उत्तराखंड सिंचाई विभाग में एक बड़ा फर्जीवाड़ा उजागर हुआ है। जहां सचिव डॉ. आर. राजेश कुमार के जाली हस्ताक्षर कर चार अभियंताओं के स्थानांतरण आदेश जारी किए गए। फर्जी हस्ताक्षरों से स्थानांतरण करने के मामला पकड़ में आते ही सचिव सिंचाई इस डॉक्टर आर राजेश कुमार ने तत्काल प्रभाव से इन आदेशों को रद्द कर दिया और दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करने के साथ ही विभागाध्यक्ष को अपने स्तर से भी मुकदमा दर्ज दर्ज कराने के निर्देश दिए हैं ।
सिंचाई सचिव ने इस मामले मे अपने स्तर से भी शहर कोतवाली में मुकदमा दर्ज करने के लिए तहरीर दी है।
मामले की मुख्य बातें:
फर्जी हस्ताक्षर कर ट्रांसफर आदेश जारी किए जाने का मामला पकड़ में आया तो सचिव ने अपने स्तर से इसकी जांच की लेकिन शासन स्तर पर इसका कोई भी रिकॉर्ड मौजूद नहीं था। न तो नोटशीट, न ही गार्ड फाइल और न पीयोन बुक में इसके अभिलेख दर्ज थे।
इससे साफ हो गया कि चार अभियंताओं के ट्रांसफर आदेश जो 31 जनवरी 2025 और 19 नवंबर 2024 को जारी हुए। सचिव स्तर पर कोई आदेश जारी नहीं किया गया, यह किसी अन्य अधिकारी द्वारा जाली हस्ताक्षर कर किया गया फर्जीवाड़ा था।
सचिव सिंचाई ने विभाग अध्यक्ष को संबंधित दोषियों की पहचान कर 48 घंटे के भीतर रिपोर्ट देने के निर्देश दिये हैं।
भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 420, 467, 468 और 471 के तहत एफआईआर दर्ज करने के आदेश।
सिंचाई विभाग के विभाग अध्यक्ष को पत्र लिखकर सिंचाई सचिव डॉक्टर आर राजेश कुमार ने आशंका जताई कि
ऐसे और भी फर्जी ट्रांसफर हुए हों, इसलिए सभी पुराने आदेशों की जांच के निर्देश गए गये हैं।
फर्जी हस्ताक्षर से ट्रांसफर का मामला कैसे खुला?
सचिव के नाम से जारी स्थानांतरण आदेशों पर जब प्रमुख अभियंता से चर्चा की, तो यह स्पष्ट हुआ कि सचिव ने ऐसे किसी आदेश पर हस्ताक्षर ही नहीं किए। जांच में पता चला कि ये आदेश विभागीय रिकॉर्ड में मौजूद नहीं थे और इनका कोई आधिकारिक प्रमाण नहीं था।
क्या कार्रवाई होगी?
फर्जी आदेशों पर कार्यरत सभी अभियंताओं को तत्काल उनके मूल पदस्थापन स्थान पर भेजा जाएगा।
विभाग के सभी पूर्व स्थानांतरण आदेशों की दोबारा जांच होगी, ताकि यह पता लगाया जा सके कि कहीं और भी तो इस तरह के फर्जी आदेश जारी नहीं हुए।
दोषियों पर सख्त कार्रवाई होगी और मामले की पूरी जांच के बाद आवश्यक कानूनी कदम उठाए जाएंगे।
बड़ा सवाल: विभाग में और कितने ऐसे फर्जी आदेश जारी हुए हैं?
अब जब एक मामला सामने आ चुका है, तो यह सवाल उठता है कि क्या अन्य विभागों में भी इसी तरह से फर्जी स्थानांतरण किए गए हैं? सचिव ने आदेश दिया है कि सभी पूर्व स्थानांतरण आदेशों को फिर से जांचा जाए और अगर कोई और संदिग्ध आदेश मिले, तो उस पर भी तत्काल कार्रवाई की जाए।
अब देखना होगा कि इस मामले में कब तक मुकदमा दर्ज होता है। अगर ठीक से जांच हुई तो सचिवालय मे इस तरह के फर्जी आदेशों से स्थानांतरण करने वाले बड़े रैकेट का खुलासा हो सकता है।