डॉ. अग्रवाल ने कहा कि विश्वविद्यालय ने कुछ संबद्ध कॉलेजों को कई वर्षों से संबद्धता प्रमाण पत्र जारी नहीं किए। अब पिछले 5 वर्षों की संबद्धता के निरीक्षण हेतु पत्र भेजा गया है, जबकि इन वर्षों के दौरान छात्रों की परीक्षाएं हो चुकी हैं और परिणाम भी घोषित किए जा चुके हैं। ऐसे में अब निरीक्षण करवाना अनुचित और औचित्यहीन प्रतीत होता है।
उन्होंने कहा कि कॉलेजों का निरीक्षण करवाना विश्वविद्यालय का अधिकार है और कोई भी कॉलेज इससे इनकार नहीं कर सकता। हर साल संबद्धता नवीनीकरण के लिए कॉलेज आवेदन करते हैं और संबंधित फीस भी जमा की जाती है। ऐसे में, विश्वविद्यालय अगर यह अपेक्षा करता है कि कॉलेज निरीक्षण के लिए अलग से आवेदन करें, तो यह सही नहीं है।
डॉ. अग्रवाल ने कहा कि पांच वर्ष से अधिक पुराने कॉलेजों को स्थायी संबद्धता दी जानी चाहिए, लेकिन अब तक विश्वविद्यालय या शासन द्वारा इस दिशा में कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया। उन्होंने कहा कि अब पुराने वर्षों के निरीक्षण की बजाय, 2025-26 सत्र के लिए निरीक्षण प्रक्रिया शुरू की जानी चाहिए, ताकि समय पर संबद्धता प्रमाण पत्र जारी किए जा सकें।
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