत्महत्या लगे । उसने बचने के लिए मामले को सुसाइड का रूप दिया। उसके दुपट्टे से शव को पेड़ पर लटका दिया।
डी.एन.ए.जांच में पुष्टि होने के बाद अभियुक्त को देहरादून पॉक्सो कोर्ट की विशेष न्यायाधीश रमा पांडे ने 12 दिसम्बर 2018 को फांसी की सजा सुनवाई ।
साथ मे 70 हजार रुपये के अर्थदण्ड से भी दण्डित किया। पॉक्सो कोर्ट ने अपने आदेश में यह भी कहा कि अभियुक्त मो.अजहर को 50 हजार रुपये मृतक के परिजनों और 20 हजार रुपये राजकीय खजाने में जमा करना होगा।
इस आदेश के खिलाफ अभियुक्त ने माननीय उच्च न्यायलय में अपील दायर की। मामले की अगली सुनवाई 16 नवम्बर को निहित की गई है।