स्टोरी(कमल जगाती, नैनीताल):-
उत्तराखंड उच्च न्यायालय ने राज्य के एकमात्र मसूरी म्यूनिसिपल डिग्री कॉलेज में अध्यापकों के 23 स्वीकृत पदों में से अधिकतर खाली होने के खिलाफ पी.आई.एल.में सुनवाई की।
खंडपीठ ने उच्च शिक्षा विभाग से पूछा है कि महाविद्यालय में शिक्षकों के पद इतनी बड़ी संख्या में रिक्त कैसे चले आ रहे हैं ?
साथ ही यह भी बताने को कहा है कि अध्यापकों की नियुक्ति के संबंध में अभीतक क्या प्रक्रिया हुई है और क्या क्या कदम उठाए गए। न्यायालय ने उच्च शिक्षा विभाग को यह भी बताने को कहा है की जब यू.जी.सी.के अध्यापक छात्र अनुपात में स्पष्ट मानक हैं, तो इस विद्यालय में उनकी अवहेलना कैसे हो रही है? न्यायालय में सुनवाई 27 अप्रैल को होगी।
अधिवक्ता दुष्यंत मैनाली ने बताया कि महाविद्यालय की बी.ए.प्रथम वर्ष की छात्रा मसूरी निवासी अनीशा ने इस मामले को लेकर उच्च न्यायालय में याचिका दायर कर कहा की नियमित अध्यापक न होने से पठन पाठन बाधित हो रहा है। कई संकाय में कोई भी नियमित अध्यापक नहीं हैं, जबकि आसपास के पूरे ग्रामीण क्षेत्र के लिए यह एकमात्र डिग्री कॉलेज है। यह उत्तराखंड में नगर पालिका द्वारा संचालित एकमात्र डिग्री कॉलेज है और साथ ही मसूरी क्षेत्र का एकमात्र उच्च शिक्षा संस्थान भी है जहां 850 छात्र-छात्राएं अध्ययनरत हैं। कॉलेज को राज्य सरकार की तरफ से सहायता मिलती है और यू.जी.सी.से मान्यता भी मिली हुई है। यहां अध्यापकों के 23 पद स्वीकृत होने के बावजूद अधिकांश खाली हैं और मात्र 9 अध्यापक यहां पर नियुक्त है। कई संकाय में तो कोई भी परमानेंट अध्यापक तक नहीं है।
याचिका में सुनवाई करते हुए न्यायालय ने सचिव उच्च शिक्षा, निदेशक उच्च शिक्षा और महाविद्यालय की प्रबंधन कमेटी जो नगरपालिका अध्यक्ष मसूरी द्वारा संचालित है को नोटिस जारी किया है। न्यायालय ने यह पूछा है की महाविद्यालय में शिक्षकों के पद इतनी बड़ी संख्या में रिक्त कैसे चले आ रहे हैं, साथ ही यह भी बताने को कहा है कि अध्यापकों की नियुक्ति के संबंध में अभीतक क्या प्रक्रिया हुई है और क्या क्या कदम उठाए गए हैं। न्यायालय ने उच्च शिक्षा विभाग को यह भी बताने को कहा है जब यू.जी.सी.के अध्यापक छात्र अनुपात के संबंध में स्पष्ट मानक हैं तो इस विद्यालय में नियमों की अवहेलना कैसे हो रही है ? मामले में अगली सुनवाई 27 अप्रैल को होगी।